बेततीब शहर: धरना- जुलूस के लिए आखिर जिम्मेदार कौन?

ग्वालियर। शहर का यातायात पहले से ही बेतरतीब होकर भगवान भरोसे है। ऊपर से रोज-रोज के धरना प्रदर्शन और जाम ने हालात बद से बदतर कर दिए हैं। जिन प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी जनता के मूलभूत और जरूरी कार्यों की है, उन्हें बार-बार सडक़ों पर उतरकर सुरक्षा व्यवस्था संभालना पड़ती है। जो शहर के स्वास्थ्य के लिए कतई उचित नहीं है। समसामयिक विषय को लेकर स्वदेश ने शहर की संभ्रांतजनों से चर्चा की है।
जुलूस और जाम उचित नहीं:दूदावत
वरिष्ठ अभिभाषक अरविंद दूदावत कहते हैं कि धरना, प्रदर्शन, जुलूस और जाम की इजाजत किसी को नहीं मिलना चाहिए। इससे आमजन के कार्य प्रभावित होते हैं वहीं किसी को जरूरी कार्य से कहीं जाना है तो वह वहीं थम जाता है। प्रशासनिक अधिकारी भी अपने कार्यालय और अन्य स्थानों पर जरूरी कार्य नहीं निपटा पाते। इसके लिए जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना आवश्यक है। ग्वालियर के लोगों को इस विषय पर मंथन की आवश्यकता है ताकि शहर का स्वास्थ्य बना रहे।
जनता के कार्य हो रहे प्रभावित: गर्ग
वरिष्ठ समाजसेवी विजय गर्ग कहते हैं कि जगह-जगह धरना, जुलूस, जाम से जनता के मूलभूत कार्य प्रभावित हो रहे हैं। जनता की शिकायतों का अधिकारी निराकरण नहीं कर पा रहे। क्योंकि उनका अधिकांश समय सुरक्षा व्यवस्था में ही निकल जाता है। आमजन फोन लगाते हैं तो वह उसका कोई जवाब नहीं दे पाते। सडक़ों की हालत बुरी है।जगह जगह सडक़ों पर गड्ढे हो रहे हैं इसे लेकर पीआईएल लगाने की नौबत आ रही है।
संसद का असर निचली पीढ़ी पर आ रहा: डॉ अग्रवाल
गजराराजा मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन डॉ एसआर अग्रवाल कहते हैं कि गुरुवार को शहर में जिस तरह से पुलिस ने नाकाबंदी की उससे मरीजों को काफी परेशानी हुई। वे समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सके। इसके लिए शहर के लोगों को सोचने की जरूरत है कि यह शहर कहां जा रहा है। वे कहते हैं कि इसके लिए राजनेता भी जिम्मेदार हैं क्योंकि अक्सर लोकसभा राज्यसभा में तोड़ फोड़ और भोंडे भाषण होने पर उसका असर नीचे की पीढ़ी पर आ रहा है। बार-बार चुनाव होते हैं और हथियार जमा कराए जाते हैं। क्या चिकित्सक गुंडे अथवा बदमाश हैं? जो उनके भी हथियार जमा कराए जा रहे हैं। यह पूरी तरह अनुचित है।
सस्ती लोकप्रियता के लिए ताकत दिखाना ठीक नहीं: शर्मा
वरिष्ठ राजनेता बृजेश शर्मा कहते हैं कि कुछ तत्व सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए धरना, प्रदर्शन, जाम लगाते हैं जिससे आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऊपर से प्रशासनिक अधिकारियों को इन सबसे निपटने की लिए कंधों पर भारी बोझ आ जाता है जिससे उनका कार्य प्रभावित होता है। इस तरह के लोगों पर अंकुश लगाना जरूरी है।
