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कोहरे उपकरण हो रहे फेल, देरी से चल रही ट्रेने

कोहरे उपकरण हो रहे फेल, देरी से चल रही ट्रेने
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ग्वालियर,न.सं.। रेलवे ने कोहरे से निपटने के लिए सभी को कोहरे उपकरण उपलब्ध कराए थे, लेकिन कोहरा छाते ही तमाम प्रयास फेल साबित हुए हैं। आलम ये है कि नई दिल्ली से आने वाली ट्रेने 2 से तीन घंटे की देरी से ग्वालियर पहुंच रही है। कोहरे के कारण केवल दिल्ली ही नहीं भोपाल का रूट भी प्रभावित हुआ है, साथ ही इससे शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें भी प्रभावित हुई हैं।

कोहरे के कारण ट्रेनें लेट होने से यात्रियों को तो परेशानी होती ही है, साथ ही रेलवे को खासा आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है। क्योंकि ट्रेन के अधिक लेट होने पर टिकट रद्द कराने वालों की संख्या खासी बढ़ जाती है। इसी वजह से रेलवे कोहरे से निपटने के लिए लगातार नए नए प्रयोग कर रहा है। इसी कारण कुछ समय पहले सभी को कोहरे उपकरण भी उपलब्ध कराए गए थे।रविवार को नई दिल्ली से आने वाली शताब्दी एक्सप्रेस 1 घंटे, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस 1 घंअे 59 मिनट, पंजाब मेल 40 मिनट, गतिमान एक्सप्रेस 32 मिनट की देरी से ग्वालियर पहुंची। वहीं भोपाल से आने वाली श्रीधाम एक्सप्रेस 7 घंटे, कर्नाटक एक्सप्रेस 50 मिनट की देरी से ग्वालियर आई।

विश्राम गृह में लगी भीड़

ट्रेनों के देरी से चलने के कारण रेलवे स्टेशन पर विश्राम गृहों में यात्रियों की भीड़ लगी हुई है। शताब्दी सहित कई ट्रेनों के अधिक देरी से पहुंचने पर लोगों ने अपने टिकट कैंसल कराए, जबकि कुछ ने ट्रेनों की लेटलतीफी को देखते हुए यात्रा ही रद्द कर दी है।

सिर्फ ट्रेन की रफ्तार नियंत्रित करता है उपकरण

यह उपकरण कोहरा खत्म नहीं करता बल्कि सिर्फ कुछ दूर के सिग्नल की जानकारी देता है। जीपीएस आधारित इस उपकरण से लोको पायलटको पांच सौ मीटर दूर से सिग्नल, क्रॉसिंग, सेक्शन पर तयशुदा गति, ट्रैक की चौड़ाई समेत अन्य आवश्यक सूचनाएं मिलती है। इसकी मदद से लोको पायलट ट्रेन की रफ्तार नियंत्रित करता है लेकिन, यह सूचनाएं सही तरीके से अपडेट नहीं हो पातीं। इस वजह से डिवाइस लगे होने के बावजूद ट्रेनों की रफ्तार कम रखनी पड़ती है।

कोहरे में पचास फीसदी तक घट जाती है ट्रेनों की रफ्तार

कोहरे में दृश्यता काफी कम हो जाती है। इससे ट्रैक साफ तौर पर नजर नहीं आता। कोहरा उपकरण भी काम नहीं कर पाता। ऐसे में ट्रेनों की रफ्तार करीब पचास फीसदी तक कम हो जाती है। सामान्य तौर पर 90 किलोमीटर प्रति घंटे से चलने वाली ट्रेन सिर्फ 45-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल पाती है। कई तकनीकी सूचनाएं क्लाउड पर अपलोड नहीं की जा सकती। इस वजह से ट्रेनों की स्पीड कम रखी जाती है।

यह ट्रेनें कर दी गई निरस्त

झांसी-कोलकता एक्सप्रेस निरस्त कर दी गई जबकि ग्वालियर-बरौनी एक्सप्रेस कोहरे के चलते 27 फरवरी तक अलग-अलग खंड में निरस्त है। इसी तरह बरौनी ग्वालियर एक्सप्रेस, हावड़ा-मथुरा, मथुरा-हावड़ा, मथुरा-आगरा एक्सप्रेस भी निरस्त की गई हैं। वहीं, कई ट्रेनों के फेरे भी कम दिए गए।

Updated : 26 Dec 2022 12:30 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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