स्वयं सिद्धाओं ने रची संकल्प से सृष्टि

स्वयं सिद्धाओं ने रची संकल्प से सृष्टि
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महिलाओं में आत्मविश्वास जगाकर आत्मनिर्भर बनाना है

ग्वालियर। संकल्प से सिद्धि यह एक बोध वाक्य कि तरह कहा ही जाता है और है भी सच। आज इसी सच का सालार रूप दिखा स्वयं सिद्धा के मिलन समारोह में। था तो यह भी एक मेला ही। पर यह मेला परंपरागत दीपावली मेले से अलग था। हर घर की महिला में एक हुनर होता है। आज मेले में 20 महिलाओं ने अपने स्टाल लगाए और एक दूसरे को न केवल मानसिक संबल दिया अपितु खरीदकर एक सहयोग भी। मेले के पूर्व आमंत्रित अतिथियों ने देश के विकास में स्वावलंबन और स्वदेशी के महत्व को रेखांकित किया। यह मंच दिया स्वयं सिद्धा स्व सहायता समूह ने। यह समूह विगत 3 वर्ष से बिना किसी सरकारी सहयोग के स्वयं के साधनों से महिलाओं को आयाम निर्भरता के साथ आत्म विश्वास जागृत करने की दिशा में सफलता से कार्य कर रहा है।

स्वयं सिद्धा महिला स्व-सहायता समूह द्वारा पेन इन प्लाजा में आयोजित मेला एवं प्रदर्शनी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए उद्योगपति एवं लघु उद्योग भारती के प्रांतीय संयुक्त महामंत्री सोबरन सिंह तोमर ने कहा कि वर्तमान में लोगों का रूख स्वदेशी से कहीं ज्यादा विदेशी वस्तुओं की ओर चला गया है। इसका असर रोजगार पर तो पड़ ही रहा है साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। हमें आत्मनिर्भर बनना है तो विदेशी सामान की अवहेलना कर सामूहिक रूप से काम कर स्वदेशी सामान को अपनाना होगा। साथ ही महिलाओं को भी स्वदेशी बाजार में आगे बढ़ाना होगा। इस अवसर पर स्वावलंबी टोली के सदस्य सुधीर भदोरिया ने कहा कि मनुष्य को अपने पुरूषार्थ के लिए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का पालन करना चाहिए। सुबह की शुरूआत धर्म से तो रात का विश्राम मोक्ष से होना चाहिए। स्वावलंबी टोली के पूर्ण कालीक सदस्य विष्णु शर्मा ने कहा कि इस मेले का समापन नहीं होना चाहिए। प्रयास ऐसा होना चाहिए कि केवल स्थान का परिवर्तन हो। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी होना स्वयं का अवलोकन कर अपने गुणों को निखारना है। आयोजन का संचालन श्रीमती रीना मदान ने और सांस्कृतिक संध्या का संचालन श्रीमती अल्पा अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं उद्यमी उपस्थित रहीं। स्वागत भाषण और आयोजन की संकल्पना समूह की अध्यक्ष श्रीमती महिमा तारे ने रखी।

प्रदर्शनी में 20 स्टॉल सजे:-

स्वयं सिद्धा महिला स्व-सहायता समूह के स्नेह मिलन कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों के 20 स्टॉल सजाए गए। जिसमें भावना खेर द्वारा ज्वेलरी, शिवानी द्वारा बैग एवं ज्वेलरी, मंजू द्वारा टिक्की, विभा द्वारा स्प्राउट्स, प्रियंका द्वारा पैम्पलेट, ज्योत्सना द्वारा इडली-सांभर, सुमन द्वारा साबूदाना-बड़ा, अंजली द्वारा ड्रेस मटेरियल, सुनीता द्वारा मिलेट्स, स्वाती द्वारा बैग एवं ज्वेलरी, कविता द्वारा मोती का सामान, विनीता द्वारा लहंगा और चुन्नी, नैना द्वारा कुर्ती, मनीषा द्वारा करवाचौथ का सामान आदि स्टॉल लगाए गए।

महिलाओं में आत्मविश्वास जगाकर आत्मनिर्भर बनाना है:-

स्वयं सिद्धा महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती महिमा तारे ने बताया कि हमारा मुख्य उद्देश्य महिलाओं में आत्मविश्वास जगाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। जिससे वह स्वयं का व्यवसाय कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। काम कोई भी छोटा-बड़ा नहीं होता बल्कि उसको करने का जज्बा अपने अंदर होना चाहिए। हमारे इस समूह में 150 महिलाएं हैं ।आज यह महिलायें स्वयं सक्रिय हो कर समूह से जुड़ी हैं ।

13 वर्ष से कर रहे है आर्टी फीशियल ज्वेलर का काम:-

दीक्षा आर्टीफीशियल ज्वैलरी की शिवानी मुसलगांवकर ने बताया कि वह पिछले 13 वर्ष से आर्टीफीशियल ज्वैलरी का काम कर स्वयं व अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं।

महिलाओं के लिए बनाया है करवाचौथ का सामान:-

मनीषा कुलश्रेष्ठ ने बताया कि उनकी टीम द्वारा महिलाओं के लिए करवाचौथ का सामान अपने हाथों से बनाया है जिसमें पूजा की थाली, चलनी, करवा आदि शामिल है।

नौकरी के साथ अपनी प्रतिभा को भी उभार रहे हैं:-

बांस की वस्तुओं को बनाने का काम करने वाले मृदुल सक्सेना ने बताया कि वह एक बड़ी कंपनी में नौकरी करते हैं। अपनी इस प्रतिभा को जीवित रखने के लिए वह आज भी अपने अतिक्ति समय में बांस की वस्तुएं बनाते हैं।

आज दूसरी बार स्टॉल लगाया है:-

एसएस क्रिएशन की स्वाती शर्मा एवं स्मिता सिंह ने बताया कि आत्मनिर्भरता की प्रथम सीढ़ी में हाथ से बने उत्पादों को बनाने का काम अभी नया-नया है। स्वयंसिद्धा के नेतृत्व में यहां दूसरी बार स्टॉल लगाया है। हमारे इन उत्पादों में मुख्य रूप से मिट्टी से बने दीपक और टी केंडिल दीपावली के लिए बहुत ही खास है।

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