भगवान का किरदार निभाते समय होता है ईश्वरीय शक्ति का अनुभव

भगवान का किरदार निभाते समय होता है ईश्वरीय शक्ति का अनुभव
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श्री हित राधा कृष्ण कला मण्डल वृन्दावन के कलाकार नेपाल, हांगकांग, थाईलैंड और अमेरिका में कर चुके हैं रामलीला का मंचन

ग्वालियर। आधुनिकता की इस दौर में भी लोग रामलीला को देखना बहुत पसंद करते हैं। इससे प्रतीत होता है कि लोगों का सनातन संस्कृति के प्रति कितना लगाव है। फूलबाग स्थित रामलीला मैदान में श्री रामलीला समारोह समिति द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। यह रामलीला पिछले 77 वर्षों से जारी है। रामलीला का मंचन श्री हित राधा कृष्ण कला मण्डल वृन्दावन के निदेशक स्वामी चंद बिहारी वशिष्ट एवं देवेन्द्र वशिष्ट द्वारा किया जा रहा है। रामलीला 25 अक्टूबर तक होगी। स्वामी चंद बिहारी वशिष्ट ने बताया कि वह अब तक नेपाल, हांगकांग, थाईलैंड और अमेरिका जैसे बड़े शहरों में अपनी टीम के साथ रामलीला और कृष्ण लीला का मंचन कर चुके हैं। उनकी तीसरी पीढ़ी इस कार्य को आगे बढ़ा रही है। इस बार उनकी टीम में 28 कलाकार हैं जो अलग-अलग किरदार निभा रहे हैं। रामलीला के किरदारों ने स्वदेश से चर्चा करते हुए कहा कि जब वह मंच पर भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम, लक्ष्मण, और माता सीता का मंचन करते हैं तो आज भी कुछ क्षण के लिए उन्हें अपने अंदर ईश्वरीय शक्ति का अनुभव होता है।

25 वर्ष से कर रहे श्रीराम और श्रीकृष्ण का अभिनय

फूलबाग मैदान में हो रही रामलीला में भगवान राम का किरदार राधा बल्लभ वशिष्ठ निभा रहे हैं। श्री वशिष्ठ ने बताया कि वह पिछले 25 वर्ष से भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण का अभिनय निभा रहे हैं। मंच पर जाकर जब भगवान का किरदार निभाते हैं तो कुछ क्षण के लिए ईश्वरीय शक्ति का अनुभव होने लगता है। भगवान श्रीराम के किरदार को निभाते-निभाते लोग हमें भी भगवान राम के रूप में मानने लगे हैं और बहुत अधिक सम्मान करते हैं। कई लोग तो चरणों तक में लेट जाते हैं।

रामलीला का क्रेज बरकरार

रामलीला में लक्ष्मण का अभिनय करने वाले निखिल गौतम ने बताया कि आज भी लोगों में ईश्वर के बहुत अधिक श्रद्धा है। रामलीला हो या कृष्ण लीला लोग बहुत ही श्रद्धा से देखते हैं। इसका क्रेज आज भी बरकरार है। मैं पिछले 12 वर्ष से भगवान श्री कृष्ण और लक्ष्मण जी का किरदार निभा रहा हूं। रामलीला मंचन के लिए ग्वालियर में दूसरी बार आना हुआ है। लोगों की हमारे प्रति इतनी श्रद्धा है कि वह चरण धोकर तक पीने लगते हैं।

मां सीता के अभिनय में होता है मातृशक्ति का अहसास

रामलीला में माता सीता का अभिनय कर रहे संतोष शर्मा ने बताया कि उन्हें सीता मैया का अभिनय करना बेहद पसंद है। इस अभिनय को करते समय मातृशक्ति का अहसास होता है। पता चलता है कि माता सीता ने कितने दुखों को सहन किया। वह पिछले 10 वर्ष से माता सीता का अभिनय कर रहे है।

लगता है मैं भी रावण की तरह शक्तिशाली हूं

रामलीला में रावण का किरदार वृंदावन के मुकेश बाबू निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह पिछले 55 वर्ष से रावण और कंस का अभिनय कर रहे हैं। लोग मेरे इस अभिनय को देखकर थोड़ा डरते जरूर हैं, लेकिन किरदार की तारीफ भी करते हैं। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि जब हम मंच पर रावण और कंस का अभिनय निभाते हैं तो लगता है कि मैं भी उनकी तरह बहुत ताकतवर हूं। यह दोनों अभिनय मेरे पसंदीदा अभिनय है।

भगवान राम को हुआ 14 वर्ष का वनवास, केवट ने पार कराई गंगा नदी:-

रामलीला में बुधवार को भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास और केवट द्वारा भगवान श्रीराम को नदी पार कराने का मंचन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में धर्म प्रेमी उपस्थित थे। रामलीला मंचन में श्रीराम विवाह पश्चात चारों भाई अयोध्या लौटते है। एक दिन राजा दशरथ को अपने बालों पर सफेदी दिखाई देती है और वृद्धावस्था का अहसास होने पर अपने बड़े पुत्र राम को गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से अयोध्या का राज्य सौंपने का निश्चय करते हैं। कैकई की दासी मंथरा को जब पता चलता है कि राम अयोध्या के राजा बनने वाले हंै, तो वह उनके कान भरना शुरू कर देती है। मंथरा महारानी कैकई से कहती हंै कि यह उचित समय है कि महाराज दशरथ से अपने पुराने दो वचन मांग लो, पहला भरत को अयोध्या का राजा और श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास। कैकई, मंथरा की बातों में आ जाती हैं और उसके कहे अनुसार अपने दो वचन पूरे करवाने के लिए कोप भवन में चली जाती हंै। राजा दशरथ को जब पता चला कि उनकी प्रिय रानी कोप भवन में हंै तो वे वहां पहुंचते हैं और रानी से कोप भवन में आने का कारण पूछते हंै। कैकई अपने पुराने दो वचनों को याद दिलाते हुए राजा दशरथ से भरत को अयोध्या का राजा और राम को चौदह वर्ष का वनवास देने के लिए कहती हैं। इतना सुनते ही राजा मूर्छित हो जाते हैं। तमाम प्रयास के बाद भी कैकई नहीं मानती हैं। इसके बाद राम, सीता और लक्ष्मण वन को चले जाते हैं। वन में केवट भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी को गंगा पार कराते हैं। गंगा पार कराने का मंचन बुधवार को बैजाताल पर किया गया। इस दौरान वहां काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर सरपंच सुरेंद्र शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित थे। गुुरुवार को राजा दशरथ मरण, भरत मिलाप, श्रीराम का पंचवटी निवास की लीलाओं का मंचन किया जाएगा।

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