घंटों तड़पती रही गर्भवती महिला, नर्स ने कराया प्रसव, नवजात की मौत

मामला मुरार जच्चा खाने का

ग्वालियर, न.सं.। मुरार जिला अस्पताल व इससे जुड़े जच्चा खाने की अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए भले ही मंत्री से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तमाम प्रयास करने में लगे हुए हैं, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी और चिकित्सकों की लापरवाही से व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। यही कारण है कि चिकित्सकों की लापरवाही से गर्भवती महिला ने अपने नवजात को खो दिया। जिसकी शिकायत परिजनों ने सिविल सर्जन कार्यालय में भी की है।

हजीरा गोसपुरा निवासी प्रियंका पत्नी गौरव को प्रसव पीड़ा के चलते परिजन मुरार जच्चा खाने में 1 मई को दोपहर 12:30 बजे लेकर पहुंचे थे। जहां मौजूद स्टाफ ने महिला को 2 बजे भर्ती किया। भर्ती के दौरान महिला की जांच कराई गई और परिजनों को बताया गया कि बच्चे के गले में अंटा लगा हुआ है। इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा। जिस पर परिजनों ने भी महिला की स्थिति को देखते हुए ऑपरेशन की सहमति जता दी। महिला के पति का आरोप है कि ऑपरेशन की लिखित सहमति देने के बाद भी ऑपरेशन नहीं किया गया। जिस कारण उनकी पत्नी दर्द से तड़पती रही। इतना ही नहीं जब रात 10 बजे असहनीय दर्द होने लगा तो ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने सामान्य प्रसव कराया। प्रसव के बाद उनके बच्चे की हालत गम्भीर बातते हुए कमलाराजा अस्पताल के लिए रेफर कर दिया, जहां चिकित्सकों ने दो दिन बाद उसे मृत घोषित कर दिया। गौरव का आरोप है कि कमलाराजा के चिकित्सकों ने भी उन्हें बताया था कि अगर बच्चे का ऑपरेशन समय पर हो जाता तो उसे इन्फेक्सन न होता, लेकिन लापरवाही के कारण उनके बच्चे की मौत हो गई।


बाहर से कराया अल्ट्रासाउण्ड

गौरव का कहना है कि भर्ती के बाद स्टाफ ने अल्ट्रासाउण्ड कराने के लिए कहा तो पता चला कि अल्ट्रासाउण्ड हो ही नहीं रहे हैं। ऐसे में उन्हें बाहर निजी सेन्टर पर जाकर एक हजार रुपए में अल्ट्रासाउण्ड कराना पड़ा।


ऑपरेशन हो जाता तो बच्चा मेरे पास होता

प्रियंका का कहना है कि मैंने खुद भी ऑपरेशन करने की सहमति दे दी थी, लेकिन पूरे दिन कोई चिकित्सक उन्हें देखने नहीं आया। स्टाफ ने भी उन्हें बाहर निकाल दिया था। अगर चिकित्सक समय पर आकर उसका ऑपरेशन कर देते तो मेरा बच्चा आज हमारे पास होता।


जांच कमेटी गठित

परिजनों की शिकायत पर सिविल सर्जन डॉ. आर.के. शर्मा ने तीन सदस्यीय एक जांच कमेटी गठित कर दी है, लेकिन देखना यह है कि इस बार सिविल सर्जन लापरवाह चिकित्सकों व स्टाफ पर कार्रवाई करते हैं या फिर लीपापोती कर मामले को रफादफा कर देंगे, क्योंकि इससे पहले भी चिकित्सकों की लापरवाही के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन आज दिन तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

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