नहीं माने भाजपा-कांग्रेस के बागी, कोई बसपा, सपा का उम्मीदवार बना तो किसी ने थामी झाडू।, कोई बसपा, सपा का उम्मीदवार बना तो किसी ने थामी झाडू

ग्वालियर। प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा-कांग्रेस के बागियों ने शीर्ष नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है तो अधिकृत उम्मीदवारों नींद उड़ा दी है। पार्टी नेतृत्व की तमाम मान-मनव्वल को ठुकराते हुए बागी बसपा,,सपा और आप की झाडू लेकर मैदान में उतर गए हैं। यह बागी अब किसका गणित बिगाड़ेंगे या कौन जीत हासिल कर भोपाल जाएगा, यह 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम बताएंगे। प्रदेश विधानसभा के लिए आगामी 17 नबंवर को मतदान होना है। इसके पूर्व बुधवार को नाम वापसी का अंतिम दिन समाप्त हो गया और उम्मीदवारों की ग्वालियर -चंबल संभाग में जो स्थिति सामने आई है, उसके अनुसार करीब एक दर्जन सीटों पर बागी मैदान में डटे हैं। भाजपा ने छह सूचियों में तो कांग्रेस ने तीन सूचियों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। प्रमुख दलों की सूचियां जारी होते ही दोनों दलों में घमासान शुरू हो गया था। कहीं प्रदर्शन हुए तो कहीं पुतले जले। विरोध प्रदेश से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व तक को झेलना पड़ा। भाजपा ने जहां अंचल में विरोध को नजर अंदाज कर घोषित किसी भी उम्मीदवार को बदलने से साफ इंकार कर दिया। वहीं कांग्रेस को भी काफी विरोध का सामना करना पड़ा। कांग्रेस का आक्रोश दतिया, मुरैना, सुमावली में सडक़ों पर भी उतरा, फिर सुमावली व पिछोर में उम्मीदवार बदलने भी पड़े। दोनों ही दलों में टिकट से वंचित दावेदारों का असंतोष दूर करने में भाजपा-कांग्रेस को कुछ स्थानों पर सफलता भी मिली तो कुछ स्थानों पर निराशा ही हाथ लगी। कुछ मानकर काम पर लग गए हैं तो कुछ अभी भी घर बैठे हैं। पार्टी नेतृत्व की तमाम मान मनव्वल को ठेंगे पर रख एक दर्जन से अधिक नेता मैदान में उतर गए हैं।क्स
चंबल संभाग में बड़ी बगावत
चंबल संभाग में भाजपा - कांग्रेस दोनों को ही बगावत का सामना करना पड़ा है। दोनों ही दलों के नेता बसपा, सपा का दामन थाम मैदान में डट गए हैं। श्योपुर में भाजपा अपने असंतुष्ट नेता महावीर सिंह को भले ही बगावत करने से रोकने में सफल हुई हो, लेकिन बिहारी सिंह सोंलकी को नहीं रोक पाई। सोंलकी बसपा के हाथी की सवारी कर मैदान में उतर गए हैं। कांग्रेस से दुर्गेश नंदनी भी निर्दलीय मैदान में हैं। यहां भाजपा के दुर्गालाल विजय व कांग्रेस के बाबू जंडेल सिंह प्रत्याशी हैं। वहीं विजयपुर में भी भाजपा को बगावत झेलना पड़ी, यहां कांग्रेसी मुकेश मल्होत्रा निर्दलीय मैदान में डट गए हैं। मुरैना जिले में मुरैना सीट पर भाजपा नेता पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह और उनके सुपुत्र राकेश सिंह ने बगावत कर बसपा का दामन थाम लिया और राकेश सिंह हाथी की सवारी कर मैदान में उतर गए हैं। यहां भाजपा, बसपा व कांग्रेस तीनों दलों के उम्मीदवार गुर्जर समाज से हो गए हैं। कभी भाजपा में रहे रमेश उपाध्याय भी आप की झाडू लेकर चुनाव मैदान में हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है। सुमावली दलबदल व विद्रोह के लिए चर्चाओं में रहा है। यहां भाजपा ने ऐंदल सिंह कंषाना को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने कुलदीप सिकरवार को टिकट दिया। कुलदीप का विरोध करने विधायक अजब सिंह कुशवाह सडक़ पर उतरे। प्रदर्शन के साथ भोपाल तक विरोध दर्ज कराया। वह बसपा में चले गए।लेकिन कांग्रेस यहां दबाव में आई और टिकट बदलकर अजब सिंह को प्रत्याशी बना दिया तो फिर कुलदीप बागी हो गए और बसपा के टिकट पर मैदान में डट गए हैं। जौरा सीट पर बसपा को बगावत झेलनी पडी़। यहां मनीराम धाकड़ अब सपा की साइकिल लेकर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। भिंड भी बगावत से अछूता नहीं रहा। यहां भिंड सीट पर ही भाजपा-कांग्रेस को बगावत झेलनी पड़ी है। भाजपा से बगावत कर विधायक संजीव कुशवाह फिर बसपा की गोद में जा बैठे हैं और हाथी लेकर फिर मैदान में आ गए हैं। वह पिछला चुनाव भी बसपा के टिकट पर जीते थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने अपने पूर्व विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह को टिकट दिया है। भाजपा के रविसेन जैन भी फिर बगावत कर सपा के टिकट पर मैदान में डट गए हैं। कांग्रेस में भी यहां बगावत हुई और राहुल कुशवाह आप की झाडू के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। यहां कांग्रेस से चौधरी राकेश सिंह उम्मीदवार बनाया है। अटेर में अरविंद भदौरिया को भाजपा द्वारा पुन: उम्मीदवार बनाने से नाराज पूर्व विधायक मुन्नासिंह भदौरिया समाजवादी पार्टी से टिकट लाकर चुनाव मैदान में आ गए हैं। हाट सीट लहार में भी भाजपा से एक बार फिर पूर्व विधायक रसाल सिंह बगावत कर बसपा का दामन थाम मैदान में उतर गए हैं। भाजपा ने यहां अंबरीश शर्मा को प्रत्याशी बनाया है, जिनका सामना कांग्रेस के डाक्टर गोविंद सिंह से है। यह सीट गोविंद सिंह का गढ़ बनी हुई है।
ग्वालियर संभाग में भी हैं बागी
ग्वालियर संभाग में भी भाजपा -कांग्रेस में टिकट वितरण के साथ असंतोष भडक़ा। लेकिन यहां दोनों ही दल अपने अंसतुष्टों को मनाने में काफी हद तक सफल रहे। ग्वालियर में कांग्रेस में ग्वालियर, ग्वालियर ग्रामीण, डबरा, शिवपुरी ,पोहरी, गुना तक में असंतोष सामने आया। चाचौड़ा सीट पर भाजपा से प्रियंका मीणा का टिकट होते ही पूर्व विधायक ममता मीणा बगावत कर बैठीं और आप की झाडू़ लेकर मैदान में हैं। यहां कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह फिर मैदान में हैं। शिवपुरी जिले की पोहरी सीट से कांग्रेस के बागी प्रघुम्न वर्मा बसपा के टिकट पर मैदान में उतर गए हैं। करैरा में कांग्रेस के योगेश कटारे निर्दलीय मैदान में उतरे है तो शिवपुरी में भाजपा के एहवरन गुर्जर बसपा के टिकट पर मैदान में है। दतिया जिले की सेवढ़ा सीट पर जिला पंचायत सदस्य संजय दुबे भाजपा छोड़ आप के टिकट पर मैदान में हैं तो कांग्रेस के दामोदर यादव भी बगावत कर आजाद समाज पार्टी से चुनाव मैदान में उतर ग्ए हैं।
