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सिंधिया ने जमीनों के खेल की पूर्ति न होने के कारण गिरवाई कमलनाथ सरकार

सिंधिया के अधिकांश ट्रस्टों को बताया फर्जी

सिंधिया ने जमीनों के खेल की पूर्ति न होने के कारण गिरवाई कमलनाथ सरकार
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ग्वालियर, न.सं.। विधानसभा उप-चुनाव के पहले कांग्रेस भाजपा की बजाय राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया को चारों ओर से घेरने में लग गई है। चूंकि श्री सिंधिया द्वारा बार-बार कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को भ्रष्ट बताया जा रहा है। इसीलिए अब कांग्रेस ने सिंधिया से जुड़े जमीनों के मुद्दों को आगे करते हुए उन्हें घेरा है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मुरारीलाल दुबे एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने कमलनाथ के ग्वालियर आगमन से एक दिन पूर्व पत्रकारवार्ता लेकर आरोप लगाया कि श्री सिंधिया ने जमीनों के खेल की पूर्ति न होने के कारण कमलनाथ की निर्वाचित सरकार को गिरवा दिया। इसके लिए प्रदेश की जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।

उन्होंने सिंधिया परिवार पर सीधा आरोप लगाया कि जब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजनैतिक व्यवसायी सिंधिया की भू-माफिया के रूप में जानकारी हासिल होने के बाद उनके जमीनों के खेल की पूर्ति करने से मना कर दिया तो उन्होंने एक निर्वाचित सरकार को भाजपा के सहयोग से गिराकर प्रदेश में राजनैतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गहरा अघात किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यदि ये आरोप गलत है तो सिंधिया की बदौलत मुख्यमंत्री पद पर अलोकतांत्रिक ढंग से काबिज हुए शिवराजसिंह चौहान बताएं कि उन्होंने शपथ लेने के तत्काल बाद अपने पहले ही राजनैतिक निर्णय के रूप में सिंधिया के विरुद्ध ईओडब्ल्यू, भोपाल में दर्ज प्रकरणों को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के आदेश जारी क्यों जारी किए? श्री दुबे ने आरोप लगाया कि सिंधिया यह बताएं कि वे खसरा क्रमांक, जो वर्ष 1989 तक सरकारी दस्तावेजों में नजूल भूमि के नाम पर रिकार्ड दर्ज थे वे आज आपके विभिन्न पंजीकृत/अपंजीकृत ट्रस्टों परिजनों के नाम पर कैसे तब्दील कैसे हो गये? उन्होंने कहा कि यह कि करोड़ों-अरबों रुपयों के हुए इस बड़े खेल में सिंधिया परिवार के राजनैतिक रसूख और नौकरशाहों के कुत्सित गठबंधन का मिला-जुला षड्यंत्र है जिसे मिलजुल कर अंजाम दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि सिंधिया परिवार की रुचि जनसेवा में न होकर भूमि के बड़े खेलों में रही है। नेताओं ने एक बड़ा आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि इस मिले-जुले खेल में जिन ट्रस्टों का उपयोग किया गया है उनमें से कई ट्रस्ट तो पंजीकृत भी नहीं है। उन्होंने कहा कि 21 ट्रस्टों में से सिर्फ 4 ट्रस्ट ही पंजीकृत पाए गए हंै जो महादजी चैरिटेबल ट्रस्ट, रंगमहल चैरिटेबल ट्रस्ट, ज्योतिरादित्य चेरीटेबिल ट्रस्ट ओर गोरखी चैरिटेबल ट्रस्ट है जो एक ही दिन तीन नवंबर 2003 को पंजीकृत होकर पंजीयन क्रमांक क्रमश: 171,172,173, और 174 पर दर्ज है। यदि अन्य ट्रस्टों का पंजीयन ही नहीं है तो उनके नाम पर लाखों-करोड़ों रुपयों की भूमि पर अवैध कब्जे, उनके नामांतरण और सौदे कैसे हुए।

Updated : 18 Sep 2020 1:00 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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