इंदौर नगर निगम में भर्ती घोटाला: आईएएस हर्षिका सिंह और दिव्यांक सिंह के खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज

इंदौर नगर निगम में भर्ती घोटाला
विशेष संवाददाता। भोपाल। लोकायुक्त ने आईएएस अधिकारी हर्षिका सिंह और स्मार्ट सिटी इंदौर के सीईओ दिव्यांक सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि नगर निगम आयुक्त के पद पर रहते हुए हर्षिका सिंह ने स्मार्ट सिटी इंदौर में कार्यरत संविदा सहायक यंत्री देवेश कोठारी को आवश्यक योग्यता न होने के बावजूद इंदौर नगर निगम में नियमित भवन अधिकारी के पद पर पदस्थ कर दिया। इसके साथ ही उन्हें अतिरिक्त अधिकार भी सौंपे गए, जिससे उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
आरोपों के अनुसार, देवेश कोठारी ने भवन अधिकारी की हैसियत से करीब 250 नक्शों को अवैध रूप से डिजिटल हस्ताक्षर के जरिए स्वीकृत कराया। इन कार्यों के माध्यम से अवैध धन अर्जित करने के भी आरोप लगाए गए हैं। इस पूरे मामले की विस्तृत जांच लोकायुक्त द्वारा की जाएगी।
इंदौर के पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने पिछले महीने पूर्व नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह और स्मार्ट सिटी इंदौर के सीईओ दिव्यांक सिंह के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई थी। जांच के बाद लोकायुक्त ने हर्षिका सिंह, दिव्यांक सिंह, संविदा सहायक यंत्री देवेश कोठारी एवं अन्य के खिलाफ बीएनएनएस 2023 की धारा 173 के तहत प्रकरण क्रमांक 31/ई/2025 दर्ज किया है।
2012 बैच की आईएएस अधिकारी हर्षिका सिंह वर्तमान में तकनीकी शिक्षा संचालक एवं राज्य आजीविका मिशन की सीईओ के पद पर कार्यरत हैं। वहीं 2017 बैच के आईएएस दिव्यांक सिंह स्मार्ट सिटी इंदौर के सीईओ हैं। आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने संविदा इंजीनियर को नियमों के विपरीत नियमित पद पर पदस्थ किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं जताई। साथ ही संविदा नियुक्ति की शर्तों को भी जानबूझकर छुपाया गया।
तत्कालीन निगमायुक्त ने दबाए रखा मामला
दिलीप कौशल ने लोकायुक्त को भेजी गई शिकायत में आरोप लगाया है कि तत्कालीन निगमायुक्त हर्षिका सिंह और सीईओ दिव्यांक सिंह को मामले की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। शिकायत में यह भी कहा गया है कि नियमों के खिलाफ संविदा इंजीनियर देवेश कोठारी को जोन क्रमांक 13 में भवन अधिकारी के पद पर पदस्थ किया गया। कोठारी ने वास्तविक तथ्यों को छिपाकर निर्माणाधीन तथा पहले से निर्मित सैकड़ों भवनों के अवैध निर्माण की सूचना-पत्र जारी करके बिल्डर्स से अवैध धन अर्जित किया।
इस वजह से किसी भी भवन से अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई नहीं की। निगमायुक्त हर्षिका सिंह और सीईओ दिव्यांक सिंह को संविदा इंजीनियर की जानकारी होने के बावजूद देवेश कोठारी को भवन अधिकारी के पद पर पदस्थ रखा और कोई कार्रवाई नहीं की।
