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अतिक्रमण में विलुप्त हुई डेढ़ सौ साल पुरानी नदी, जयविलास परिसर से बैजाताल में होती थी समाहित

नदी सूखने से गिर गया कॉलोनियों का जलस्तर, जीर्णोद्धार के नाम पर बहाए करोड़ों

अतिक्रमण में विलुप्त हुई डेढ़ सौ साल पुरानी नदी, जयविलास परिसर से बैजाताल में होती थी समाहित
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शिवपुरी लिंक रोड से निकलकर जयविलास परिसर होते हुए बैजाताल में समाहित होती थी नदी

ग्वालियर/वेब डेस्क। शहर में जाल बिछाकर निकलने वाले सालों पुराने नदी व नाले अतिक्रमण से विलुप्त हो गए हैं। भू-माफिया ने इन नालों पर अवैध कब्जा करके बहुमंजिला इमारतें व भवन तान दिए हैं, जिससे नदी व नालों का अस्तित्व ही खत्म हो गया है और शहर में घोर जल संकट की स्थिति बनती जा रही है। इसमें नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों की भी मिलीभगत है, जो खुलेआम अवैध कब्जा करने की मौन सहमति दे रहे हैं। कुछ ऐसी ही एक ऐतिहासिक व डेढ़ सौ साल पुरारी नदी (झील) है, जो शहर की हृदय स्थली जयविलास परिसर एवं चेतकपुरी क्षेत्र से होते हुए बैजाताल में समाहित होती थी। नदी के 90 फीसदी क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया गया है। कभी समूचे जयविलास परिसर का जलस्तर इसके ऊपर निर्भर करता था, लेकिन अब सिर्फ यह नदी किस्से-कहानियों तक सीमित होकर रह गई है। इस नदी के विलुप्त हो जाने से शहर के रमणीक स्थलों का प्राकृतिक जल स्रोत भी बंद हो गया है। दर्जनों विशाल बावडिय़ां एवं चेतकपुरी स्थित गंगासागर नामक एक विशाल झील पूरी तरह सूखकर अपना पुराना वैभव खो चुकी हैं। नदी के सूखने से इन पॉश कॉलोनियों में जलस्तर काफी नीचे चल गया है। वहीं नगर निगम ने करोड़ों रुपए पानी में बहाकर नदी-नालों से अतिक्रमण हटाकर उन्हें पुराने वैभव में लाने के काजगी प्रयास किए हैं, लेकिन वह सिर्फ कमाई मात्र का जरिया रहे।


नदी में बन गईं बहुमंजिला इमारतें व मकान

नदी से लगीं लगभग 90 फीसदी जगह पर अतिक्रमण हो चुका है। विक्की फैक्ट्री तिराहा, झांसी रोड थाने के सामने स्थित कुछ कॉलोनियों से लेकर हरिदर्शन विद्यालय, पारस विहार, नाका चन्द्रवदनी व अन्य कॉलोनियों में नदी के ऊपर अतिक्रमण करके बहुमंजिला इमारतें व मकान बना लिए गए हैं। करीब तीन साल पहले नारायण बिल्डर्स ने अपने फायदे के लिए नगर निगम के आला अधिकारियों से सांठगांठ करके रानीपुरा से लेकर चेतकपुरी तक के हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया। इससे रानीपुरा पुल पर भी संकट उत्पन्न हो गया है। उक्त बिल्डर को प्रशासन ने मंजूरी से अधिक मंजिलें निर्माण करने पर नोटिस भी जारी किया है।

नदी का ऐतिहासिक महत्व

शहर की हृदय स्थली जयविलास परिसर एवं चेतकपुरी क्षेत्र से होते हुए बैजाताल नदी का उद्गम स्थल शिवपुरी लिंक रोड के क्षेत्रों से था, जो बरसात का पानी अपने अंदर समाहित करके यहां आती थी। 1944 के नक्शे में यहां नहर एवं नदी हुआ करती थी। इस नहर में वीरपुर बांध से पानी आता था। बैजाताल, कटोराताल, फूलबाग, जल विहार, जयविलास परिसर के मुख्य जल के स्रोत इसी नदी पर निर्भर थे। यहां पर बनी एक विशाल बावड़ी, कुंड एवं झील नदी के जल स्रोत से जलमग्न रहते थे, लेकिन आज अतिक्रमण की वजह से यह स्रोत विलुप्त हो चुके हैं।

इन क्षेत्रों की प्यास बुझाती थी नदी

- इस नदी से चन्द्रवदनी नाका से लेकर मोती महल व बैजाताल तक के जल स्रोत रहते थे लबालब।

- जयविलास परिसर, चेतकपुरी के पास बनी विशाल झील सहित दर्जनों बावडिय़ां इस मुख्य जल स्रोत से लबालब रहती थीं।

- नदी का प्रभाव बंद होने से दर्जनों बावडिय़ों, कॉलोनियों के जल स्रोत सूख चुके हैं।

- इन कॉलोनियों में पानी का जलस्तर 500 फीट से नीचे चला गया है और पानी की भारी किल्लत होने लगी है।

इनका कहना है

शिवपुरी लिंक रोड से बरसात का पानी समाहित कर वर्षों पहले एक छोटी नदी निकलती थी, जो जयविलास परिसर से होते हुए बैजाताल में समाहित हो जाती थी। यह नदी इस क्षेत्र की विशाल बावडिय़ों, झील, कुओं का जलस्तर बढ़ाती थी, लेकिन अब इस नदी का पता नहीं है। 90 फीसदी हिस्से पर अवैध कब्जा हो गया है और नदी भी विलुप्त हो गई है। इससे बावडिय़ां, कुआं सूख गए हैं और इन क्षेत्रों का जलस्तर भी काफी पाताल में पहुंच गया है।

रमाकांत चतुर्वेदी, पुरातत्व विशेषज्ञ, ग्वालियर

Updated : 20 Dec 2019 12:50 PM GMT
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