नैरोगेज को ब्राडगेज में बदलने नहीं मिली जमीन, अटका मामला
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प्रशासन ने जमीनें तो चिन्हित की, लेकिन मुआवजे का प्रस्ताव नहीं बनाया
ग्वालियर/न.सं.। लोकसभा चुनाव के चलते जहां निर्माण व विकास कार्य लगातार ठप होते जा रहे हैं। वहीं ग्वालियर से श्योपुर के बीच सबसे बड़ी ब्रॉडगेज परियोजना भी अटक गई है। प्रशासन ने यहां सर्वे करते हुए अधिग्रहित की जाने वाली जमीनें तो चिह्नित कर ली हैं, लेकिन अब मुआवजा वितरण प्रस्ताव और वन भूमि अधिग्रहण के प्रस्ताव ही नहीं बन सके। इन प्रस्तावों को तहसील स्तर से पटवारी व तहसीलदारों द्वारा बनाया जाना है। लेकिन अधिकारियों की अदला-बदली और अन्य कामों के फेर में नैरोगज को ब्रॉडगेज में बदलने की परियोजना फिर अटक गई है।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद इस परियोजना पर अधिकारियों के काम की रफ्तार और धीमी हो गई है। इसमें न तो प्रस्ताव तैयार हो सके और न ही वन भूमि अधिग्रहण की फाइल आगे बढ़ पाई है। नतीजा रेलवे को अधिग्रहण के लिए चिह्नित की गई जमीन का आवंटन नहीं हो सका है। रेलवे को जमीन देने का काम अब मई के बाद ही हो सकेगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के चलते अधिकारियोंं की ड्यूटी लगाई जा रही है। पटवारी व कर्मचारियों का चुनावी प्रशिक्षण शुरू हो गया है। ऐसे में आचार संहिता और चुनावी माहौल के कारण इस काम को गति नहीं मिल पाएगी।
तीन तहसीलों के 40 गांवों की जमीन है दायरे में
ब्रॉडगेज परियोजना के लिए जिले में श्योपुर, कराहल और वीरपुर तहसील के 47 गांवों की निजी व शासकीय भूमि अधिग्रहण की जद में है। इन गांवों में वीरपुर तहसील के बड़ागांव, श्यारदा, वीरपुर, पांचो, सिखेड़ा, गोहर, जाखेड़, तेलीपुरा, छाबर, घूघस, श्यामपुर, बासोना, भेरापुरा, धोरीबावड़ी, डोंगरपुर, रघुनाथपुर, रावतपुरा, सुमरेरा, महुआमार, टर्राकला, बलावनी, चांदपुरा, हांसलखुर्द, हांसिलपुर, श्योपुर तहसील के नसीरपुर, फूलदा, गोठरा, कोंकड़, लाडपुरा, चकबमूल्या, शंकरपुर, कोटरा, न्यू भीकापुर, दांतरदाखुर्द, रायपुरा, बर्धाबुजुर्ग, मेवाड़ा और कराहल तहसील के हीरापुर व गिरधरपुर शामिल हैं।
एक साल से लटकी है अधिग्रहण की कार्रवाई
रेलवे का प्रोजेक्ट शुरू हुए पांच साल से ज्यादा हो गए हैं। कभी बजट के फेर में यह प्रोजेक्ट अटका तो कभी रेलवे ने इस पर देरी की। बीते एक साल से यह प्रोजेक्ट जमीन अधिग्रहण के फेर में अटका रहा।
आए दिन नैरोगेज का इंजन होता है फेल
वर्तमान में ग्वालियर से श्योपुर व ग्वालियर से सबलगढ़ के लिए चार नैरोगेज ट्रेनें संचालित हैं। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग रोजाना आते-जाते हैं। हजारों की संख्या में आने-जाने वाले यात्री उस समय बेहद परेशान होते हैं, जब ट्रेन का इंजन बीच रास्ते में फेल हो जाता है। यहां तक की ट्रेन की बोगियों में भी सीटें टूटी हुईं हैं और पानी व पंखे के भी कोई इंतजाम नहीं हैं।
Naveen Savita
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