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सड़क पर हार रहे जिंदगी की रेस, बीस दिन में 16 मौतें

जनवरी से सितम्बर अंत तक कुल 176 ने गंवाई जान

सड़क पर हार रहे जिंदगी की रेस, बीस दिन में 16 मौतें
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ग्वालियर, न.सं.। जिले में सड़क हादसों की स्थिति भयावह है। हर साल सैकड़ों लोग मौत के आगोश में समा रहे हैं। इस साल का आंकड़ा भी ङ्क्षचतनीय है। यह दर्शाता है कि ङ्क्षजदगी की भागदौड़ में अब जीवन का कोई मूल्य नहीं। सड़क पर कायदे-कानून कोई नहीं अपनाना चाहता, हर कोई जल्दी में है। इसी जल्दी का परिणाम है कि सड़क हादसों पर लगाम नहीं लग रहा। संसाधनों की कमी भी इसकी मुख्य वजहों में से एक है। पिछले एक दशक में जनसंख्या वृद्धि के सापेक्ष वाहनों की संख्या कई गुना बढ़ी है, लेकिन उसके मुताबिक संसाधन नहीं बढ़े। पिछले बीस दिनों की बात करें तो अब तक 16 मौतें हो चुकी हैं। जबकि इस जनवरी माह से सितम्बर अंत तक सड़क दुर्घनाओं के 1240 मामले हैं, जिनमें 176 लोगों की मौत हो चुकी हैं।

शहर में आज सरपट सड़क पर अंधाधुंध रफ्तार से अपने वाहनों को दौड़ाने के कारण लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं, जिसके कारण उनकी असमय मौत हो रही है। वहीं बड़़े वाहन चालकों द्वारा लापरवाही और गैर जिम्मेदारा ढंग से गाड़ी चलाने के कारण भी दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। यदि हम जिले की बात करें तो महज 20 दिन में 16 लोग काल के गाल में समा गए। मृतक कहीं वाहन चालक की रफ्तार का शिकार हुए हैं तो कहीं उनको स्वयं की गलती के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। हाइवे और बायपास पर इससे भी बुरे हालात हैं। यहां पर ट्रक, डम्पर, कंटेनर, ट्रोला आदि बड़े वाहन चालकों की लापरवाही के कारण दो पहिया वाहन चालक और राहगीरों की मौत होना आम घटना हो गई है। वर्ष 2020 में सड़क दुर्घटनाओं की घटनाओं में पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोत्तरी हुई है। चालक द्वारा यातायात नियमों का पालन करने के प्रतिशत की बात करें तो उसके आंकड़े चौकाने वाले हैं। महज दस से पन्द्रह प्रतिशत वाहन चालक नियमों का पालन करते हैं। बढ़ती दुर्घटनाओं बाद भी पुलिस का यातायात विभाग कभी सक्रिय नहीं दिखा। चौराहा व तिराहा पर एक तरफ कोने में खड़े होकर सड़क दुर्घटनाओं को कभी भी नहीं रोका जा सकता है। जिले में यातायात पुलिस कर्मियों को कभी भी रोटरी या फिर अपने ड्यूटी स्थान पर खड़े होकर वाहन चालकों को दिशा-निर्देश देते नहीं देखा है। जबकि लोग गलतियों के कारण अक्सर सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं। चालक की रफ्तार की लापरवाही से आज सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

पूर्व डीजीपी ने भी माना था प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी

पूर्व पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे डीजीपी बनने के बाद पहली बार ग्वालियर आए थे। उस समय उन्होंने स्वयं कहा था कि प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की बढ़ती संख्या से वह चिंतित हैं। दुर्घटनाओं का रोकने के लिए उन्होंने सड़क पर रिफलेक्टर, स्पीड कन्ट्रोलर आदि लगाने के लिए कहा था, जो आज भी सपना ही है।

हाइवे हो चले असुरक्षित

घाटीगांव, मोहना, पुरानी छावनी, महाराजपुरा और कम्पू, झांसी रोड, मुरार थाना क्षेत्र से निकलने वाले हाइवे असुरक्षित हो चले हैं। सितम्बर, अक्टूबर माह में आधा सैकड़ा के करीब लोग यहां पर अपनी जान गंवा चुके हैं। संकेतक बोर्ड, स्पीड कन्ट्रोलर, विद्युत व्यवस्था आदि लगभग गायब ही हैं। जबकि इस पर सरकार करोड़ों रुपए हर साल खर्च किए जाते हैं।

वाहन चलाते समय हेलमेट नहीं पहनना जान के लिए खतरा

जिले में वाहन चलाते समय हेलमेट पहनने वालों की संख्या काफी कम है। हालांकि यातायात पुलिस समय-समय पर वाहन चालकों को हेलमेट पहनाने के लिए अभियान चलाती है लेकिन वह चालान तक ही सीमित रह जाता है। हेलमेट पहनने से सड़क दुर्घटना होने पर मौत की संभावना आधी रह जाती है।

शहर में पुलिस के प्रयोग फेल

शहर में यायातात को व्यवस्थित करने के लिए कई जगह प्रयोग करते हुए कहीं सीमेंट के तो कहीं प्लास्टिक के स्टापर रखे गए हैं। बावजूद इसके यातायात में सुधार नहीं हैं। वनवे होने के बाद भी लोग विपरीत दिशा में वाहन चलाने से दुर्घटना होने का भय बना रहता है।

वर्ष 2020 के आंकड़े एक नजर में

माह दुर्घटना मौत

जनवरी 201 20

फरवरी 215 23

मार्च 140 26

अप्रैल 29 05

मई 80 17

जून 125 16

जुलाई 158 24

अगस्त 130 24

सितम्बर 99 15

कुल 1240 176

Updated : 12 Oct 2021 11:21 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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