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निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड कराने को मजबूर गर्भवती महिलाएं

चिकित्सक का स्वास्थ्य ठीक न होने से 20 दिन से बंद पड़ी मशीन

निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड कराने को मजबूर गर्भवती महिलाएं
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ग्वालियर, न.सं.। शहर में कोरोना संक्रमण के बीच अब शासकीय अस्पतालों की व्यवस्थाएं भी बिगड़ सकती हैं। इसी के चलते पिछले 20 दिनों से जिला अस्पताल की अल्ट्रासाउण्ड मशीन बंद पड़ी हुई । जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. वीके खटोड़ एक वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसी के बाद सिविल अस्पताल में पदस्थ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. राकेश चतुर्वेदी को मुरार में अटैच किया गया। लेकिन डॉ. चतुर्वेदी ने कुछ महीने सेेवा देने के बाद अपना त्याग पत्र दे दिया। इसके बाद करीब एक माह तक अल्ट्रासाउण्ड बंद रहे। इसी बीच संविदा पर डॉ. एम.के. पाण्डे को ज्वाइन कराया गया। लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण डॉ. पाण्डे 19 अगस्त पर अवकाश पर चल रहे हैं। जिस कारण जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड सेवाएं पूरी तरह ठप्प पड़ी हुईं हैं।

जिला अस्पताल के जच्चा खाने में प्रतिदिन 100 गर्भवती महिलाएं पहुंचती हैं। इसमें से कम से कम 50 महिलाओं के अल्ट्रासाउण्ड होते हैं। इसके अलावा मुरार क्षेत्र के लगे ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी अल्ट्रासाउण्ड के लिए मुरार ही पहुंचती हैं। ऐसे में अब जिला अस्पताल में पहुंच रहीं महिलाओं को सीधा बिरला नगर प्रसूति गृह अल्ट्रासाउण्ड के लिए भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं कई महिलाएं तो निजी अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र पर अल्ट्रासाउण्ड कराने को मजबूर हैं। मुरार निवासी प्रेमवती के पति नितिन ने उनकी पत्नी को छह माह का गर्भ है। चिकित्सक ने अल्ट्रासाउण्ड के लिए लिखा लेकिन दो बार अस्पताल के चक्कर काटने के बाद भी अल्ट्रासाउण्ड नहीं होने पर निजी केन्द्र पर कराना पड़ा।

केन्द्र पर लगते हैं 800 से 1200 रुपए

निजी अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों की बात करें तो वहां 800 से 1200 रुपए वसूले जाते हैं। ऐसे में जो मरीज सक्षम होता है वह तो अल्ट्रासाउण्ड करा लेता है, लेकिन गरीब मरीज भटकता रहता है।

एमएलसी कैस के लिए भी परेशान

मुरार जिला अस्पताल में कई थाने से आरोपी व फरयादी की एमएलसी होने भी पहुंचती है। लेकिन अल्ट्रासाउण्ड न होने के कारण पुलिसकर्मियों को भी परेशान होना पड़ रहा है।

सिविल अस्पताल का भी यही हाल

सिविल अस्पताल की बात करें तो वहां भी अल्ट्रासाउण्ड नहीं हो रहे हैं। सिविल अस्पताल में सेवानिवृत्त हो चुके चिकित्सक डॉ. वीके खटोड़ को प्रति अल्ट्रासाउण्ड के हिसाब से भुगतान की बात कह कर रखा गया था। लेकिन कई महीनों का भुगतान न होने के चलते डॉ. खटोड़ ने भी आना बंद कर दिया है। जिस कारण सिविल अस्पताल की व्यवस्थाएं भी पूरी तरह बिगड़ चुकी हैं।

इनका कहना है

जिले में रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक नहीं है। इसलिए रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक की व्यवस्था कराने के लिए सीएमएचओ को पत्र लिखा गया है।

-डॉ. डी.के. शर्मा, सिविल सर्जन

Updated : 13 April 2024 12:59 PM GMT
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