मछलीघर के संचालन पर विपक्ष अड़ा, कहा ठेके पर दिया जाए, सभापति ने वोटिंग कराई तो सत्ता पक्ष को मुंह की खानी पड़ी

मछलीघर के संचालन पर विपक्ष अड़ा, कहा ठेके पर दिया जाए, सभापति ने वोटिंग कराई तो सत्ता पक्ष को मुंह की खानी पड़ी
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नोडल अधिकारी शिशिर श्रीवास्तव पर लगे गड़बड़ी के आरोप

ग्वालियर,न.सं.। नगर निगम द्वारा शुरु किए गए मछलीघर के संचालन लेकर मंगलवार को परिषद की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष का कहना था कि मछलीघर को ठेके पर दिया जाए और गड़बड़ी करने वाले नोडल अधिकारी शिशिर श्रीवास्तव को मूल विभाग पीएचई में वापस भेजा जाए। वहीं सत्ता पक्ष मछलीघर को ठेके पर नहीं देने की बात कह रहा था। बाद में हंंगामे की स्थिति बनी तो प्रभारी सभापति गिर्राज कंसाना ने वोटिंंग करा डाली। जिस पर सत्ता पक्ष को मुंह की खानी पड़़ी।

मछलीघर के मुद्दे पर पार्षदों ने कहा कि वर्ष 2013-14 में 12 हजार से अधिक सैलानी यहां पहुंचे थे, लेकिन 2015-16 में यह संख्या घटकर सिर्फ 100 रह गई। इसका मतलब कहीं न कहीं गड़बड़ी हो रही है। वहीं जब बैजाताल बोट क्लब के संचालन में सिर्फ आय का ब्यौरा दिया गया है, व्यय का कोई विवरण नहीं है। जिस पर एमआईसी सदस्य अवधेश कौरव ने सभापति से कहा कि नई बोटों का किराया तय कर दिया जाए, साथ ही व्यय का ब्यौरा मंगा लिया जाए। लेकिन प्रस्ताव को वापस नहीं किया जाए। तभी पार्षद बृजेश श्रीवास ने कहा कि वोट क्लब के पीछे गंदगी बह रही है। बैजाताल में साफ पानी बहाने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया, लेकिन वह भी कोई काम नहीं कर रहा है। बाद में सभापति ने निर्देश दिए कि बैजाताल का संचालन पूर्व निर्धारित दरों पर किया जाए तथा पूर्ण आय-व्यय की जानकारी के साथ प्रस्ताव पुन: प्रस्तुत किया जाए।

इससे पूर्व पार्षद नागेन्द्र राणा ने कहा कि ठेले वालों के यूनिक आईडी कार्ड बनाए जाए। जिससे रोज-रोज की पर्ची से राहत मिलेगी। अर्पणा पाटिल ने कहा कि आड़े टेड़े ठेले खड़़े होने से शहर की सुुंदरता खराब होती है। सभी ठेलों का आकार एक जैसा हो और सबके पास कचरादान जरूर होना चाहिए। पार्षद बृजेश श्रीवास ने कहा कि ठेले वालों से अवैध वसूली होती है। इनको राहत देते हुए वर्ष में 365 की जगह 300 रूपए का पंंजीयन कराया जाए। इससे यह भी पता चलेगा कि शहर में कितने ठेले है। सत्ता पक्ष में बैठे पार्षद मनोज राजपूूत ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कंस मामा कहा तो विपक्ष ने हंगामा शुरु कर दिया व साथ ही बृजेश श्रीवास ने कहा कि पप्पू आलू से सोना बना सकते है। बाद में सभापति ने मामले को शांत कराया। एमआईसी सदस्य अवधेश कौरव ने कहा कि ठेले वालों को नगर निगम द्वारा खदेड़ा जाता है। जब भी कोई नेता आता है तो उनका ठेला ही जप्त कर लिया जाता है। 20 साल बाद मुख्यमंत्री ने ठेका प्र्रथा को बंद करने का निर्णय लिया है, लेकिन जो गजट नोटिफिकेशन जारी किया है उसमें वसूली का तरीका बदल दिया है। जिसके बाद प्रभारी सभापति गिर्राज कंसाना ने वार्षिक राशि 300 रूपए, छिमाही 150, त्रैमासिक 75 व मासिक 25 शुुल्क निर्धारित कर प्रस्ताव को स्वीकृति दी।

परिवार के साथ माता पिता का भी हो बीमा

पार्षदों ने कहा कि सभी सदस्यों का बीमा 10 लाख रूपए का किया जाए।

पारिवारिक बीमा में माता-पिता भी शामिल हो। महिला पार्षदों ने कहा कि उनके सास-ससुर को भी शामिल किया जाए। साथ ही 10 लाख का बीमा किया जाए। एमआईसी सदस्य ने कहा कि हमे अपने साथ-साथ शहर की भी चिंता करनी चाहिए। बीमा की राशि 7 लाख रूपए हो, तो नेता प्र्रतिपक्ष हरीपाल ने कहा कि आठ लाख रूपए की राशि सही रहेगी। लेकिन अन्य पार्षदों ने कहा कि 10 लाख की मांग की तो सर्वसम्मति से सभापति ने स्वीकृति देते हुए कहा कि सदस्यों का बीमा 10 लाख रूपए में होगा और उसमें माता-पिता के साथ महिला पार्षदों के सास-ससुर का बीमा भी होगा।

इन बिंदुओं पर बनी सहमति

बैठक के दौरान अनुसार मानव कुष्ठ सेवा आश्रम को दिए जा रहे अनुदान के संबंध में निगमायुक्त के प्रतिवेदन पर चर्चा के उपरान्त निर्णय लिया गया कि मानव कुष्ठ सेवा आश्रम का बकाया भुगतान किया जाए एवं अनुदान में वृद्धि करते हुए 35 हजार रूपए के स्थान पर 51 हजार रूपए का अनुदान प्रदान किया जाए।

-उच्च न्यायालय खण्डपीठ में निगम की ओर से प्रस्तुत प्रथम अपील नगर निगम ग्वालियर विरूद्ध रेयन सिल्क मैनयुफैक्चरिंग को. लि. को वापस किए जाने की स्वीकृति के सम्बंध में प्राप्त प्रस्ताव पर चर्चा उपरान्त सर्वसमिति से प्रस्ताव को स्वीकृत करते हुए अपील वापिस लेने की स्वीकृति दी गई।

1300 कर्मचारी कहां काम कर रहे है

निगम के विभिन्न विभागों और क्षेत्रीय कार्यालयों पर आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराने के लिए 25 करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृति और टेंडर बुलाने के मुद्दे पर विपक्षी पार्षदों ने कहा कि एमआईंसी ने प्रस्ताव में लगभग 1300 कर्मचारी लिखा है, लेकिन ये कर्मचारी कहां काम कर रहे हैं, ये नहीं पता। इन कर्मचारियों को पिछले दो माह से वेतन भी नहीं दिया गया है। इस पर सभापति ने आदेश दिए कि कर्मचारियों की सही जानकारी एवं आधार कार्ड के साथ सात दिन में सदन को उपलब्ध कराएं। कर्मचारियों का भुगतान पूर्व की भांति सुचारू रूप से किया जाए तथा प्रस्ताव को वापस कर दिया।

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