विश्व एड्स रोग दिवस पर विशेष

विश्व एड्स रोग दिवस पर विशेष
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87 प्रतिशत लोग असुरक्षित यौन संबंध से हुए संक्रमित, बीच में दवा छोड़ना हो सकता है जानलेवा

ग्वालियर, न.सं.। ह्यूमन इम्युनोडिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) यानी एड्स जानलेवा बीमारी नहीं है। नियमित जांच और इलाज से संक्रमित व्यक्ति लंबा जीवन जी सकता है। इस बीमारी के फैलने का प्रमुख कारण एक से अधिक लोगों के साथ असुरिक्षत यौन संबंध बनाना है। करीब 87 प्रतिशत मरीज इसी वजह से संक्रमित होते हैं।

जयारोग्य चिकित्सालय में संचालित एआरटी सेन्टर के आंकड़ों की बात करें तो ग्वालियर-चंबल सम्भाग में पिछले दस वर्ष में एचआईवी की चपेट में करीब 6 हजार 700 मरीज आए। इसमें 87 प्रतिशत मरीजों को असुरक्षित यौन संबंध से एचआईवी हुआ। इसमें 1380 ऐसे मरीजों की मृत्यु भी हो गई, जिन्होंने या तो समय पर उपचार नहीं लिया या फिर उपचार को बीच में ही छोड़ दिया।

एआरटी सेन्टर के डॉ. राकेश गहरवार का कहना है कि मरीज को हर तीन से छह माह में जांच कराएं। सरकार की तरफ से नि:शुल्क सेंटर खोले गए हैं। बीमारी का उपचार नहीं कराने वालों को दिक्कत होती है। एड्स फैलाने का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध है। इसके बाद संक्रमित के रक्त से वायरस फैलता है। तीसरा बड़ा कारण एक ही सुई को बार-बार प्रयोग करना है। उन्होंने यह भी बताया कि

संक्रमित व्यक्ति के साथ सामान्य संबंध जैसे हाथ मिलाना, एक साथ भोजन करने, एक ही घड़े का पानी पीने, एक ही बिस्तर और कपड़ों के प्रयोग, एक ही कमरे या घर में रहने, एक ही शौचालय, स्नानघर प्रयोग करना, बच्चों के साथ खेलने से यह रोग नहीं फैलता है। इसलिए लोग संक्रमित व्यक्ति के घृणा न करें, क्योंकि मरीज मानसिक बीमारी का भी शिकार हो जाते हैं।

जागरूकता से घटे मरीज

जयारोग्य में संचालित एआरटी सेन्टर में इस वर्ष जनवरी माह से नवम्बर के बीच ग्वालियर-चम्बल संभाग में 385 नए मरीज पंजीकृत हुए हैं, जो नियमित रूप से उपचार भी ले रहे हैं और स्वास्थ्य जीवन जी रहे हैं। जबकि पिछले वर्ष 500 मरीज पंजीकृत हुए थे। चिकित्सकों का कहना है कि जागरूता व सावधानी बरतने से एचआईवी के मरीज घटे हैं।

गलती करेंगे तो जीवन भर भुगतेंगे आपके बच्चे

एचआइवी संक्रमित होने के बाद लापरवाही बरतने पर उम्र भर बच्चों को सजा भुगतनी पड़ सकती है। नौनिहाल को किसी संक्रमित को ही जीवन साथी बनाना होगा। जीवन भर दवा का सेवन करना पड़ेगा। लेकिन गर्भ धारण के दो महिनें बाद ही जांच कराई जाए और नियममित उपचार लिया जाए तो बच्चों को बचाया जा सकता है। डॉ. गहरवार का कहना है कि माता-पिता के संक्रमित होने से 30 से 40 प्रतिशत तक बच्चे संक्रमित होने की सम्भावना होती है। लेकिन ग्वालियर-चम्बल संभाग में पिछले तीन से चार वर्ष में नियमित जांच व दवा के सेवन से किसी भी बच्चे को संक्रमित मां से संक्रमण नहीं हुआ है। एसआरटी सेन्टर के प्रभारी डॉ. गहरवार ने बताया कि इस वर्ष 15 संक्रमित महिलाओं ने बच्चे को जन्म दिया। लेकिन नियमित दवा के सेवन व उपचार से किसी भी महिला के बच्चे को संक्रमण सामने नहीं आया।

क्या है एड्स

एड्स एचआईवी नामक विषाणु से होता है। संक्रमण के लगभग 12 सप्ताह के बाद ही रक्त की जांच से पता चल जाता है कि यह विषाणु शरीर में प्रवेश कर चुका है। संक्रमित व्यक्ति कई वर्षों 6 से 10 वर्ष तक सामान्य जीवनयापन करता है, लेकिन इस दौरान दूसरों को बीमारी फैलाने में सक्षम होता है। शरीर आम रोगों के कीटाणुओं से अपना बचाव नहीं कर पाता और व्यक्ति कई तरह के संक्रमण से ग्रसित होने लगता है।

जयारोग्य में है जांच की सुविधा

यदि किसी में एचआईवी के लक्षण हैं तो जयारोग्य में वायरल लोड की जांच नि:शुल्क की जाती है। जबकि उक्त जांच अगर कोई मरीज निजी अस्पताल में करता है तो उसे छह से सात हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। इसके अलावा दवाएं भी मरीजो को नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।

इनको है खतरा

- एक से अधिक लोगों से असुरक्षित यौन संबंध रखने वाला व्यक्ति।

- देह व्यापार करने वालों से यौन संपर्क रखने वाला व्यक्ति।

- नशे का इंजेक्शन से लेने वाला व्यक्ति।

- यौन रोगों से पीडि़त व्यक्ति।

- एचआईवी पीडि़त पिता-माता से नवजात को।

- बिना जांच किए रक्त लेने वाला व्यक्ति।

संक्रमण से बचाव

- जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध नही रखें।

- यौन संपर्क के समय निरोध का प्रयोग करें।

- मादक औषधियों के आदी व्यक्ति के उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें।

- एड्स पीडि़त महिलाएं गर्भधारण नहीं करें।

- रक्त की आवश्यकता होने पर जांच जरूर कराएं।

- दूसरे व्यक्ति पर प्रयोग हो चुका ब्लेड या पत्ती का उपयोग नहीं करें।

बीमारी के लक्षण

- गले या बगल में सूजन भरी गिल्टियों का होना।

- लगातार कई हफ्ते बुखार और खांसी रहना।

- अकारण वजन घट जाना।

- मुंह में घाव हो जाना।

- त्वचा पर दर्द भरे और खुजली वाले चकत्ते होना।

आज होंगी विभिन्न जनजागरुकता गतिविधियां

एचआईवी की जागरूकता को बढ़ाने एवं जनसामान्य में एचआईवी के प्रति जो भय एवं भ्रांतियां व्याप्त हैं, उन्हें दूर करने के लिए विश्व एड्स दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही एड्स पखवाड़े में 1 से 15 दिसंबर तक विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। सीएमएचओ डॉ. आर.के. राजौरिया ने बताया कि 1 दिसंबर रेडियंट स्कूल शिवपुरी लिंक रोड ग्वालियर में सुबह रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। ट्रांसपोर्ट नगर में स्वास्थ्य शिविर लगाकर वाहन चालकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। सांयकाल फूलबाग चौराहे पर स्थानीय एनजीओ के सहयोग से रंगोली एवं केंडिल मार्च निकाला जाएगा। इसी तरह लेट कम्यूनिटी लीड की थीम पर 1 से 15 दिसम्बर तक एड्स पखवाड़ा के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की सभी संस्थाओं में परामर्श सत्र आयोजित किए जाएंगे। साथ ही नर्सिंग कॉलेज में प्रतियोगिता एवं केंडिल मार्च, साइंस कालेज के एनसीसी कैडेट्स के द्वारा रैली एवं दोपहर 1 बजे जिला चिकित्सालय मुरार से जच्चा खाना मुरार तक रैली का आयोजन होगा। साथ ही चिडिय़ा घर एवं फूलबाग चौपाटी पर नुक्कड़ नाटक, स्टोन क्रेशर उटीला, नगर निगम ग्वालियर व डबरा में जागरूकता सत्र एवं स्क्रीनिंग, एफ.एम.रेडियो में संदेश प्रसारण किया जाना प्रस्तावित है।

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