हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था

ग्वालियर। हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था इन पंक्तियों को चरितार्थ कर रहे हैं ग्वालियर चंबल संभाग के भारतीय जनता पार्टी के 10 और कांग्रेस के चार कद्दावर नेता क्योंकि जिस पार्टी ने इन्हें मान-सम्मान, पद- प्रतिष्ठा दी, कार्यकर्ताओं से लेकर नेता बनाया। वह उसी पार्टी की पीठ में छुरा घोपते नजर आए। परीक्षा की घड़ी में उसी की आंखें दिखा चुनौती बन गए हैं। तो आईए जानते हैं बागी कहां बने बांधा -
1.लहार - रसाल सिंह
रसाल सिंह को भाजपा ने कार्यकर्ता से नेता बनाया. जन संघ से 2 बार, भाजपा से 5 बार टिकट दिया। जिसमें वह 4 बार विधायक भी चुने गए लेकिन पार्टी से धोखा देकर वह हाथी की सवारी कर बैठे। पार्टी ने उन्हें सम्मानित करने का काम किया लेकिन उन्होंने इस पार्टी को अपमानित किया।
2. अटेर - मुन्ना सिंह भदौरिया
मुन्ना सिंह भदौरिया भाजपा के टिकट पर 1990 व 1998 में दो बार विधायक बने। उन्हें बीज निगम के अध्यक्ष भी भारतीय जनता पार्टी ने बनाया लेकिन इन्होंने पार्टी से गद्दारी कर पार्टी के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ा।
3. संजीव सिंह कुशवाह
संजीव कुशवाहा के पिता डॉ.राम लखन सिंह को भाजपा ने भिंड दतिया लोकसभा सीट से 4 बार सांसद का टिकट दिया और सांसद बनाया। लेकिन इन्होंने पुत्र मुंह में पार्टी से विश्वास घात कर बेटे संजीव कुशवाह को बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़वाया और पार्टी को नुकसान पहुंचाया।
4. दतिया - अवधेश नायक
अवधेश नायक को पार्टी ने नेता बनाया। 2003 में उन्हें विधायक का टिकट दिया लेकिन वह जीत नहीं पाए। इसके बाद पार्टी में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम का उपाध्यक्ष बनाकर, राज्य मंत्री का दर्जा देने का काम किया। लेकिन वह जिस भारतीय जनता पार्टी को मां बताते थे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बात कर छोड़ गए और भाजपा के लिए चुनौती बने और नुकसान पहुंचाया।
5. कोलारस - वीरेंद्र रघुवंशी
भारतीय जनता पार्टी ने वीरेंद्र रघुवंशी को 2018 में विधायक का टिकट दिया और विधानसभा पहुंचा। लेकिन इन्होंने पार्टी के साथ विश्वास घात करते हुए भाजपा छोड़ी और कांग्रेस की गोद में जा बैठे। लेकिन धोखेबाज रघुवंशी को कांग्रेस से धोखा मिला और उनकी लालसा अनुसार उन्हें विधायक का टिकट नहीं मिला।
6. चाचौड़ा - ममता मीणा
भारतीय जनता पार्टी ने ममता मीणा को 3 बार टिकट दिया जिस पर वह 2 बार हारी, 1 बार जीत कर विधायक बनी। इस तरह पार्टी ने उन्हें खूब सम्मान दिया। लेकिन उन्होंने पार्टी को अपमानित करते हुए आम आदमी पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ा और पार्टी को नुकसान पहुंचा।
7. श्योपुर - बिहारी सिंह सोलंकी
बिहार सोलंकी को पार्टी ने जिला उपाध्यक्ष बनाया सम्मान दिया। लेकिन वह अपने कद को नहीं समझ पाए और बड़ा नेता मानकर बगावत कर बैठे चुनाव लड़े। जिस पार्टी को नुकसान हुआ।
8. मुरैना - राकेश रुस्तम सिंह
रुस्तम सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने 4 बार 2003, 2008, 2013, 2018 में टिकट दिया वह 2 बार विधायक भी बने और मंत्री भी। लेकिन पार्टी से मिले सम्मान उन्हें रास नहीं आया और पुत्रमोह में बेटे राकेश सिंह को बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लाडवा कर पार्टी को कमजोर करने का काम किया।
9. भितरवार - बृजेंद्र तिवारी
बृजेंद्र तिवारी को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया और वह विधायक बने लेकिन उन्होंने भी पार्टी छोडक़र पार्टी के साथ गद्दारी करने का काम किया।
10. ग्वालियर ग्रामीण - मदन कुशवाहा
पूर्व विधायक मदन कुशवाहा को पार्टी ने प्रदेश मंत्री बनाया और संगठन की बड़ी जिम्मेदारी दी। लेकिन सत्ता के लालची मदन कुशवाह ने पार्टी को नुकसान पहुंचा और कांग्रेस की गोद में जा बैठे। जिससे भाजपा को नुकसान हुआ।
11. दिमनी - बालवीर दंडोतिया
पूर्व विधायक बलबीर दंडोतिया ने कांग्रेस से विश्वास घात करते हुए परीक्षा की घड़ी चुनाव के समय बहुजन का हाथ थाम लिया जिससे कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचा।
12. सुमावली - कुलदीप सिकरवार
कुलदीप सिकरवार को कांग्रेस ने विधायक का टिकट दिया विरोध और कमजोर स्थिति देखते हुए टिकट बदला। तो वह जिस पार्टी को जिताने की बात कर रहे थे उसे ही हारने की बात करते नजर आए और बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े।
13. पोहरी - प्रद्युम्न वर्मा
पोहरी जनपद अध्यक्ष रहे प्रद्युम्न वर्मा कांग्रेस में कई महत्वपूर्ण पद पर रहे लेकिन विधायक बनने की इच्छा में अपनी ही पार्टी को टा-टा, बाय-बाय बोलकर हाथी पर जा बैठे। जिससे कांग्रेस को नुकसान हुआ।
14. डबरा - सत्यप्रकाशी पडसेरिया - नगर पंचायत अध्यक्ष रही सत्यप्रकाश पड़सेरिया कांग्रेस के कई महत्वपूर्ण पद पर रही। लेकिन वह विधायक बन भोपाल जाने की चाह में कांग्रेस को धोखा देती नजर आई। वह बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ पार्टी को नुकसान पहुंचाने में कामयाब रही।
