व्यक्तित्व विकास की पहली सीढ़ी है समय प्रबंधन:अदालतवाले

ग्वालियर। लक्ष्य निर्धारण और समय प्रबंधन एक-दूसरे के पूरक हैं। युवा बड़ा लक्ष्य पाने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बना कर तैयारी करें। युवावस्था में ही व्यक्तित्व को तराशा जा सकता है। जिसके लिए समय प्रबंधन बहुत जरूरी है। समय से ज्यादा नित्य-निरंतर कुछ भी नहीं होता इसीलिए समय प्रबंधन को व्यक्तित्व विकास की प्रथम सीढ़ी कहा जाता है।
यह बात माधव महाविद्यालय में चल रहे पांच दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर के तीसरे दिन के द्वितीय सत्र में युवाओं को सम्बोधित करते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रो. रविकांत अदालतवाले ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के शासीनिकाय अध्यक्ष प्रो. विजय गम्भीर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्यभारत शिक्षा समिति के सचिव अरुण अग्रवाल, प्राचार्य डॉ. संजय रस्तोगी, प्रथम सत्र के मुख्यवक्ता डॉ. मनोज अवस्थी एवं संयोजक डॉ. शिवकुमार शर्मा उपस्थित रहे ।
चरित्र व व्यक्तित्व से होता है भविष्य तय: अवस्थी
शिविर के प्रथम सत्र में योगाभ्यास, बोधवाक्य, एकल व समूह गीत के बाद राष्ट्रीय सेवा योजना के जिला संगठक एवं इतिहासविद् डॉ. मनोज अवस्थी ने अपना प्रबोधन कौशल विकास एवं आत्मनिर्भरता विषय पर दिया। डॉ. अवस्थी ने कहा कि कौशल विकास के लिए साहसिक विचार, ठोस नीतियां, समय प्रबंधन, सॉफ्ट स्किल्स, आत्म नियंत्रण व टीम वर्क बहुत जरूरी है जबकि आत्मनिर्भर बनने के लिए जिम्मेदार होना, अनुशासित होना व आत्मविश्वासी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विचार से कर्म, कर्म से आदत और आदत से चरित्र का निर्माण होता है । चरित्र और व्यक्तित्व से ही व्यक्ति अपना भविष्य तय कर सकता है ।
अध्यक्षता कर रहे प्रो. विजय गंभीर ने कहा कि वर्तमान समय तकनीकी का समय है। आज युवावर्ग के सामने बहुत सी चुनौतियां हैं जिनका मुकाबला अपनी कमजोरी को ताकत बनाकर किया जा सकता है। इन चुनौतियों को अवसर में बदलने का काम समय प्रबंधन से किया जा सकता है।
कार्यक्रम का संचालन छात्र राजीव दोहरे ने एवं आभार शिविर के उप संयोजक डॉ. विकास शुक्ल ने व्यक्त किया।
