सिंधिया ने किया तुलसी साहित्य परिसर का लोकार्पण, कहा- श्रीरामचरित मानस हमारी अद्भुत पूंजी

ग्वालियर, न.सं.। संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस का भक्ति धारा में सर्वोच्च स्थान है। यह ग्रंथ हमारी पूंजी है। देश के युवा इस पूंजी को आत्मसात करें तो देश में आध्यात्मिक परिवर्तन होगा। तुलसी मानस प्रतिष्ठान में श्रीरामचरित मानस के अध्यायों को 25 शिलालेखों पर उकेरा गया है जो अपने आप में बेहद प्रशंसनीय है, इससे लोग श्रीराम चरित मानस से जुड़ सकेंगे। यह बात मुख्य अतिथि की आसंदी से केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने फूलबाग स्थित तुलसी मानस प्रतिष्ठान में तुलसी साहित्य परिसर का लोकार्पण करते हुए कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की। लोकार्पण के अवसर पर दंदरौआ धाम के रामदास जी महाराज और जडेरूआ धाम के हरीदास नागा जी महाराज का सम्मान किया गया। स्वागत भाषण देते हुए संस्था के अध्यक्ष अभय पापरीकर ने कहा कि हमारे संस्थान का एक ही उद्देश्य है तुलसी साहित्य का प्रचार प्रसार करना।
श्री ङ्क्षसधिया ने कहा कि तुलसी मानस प्रतिष्ठान ने यहां साहित्य परिसर बनाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यहां रामचरित मानस कई भाषाओं में है जिसमें मेरी मराठी भाषा में भी रामचरित मानस है। श्री सिंधिया ने कहा कि तुलसी मानस प्रतिष्ठान को आधुनिक बनाएं इसमें जो भी आवश्यकता होगी उसे मैं पूरा करूंगा। उन्होंने बताया कि विद्या, विनम्रता, विवेक, साहस, कर्म, सत्यनिष्ठा और आस्था हमारे भाग्य निर्माता हैं। हमें इन्हें आत्मसात करना है। उन्होंने कहा कि दिल के रिश्ते बहुत समय में बनते हैं। मनुष्य के लिए इससे बड़ी पूंजी कोई नहीं होती। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ग्वालियर सांसद विवेक शेजवलकर ने कहा कि भगवान श्रीराम हम सभी के आदर्श हैं। संस्था अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अच्छा कार्य कर रही है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा, डॉ. आलोक शर्मा, महेश मुदगल, उमेश उप्पल, जय सिंह कुशवाह, किशन मुदगल, राकेश जादौन, रामबरन सिंह गुर्जर आदि गणमान्यजन उपस्थित थे। संचालन रामबाबू कटारे और आभार उमेश उप्पल ने व्यक्त किया।
युवा रामायण और सुंदरकाण्ड में पीएचडी करे: तोमर
केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारे युवा रामायण और सुंदरकाण्ड में पीएचडी करें। उनके इस कार्य में हम सभी मदद करेंगे। श्री तोमर ने कहा कि तुलसी मानस प्रतिष्ठान हमारे पूर्वजों की देन है, आज इस प्रतिष्ठान में रामायण की चौपाइयों के शिलालेखों का लोकार्पण हुआ है जो अपने आप में अद्भुद है। इन शिलालेखों से लोगों को प्रेरणा मिलेगी और वह अपने जीवन को सार्थक बना सकेंगे। उन्होंने कहा कि बाहरी सुंदरता हमें किसी भी प्रकार से मिल सकती है लेकिन अंदर की सुंदरता के लिए संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामायण के माध्यम से ही मिल सकती है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय पाने के लिए अयोध्या से किसी सेना की मदद नहीं ली लेकिन रास्ते में उन्हें जो मिलता गया उसी की मदद लेकर रावण पर विजय प्राप्त की। इसका मतलब यह है कि अगर आपका संकल्प दृढ़ है तो विजयश्री आपके कदम चूमेगी।
