ग्वालियर में ही मिलेगा अब स्पाइनल का सफल इलाज, मरीजों को नहीं होना पड़ेगा परेशान

ग्वालियर। स्पाइनल कॉर्ड मानव के रीढ़ की हड्डी को नियंत्रित करने वाला हिस्सा है जो मोटी कशेरुक (वेर्टेब्रे) के नीचे होती है। यह निश्चित रूप से सुरक्षा के दृष्टिकोण से होता है क्योंकि स्पाइनल कॉर्ड में चोट के कारण पक्षाघात (परैलिसिस) हो सकता है। डिस्क स्तर से स्पाइनल कॉर्ड नर्व रूट्स से जुड़ा होता है जो पूरे शरीर में संवेदना और मोटर गतिविधि को संचारित करता है। वर्तमान समय में युवाओं में स्पाइनल कॉर्ड की इंजरी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिसका एक बड़ा कारण सडक दुर्घटना है। क्योंकि कई युवा तेज रफ्तार व नशे में गाड़ी चलाते हैं और सडक़ दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। लेकिन अगर यातायात के नियमों का पालन करते हुए वाहन को एक उचित स्पीड चलाए तो स्पाइनल कॉर्ड की इंजरी से बचा जा सकता है। यह बात आरजेएन अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. विक्रम सिंह भदौरिया बुधवार को आयोजित हुई पत्रकारवार्ता में चर्चा के दौरान कही।
उन्होंने बताया की अब तक स्पाइनल से जुडी बीमारियों के लिए मरीजों को इलाज के लिए दूसरे शहरों की ओर रुख करना पड़ता था पहले यहां इलाज की सुविधा ना होने पोर डॉक्टर मरीज को दिल्ली रेफर करते थे। जहां जाने में मरीज का समय और पैसा दोनों बर्बाद होता था। लेकिन अब ग्वालियर के अपोलो अस्पताल में सफल इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
ये मरीज हुए स्वस्थ -
उन्होंने बताया कि 29 वर्षीय एक मरीज सडक़ दुर्घटना में घायल होकर अपोलो में भर्ती हुआ था। जांच में पता चला कि मरीज को सर्वाइकल कॉर्ड की इंजरी हुई है, जिस कारण नसों को भी नुकसान पहुंचा था। मरीज की हालत बहुत गम्भीर थी, लेकिन समय पर उसका उपचार शुरू किया गया और वह पूरी तरह स्वास्थ्य हैं। डॉ. भदौरिया ने बताया कि आरजेएन अपोलो में किसी भी तरह की न्यूरोलॉजिकल एक्सीडेंटल केस को हैंडल करने के लिए 24 घंटे उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त टीम है जो हमेशा तैयार रहती है। इसलिए अस्पताल में न्यूरोसर्जरी से संबंधित हर महीने 30 से 35 मरीजों का सफल उपचार किया जा रहा है। इसमें ऐसे मरीज भी शामिल हैं, जिन्हें अन्य अस्पतालों द्वारा दिल्ली तक के लिए रैफर किया जाता था । इस अवसर पर विशेष रूप से अपोलो के सीईओ मुकेश सभरवाल मौजूद रहे।
