एक बीघा क्षेत्र में बना है शहीद सरमन सिंह पार्क, इसमें करगिल में देश भर के शहीद 527 जवानों की वीर गाथा

ग्वालियर,न.सं.। कारगिल के द्रास सेक्टर और मुजफ्फरनगर के शुक्रताल में बने कारगिल युद्ध शौर्य स्मारक की तर्ज पर ग्वालियर में भी कारगिल युद्ध शौर्य स्मारक बनाया गया है। करगिल में विजय में देशभर के 527 जवानों ने अपनी शहादत दी थी। इसमें ग्वालियर और चंबल संभाग के जवान भी शामिल थे। शहीदों ऐसे शौर्य और शहादत पर ग्वालियर में पार्क तैयार किया गया है। यह पार्क बहोड़ापुर क्षेत्र में शहीद सरमन सिंह की याद में बनाया गया है। शहीद सरमन सिंह एवं शिक्षा प्रसार समिति की ओर से तैयार किया गया यह स्मारक कारगिल युद्ध में आपरेशन विजय के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद दिलाकर देशभक्ति की अलख जगा रहा है। इसकी दीवार पर कारगिल युद्ध का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। करीब एक बीघा क्षेत्र में बनाये गए इस स्मारक का लोकार्पण होना शेष है।
बहोड़ापुर स्थित नए पुलिस थाने के पास बनाए गए कारगिल युद्ध शौर्य स्मारक के बीचों बीच शहीद सरमन सिंह की प्रतिमा लगी हैं। राइफल लिए हुए शहीद सरमन सिंह खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। टाइगर हिल की पहाड़ी पर कुछ और सैनिक खड़े होंगे। स्मारक के शिखर पर भारतीय तिरंगा सदैव शहीदों की वीर गाथा याद दिलाएगा। इसके प्रवेश द्वार पर अशोक चक्र के साथ इसमें लगी 24 तीलियां भी बनाई गई हैं। शिला पट्टिकाएं लगा गई हैं। इसमें इन शहीदों के नाम, रेजीमेंट, स्थान और उनकी शहादत का उल्लेख है। स्मारक करीब 90 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है।
पार्क की खासियत, देशभक्ति की अलख जगाएगा स्मारक
पार्क में शहीद सरमन सिंह की 18 फीट ऊंची प्रतिमा को लगाई गई है। इसे मूर्तिकार दिनेश प्रजापति ने तैयार की है। इसमें 12 फीट की करगिल की सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल का लुक दिया गया है। इस पहाड़ी पर 6 फीट की शहीद सरमन सिंह खड़े हुए दिखाई दे रहे है। टाइगर हिल इसलिए भी खास है क्योंकि भारतीय सेना को इस पर विजय हासिल करने पर सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ा। अभी तक यहां है इस प्रकार के पार्क देशभर में किसी युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों पर आधारित पार्क कम ही हैं। स्मारक कारगिल युद्ध के शहीदों की याद दिलाने के साथ देशभक्ति की अलख जगा रहा है।
विहवल सेंगर
सचिव
कारगिल शहीद सरमन सिंह खेल एवं शिक्षा प्रसार समिति
1980 में सेना में भर्ती हुआ। 23 वर्ष की सेवा में कारगिल युद्ध, श्रीलंका युद्ध सहित अन्य लड़ाइयां लड़ी। मेरा सौभाग्य रहा की मुझे देश की रक्षा करने का अवसर मिला। मेरे पिता भी आर्मी में रहे। मेरे भाई भी आर्मी में थे। और अब मेरा पुत्र भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहा है। सेना की नौकरी से नौजवानों को डरना नहीं चाहिए। मौत लिखी होगी तो कही भी आ जाएगी। लेकिन देश के लिए मर कर अमर हो जाएंगे। सेना में नौकरी करने के लिए भर्ती नहीं होना चाहिए। क्योंकि जो नौकरी करने के उद्देश से सेना में भर्ती होते है युद्ध के समय पीछे भागते है जिससे अन्य वीर सैनिकों का मनोबल भी कमजोर होता है। सेना में भर्ती देश की सेवा ध्येय के साथ होना चाहिए। यही युवाओं को संदेश है। और आप नौजवान जो भी काम करे देश की सेवा के भाव से करे तो वह दिन दूर नही जब हम विश्व गुरु बन जाएंगे।
पुष्पराज सिंह
सेवानिवृत हबलदार आर्मी
मैं कैप्टन जय सिंह भदौरिया 31 जनवरी 1987 को सेना में सिपाही के तौर पर भर्ती हुआ। और 33 साल 2 महीने की सेवा पूरी कर 31 मार्च 2020 को कैप्टन पद से सेवानिवृत्त हुआ। सेना की नौकरी कोई सर्विस नहीं है। यह एक संपूर्ण जीवन है। यहां एक नौजवान युवा जो उच्च कोटि का नागरिक बनने का सौभाग्य प्राप्त करता है। मुझे भारतीय आर्मी में रहते हुए देश की सेवा अलग-अलग भौगोलिक कंडीशनो, प्रतिकूल वातावरण और परिस्थितियों में करने का मौका मिला। कारगिल युद्ध सहित कई युद्ध प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लडऩे का अवसर मिला। सेना की तोपखाना में भी सेवा देने का अवसर मिला। 11 साल जूनियर ऑफिसर, 8 साल अधिकारियों को ट्रेनिंग देने का अवसर मिला। भिन्न भिन्न परिस्थितियों के कारण शारीरिक और मानसिक मजबूती मिली। सेना के अंदर भाईचारा बहुत होता है। धार्मिक सद्भाव भी उच्च कोटि को देखने को सेना के भीतर मिलता है। सेना का जीवन श्रेष्ठ जीवन है। खाना-पीना, ट्रेनिंग, खेलकूद, मनोरंजन, फैमिली वेलफेयर, बच्चों की पढ़ाई लिखाई सारी व्यवस्थाएं सेना को उच्च कोटि की प्राप्त होती है। हर एक नौजवान को सेना में भर्ती होने का के लिए प्रेरित करता हूं। कि सेना में जाकर भारत माता की सेवा करें और अपना जीवन सार्थक करें। मैं देश की सेवा के लिए नागरिकों को सेवा के लिए प्रेरित करता हूं और डिफेंस एकेडमी में प्रशिक्षण देकर नौजवानों को देश के लिए तैयार कर रहा हूं। जो सेना में भर्ती होकर देश और समाज की सेवा करने वाले हैं।
जय सिंह भदोरिया
