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प्रभारी निदेशक के हवाले ट्रिपल आईटीएम, साक्षात्कार के बाद भी नहीं हुई नियुक्ति

नए निदेशक के लिए ग्यारह महीने पहले हो चुके हैं साक्षात्कार

प्रभारी निदेशक के हवाले ट्रिपल आईटीएम, साक्षात्कार के बाद भी नहीं हुई नियुक्ति
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ग्वालियर, न.सं.। शहर के प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान(ट्रिपल आईटीएम) पिछले डेढ़ साल से स्थाई निदेशक विहीन चल रहा है। संस्थान की जिम्मेदारी प्रभारी निदेशक के हवाले है, जिससे कहीं न कहीं संस्थान की साख पर बट्टा लग रहा है। यहां चर्चा यह भी कि है प्रभारी निदेशक सही तरीके से कामकाज नहीं संभाल पा रहे हैं, जिससे व्यवस्थाएं भी गड़बड़ाती जा रही हैं। जिसकी वजह से पिछले दिनों संस्थान की रैकिंग में भी गिरावट आई है।

उल्लेखनीय है कि ट्रिपल आईटीएम के तत्कालीन निदेशक डॉ. एसजी देशमुख का कार्यकाल करीब डेढ़ साल पहले पूरा हो गया था। उनके चले जाने के बाद संस्थान की जिम्मेदारी डॉ. राजेन्द्र साहू को सौंपी गई और तभी से वह बतौर प्रभारी निदेशक काम देख रहे हैं। इस बीच नए निदेशक के लिए माधन संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने विज्ञापन निकालकर आवेदन मंगाए। लेकिन मंत्रालय पिछले डेढ़ साल से ट्रिपल आईटीएम में स्थाई निदेशक की नियुक्ति नहीं कर पाया है। जिसका खामियाजा कहीं न कहीं संस्थान को भुगतना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि जब से संस्थान के निदेशक का पद रिक्त हुआ है तभी से प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के शिक्षा जगत में संस्थान की साख गिर रही है। इस समय संस्थान के अंदर अंतर्कलह भी जोरों पर है। संस्थान को आगे बढ़ाने के विजन पर काम नहीं हो रहा। जबकि मंत्रालय द्वारा ग्वालियर में संस्थान की स्थापना सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और व्यापार प्रबंधन के क्षेत्रों में उच्च शिक्षा, अनुसंधान और परामर्श की सुविधा के लिए की गई थी। यह ग्वालियर व प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में गिना जाता है। यहां पर देशभर के साथ-साथ विदेशों से विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि इतने बड़े संस्थान में पिछले डेढ़ साल से मुखिया की नियुक्ति क्यों नहीं की गई।

19 पायदान फिसली संस्थान की रैकिंग

संस्थान में स्थाई निदेशक न होने का खामियाजा सबसे अधिक संस्थान की रैकिंग गिरने के रूप में उठाना पड़ा है। नेशनल इंस्टीट्यूट रैकिंग फे्रमवर्क(एनआईआरएफ) इस वर्ष 2020 की नवीन रैकिंग सूची में ट्रिपल आईटीएम का नाम 100वें स्थान पर जा पहुंचा है। जबकि एक साल पहले 2019 में रैकिंग वाली सूची में संस्थान का नाम 81वें पायदान पर था। एक साल के भीतर ही रैंक 19 पायदान फिसल जाने से संस्थान के कुप्रबंधन की पोल खुल गई है। एमएचआरडी द्वारा एनआईआरएफ के जरिए देशभर के विश्वविद्यालय, अभियांत्रिकी, प्रबंध, विधि, फॉर्मेसी, चिकित्सा, आर्किटेक्चर, डेंटल आदि संस्थानों की रैकिंग कराई जाती है। संस्थानों में मौजूद हर तरह की सुविधाओं, संसाधनों, शैक्षणिक गतिविधियों, रिसर्च वर्क, प्लेसमेंट की स्थिति की मार्किंग के स्कोर के आधार पर रैंक प्रदान की जाती है। वर्ष 2020 की रैकिंग की ताजा रिपोर्ट पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्री ने जारी की थे। जिसमें ट्रिपल आईटीएम को सौ में से सिर्फ 37.60 स्कोर मिला। इसके आधार पर संस्थान की रैंक 100वें स्थान पहुंच गई है।

नए निदेशक के लिए दिसम्बर-19 में हो चुके हैं साक्षात्कार

गौर करने वाली बात यह है कि ट्रिपल आईटीएम के नए स्थाई निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया ग्यारह माह पहले पूरी हो चुकी है। इसके तहत पात्रता रखने वाले जिन व्यक्तियों ने निदेशक बनने की इच्छा जताते हुए आवेदन किए थे, उनके साक्षात्कार दिसम्बर 2019 में हो चुके हैं। तब से अभी तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नए निदेशक की नियुक्ति नहीं की है। सूत्रों की मानें तो वर्तमान में जो प्रभारी निदेशक डॉ. राजेन्द्र साहू हैं, उन्होंने स्थाई निदेशक बनने आवेदन किया था लेकिन निर्धारित पात्रता में खरे नहीं उतरे। इस कारण उनका आवेदन निरस्त हो गया। इसलिए उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया। बावजूद इसके उन्हें बतौर प्रभारी निदेशक बना रखा है। जबकि वे सबसे वरिष्ठ भी नहीं हैं। इसको लेकर एमएचआरडी के आला अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं।

Updated : 12 Oct 2021 11:22 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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