मंत्री की नाराजगी के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई, अमृत फार्मेसी में मरीजों के साथ लूट

ग्वालियर, न.सं.। जयारोग्य चिकित्सालय में संचालित अमृत फार्मेसी पर मंत्री की नाराजगी के तीन माह बाद भी जहां अस्पताल प्रबंधन कोई कार्रवाई नहीं कर सका। वहीं दवा स्टोर पर खुलेआम महंगी ब्रांडेड दवाएं बेच कर मरीजों को लूटा जा रहा है।
दरअसल जयारोग्य चिकित्सालय में प्रधानमंत्री जन औषधि अमृत योजना के तहत अमृत फार्मेसी इस उद्देश्य से शुरू की गई है कि यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों को कम दाम में दवाएं उपलब्ध हो सकें। लेकिन मरीजों को सस्ती जैनरिक दवाएं नसीब ही नहीं हो पा रही हैं। क्योंकि दवा स्टोर में जैनरिक दवाएं सिर्फ दिखावे के लिए ही रखी हुई हैं और मरीजों व उनके परिजनों को महंगी ब्रांडेड दवाएं थमाई जा रही है। जिसकी शिकायतें भी कई बार सामने आ चुकी हैं, उसके बाद भी जिम्मेदार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे। इतना ही नहीं चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास विश्वास सारंग मई माह में जयारोग्य का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने दवा स्टोर का भी निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान उन्हें दवा स्टोर में ब्रांडेड दवाएं मिली थीं। इसके आलवा दवा स्टोर पर मौजूद कर्मचारी मंत्री को दवा की बिलिंग व अन्य दस्तावेज भी नहीं दिखा पाए थे। जिसको लेकर मंत्री ने नाराजगी व्यक्त करते हुए दवा स्टोर की जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद भी जिम्मेदारों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पूर्व अधिष्ठाता ने जारी किया था नोटिस
चिकित्सा शिक्षा मंत्री की नाराजगी के दो दिन बाद ही 10 मई को गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. समीर गुप्ता द्वारा फार्मेसी के संचालक को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि अमृत स्टोर में केवल शासन द्वारा निर्धारित की गई जैनरिक दवाएं ही वितरित की जाएं। इसके अलावा अनाधिकृत रूप से ब्रांडेड दवाएं विक्रय में शामिल समस्त कर्मचारियों को हटा कर मामले की जांच करें और पांच दिवस में जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत करें। लेकिन नोटिस के बाद संचालक द्वारा न तो कर्मचारियों को हटाया गया और न ही आज दिन तक कोई कार्रवाई की गई।
आठ में से छह सात दवाएं ब्रांडेड कम्पनी की
जयारोग्य के मेडिसिन विभाग में भर्ती सपना जोशी की चिकित्सक ने छुट्टी करते हुए घर के लिए दवाएं लिखी। सपना का भाई दवाएं लेने अमृत दवा स्टोर पहुंचा। जहां उसे चिकित्सक द्वारा लिखी गई आठ प्रकार की दवाओं में से छह दवाएं महंगी ब्रांडेड कम्पनी की थमा दी गई, जिसकी कीमत 1570 थी। जिसको लेकर मरीज के भाई ने जैनरिक दवा देने के लिए कहा तो स्टोर संचालक ने मना कर दिया। इतना ही नहीं समना का भाई वही पर्चा बाहर निजी मेडिकल पर लेकर पहुंचा तो उसे वही दवाएं 1200 को मिली, जिसके बाद मरीज के भाई ने अमृत से ली गई दवाओं को वापस किया।
अमृत स्टोर पर ब्रांडेड दवाएं क्यों बेची जा रही है, इसकी जांच करा कर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. अक्षय निगम
अधिष्ठाता, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय
