संस्कृत भारती के भागीरथी प्रयास, नीरस हो चुकी जिंदगी में भर रही रंग

ग्वालियर, न.सं.। कोरोना काल में नीरस हो चुकी लोगों की जिंदगी में उत्साह भरने के लिए संस्कृत भारती ने बीड़ा उठाया है। संस्कृत भारती द्वारा संपूर्ण मध्य भारत प्रांत में युवाओं एवं आमजन को संस्कृत की शिक्षा देने के लिए भागीरथी प्रयास शुरू किए। आज पूरे प्रांत में करीब एक हजार से अधिक लोगों को ऑनलाइन संस्कृत भाषा की बारीकियां सिखाई जा रही हैं। ऑनलाइन एप के माध्यम से प्रशिक्षकों ने दो-तीन सत्रों में युवाओं को संस्कृत में पारंगत किया। पिछले तीन महीने से चल रहा यह ऑनलाइन प्रशिक्षण आज भी अनवरत जारी है। लोगों में भी संस्कृत भाषा सीखने की रुचि बढ़ी है और लगातार पंजीयन कराने वालों की संख्या भी बढ़ रही है।
अदृश्य महामारी कोविड-19 ने पूरी देश-दुनिया में भूचाल ला दिया। जिसकी वजह से लोग घरों में कैद होकर रह गए। ऐसे में संस्कृत भारती ने पूरे प्रांत में लोगों को संस्कृत भाषा में दक्ष करने का बीड़ा उठाया और लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए एक मई से ऑनलाइन ही प्रशिक्षण देने की कार्ययोजना बनाई। युवाओं व आमजन को शुरुआती चरण में ऑनलाइन व्याकरण कक्षाएं आयोजित की। विशेषज्ञों व संस्कृत के आचार्यों द्वारा वर्गों में बांटकर लोगों को संस्कृत की बारीकियां सिखाई गई। शुरुआती दिनों में संस्कृत भाषा के सरल शब्दों का हिंदी में अर्थ समझाया गया और इसके बाद धीरे-धीरे वाक्य बनाना, बोलना सिखाया गया। करीब एक महीने की कक्षाओं में ही लोगों ने आपस में वार्तालाप करना सीख लिया। अब 21 जुलाई से पूरे प्रांत में ऑनलाइन संस्कृत संभाषण वर्गों का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें करीब एक हजार से अधिक युवा व आमजन इसमें भाग ले रहे हैं। संस्कृत भारती ने प्रशिक्षण को दस वर्गों में बांटा है और अलग-अलग समूहों द्वारा एक से दो घंटे की कक्षाएं ली जा रही हैं। युवा व आमजन बहुत ही उत्साह के साथ भाग लेकर छोटे-छोटे वाक्यों के माध्यम से संस्कृत भाषा द्वारा ही बोलचाल करना सीख रहे हैं। संस्कृत सप्ताह के बाद भी लोगों को संस्कृत भाषा में दक्ष करने का कार्य यथावत जारी रहेगा। जिसमें विशेष रूप से शिक्षकों को संस्कृत भाषा में पारंगत किया जाएगा, ताकि वह छात्रों को संस्कृत की बारीकियां सिखा सकें।
31 से मनेगा संस्कृत सप्ताह
ज्ञात हो कि श्रावण पूर्णिमा के तीन दिन पहले और तीन दिन बाद तक प्रतिवर्ष विश्व स्तर पर संस्कृत सप्ताह मनाया जाता है। जिसके अंतर्गत श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस होता है। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में सबसे पहले आत्मभाषा का ज्ञान सभी देशवासियों को होना चाहिए। इसी को देखते हुए संस्कृत भारती मध्य भारत द्वारा 31 जुलाई से संस्कृत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है।
यह शिक्षक व विद्धान दे रहे शिक्षा
इन वर्गों में शिक्षक के रूप में भोपाल से पवन द्विवेदी, विनय सिंह राजपूत, प्रतिमा पांडे, ग्वालियर से पंडित प्रमेन्द्र चतुर्वेदी, कृष्ण कुमार सोनी, ब्रजमोहन शर्मा, धनंजय शर्मा, मुरैना से वंदना मिश्रा, दतिया से डॉ. हरेंद्र कुमार भार्गव, कविता समाधिया, होशंगाबाद से निर्मला गढ़ेवाल, रुचि मिश्रा, हरदा से प्रफुल्ल दुबे, हेमलता अग्रवाल, रायसेन से प्रो. विश्वबंधु गौतम, शिवपुरी से दीपेंद्र शर्मा, श्योपुर से कैलाश चंद्र गुप्ता, भिंड से बृजेश शुक्ल, भोपाल से ही शिवम तिवारी बहुत ही रोचक ढंग से संस्कृत की बारीकियां लोगों को सिखा रहे हैं। संभाषण का सामूहिक समापन 30 जुलाई को होगा।
इनका कहना है.
कोरोना काल में युवाओं व आमजन को संस्कृत भाषा में दक्ष करने के लिए एक मई से व्याकरण की ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं। जिसमें बड़े उत्साह से लोग शामिल हो रहे हैं। 21 जुलाई से पूरे प्रांत में ऑनलाइन संस्कृत संभाषण वर्ग हो रहे हैं, जिसमें हजारों लोग प्रतिदिन शामिल होकर संस्कृत सीखते हैं। 31 जुलाई से संस्कृत सप्ताह आयोजित होगा।
-डॉ. विष्णु नारायण तिवारी, प्रान्त शिक्षण प्रमुख, संस्कृत भारती मध्य भारत
