पंजाबी तड़का, ग्वालियर का अंदाज : भदौरिया छोले कुलचे

ग्वालियर / सुजान सिंह। शहर में तरह-तरह के स्ट्रीट फूड मिलते हैं, लेकिन महापौर बंगले के समीप लगने वाला भदौरिया छोले-कुलचे का ठेला इन दिनों लोगों की खास पसंद बना हुआ है। हर रोज सैकड़ों लोग यहां आकर इस लजीज व्यंजन का स्वाद लेते हैं और भदौरिया छोले कुल्चे सेन्टर इसके जायके के दीवाने हो जाते हैं। कांचमील निवासी विमल भदौरिया पिछले 17 सालों से छोले-कुलचे का ठेला लगा रहे हैं। छोटे से ठेले से शुरू हुई उनकी मेहनत और लगन ने आज इसे ग्वालियर का चर्चित स्ट्रीट फूड बना दिया है। शहरभर के खाने के शौकीन लोग यहां का नाम सुनकर ही खिंचे चले आते हैं। भदौरिया छोले-कुलचे के स्वाद ने न सिर्फ युवाओं बल्कि बुजुर्गों तक को अपना दीवाना बना लिया है। कई ग्राहक कहते हैं कि यह स्वाद उन्हें बचपन के छोले - कुलचों की याद दिलाता है। यहां का छोला मसालेदार जरूर है, लेकिन तीखा नहीं। इसलिए बच्चे, युवा और बुजुर्ग हर कोई आराम से इसका स्वाद ले सकता है।
घर पर भी ले जाते हैं लोग
विमल भदौरिया बताते हैं कि छोले-कुलचे सिर्फ ठेले पर खाए जाने तक सीमित नहीं हैं । कई लोग इन्हें पैक करवा कर घर ले जाते हैं ताकि पूरा परिवार इस स्वाद का आनंद उठा सके। त्योहारों और पारिवारिक आयोजनों में भी लोग इन्हें स्पेशल डिश के तौर पर शामिल करते हैं।
खास मसालों का कमाल
भदौरिया छोले-कुलचे की लोकप्रियता का सबसे बड़ा राज है घर में तैयार किए गए मसाले ।
• छोले को धीमी आंच पर लंबे समय तक पकाया जाता है, जिससे उनमें गाढ़ापन और असली स्वाद आता है ।
• कुलचे तवे पर मक्खन की हल्की परत के साथ सेंके जाते हैं, जो बाहर से कुरकुरे और अंदर से मुलायम रहते हैं।
• ऊपर से डाली जाने वाली खट्टी-मीठी इमली की चटनी, बारीक कटा प्याज, हरी मिर्च और नींबू इसके जायके को दोगुना कर देते हैं ।
