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बाजार में सर्जिकल स्ट्राइक और इंडियन आर्मी पिचकारी की धूम

बाजार में सर्जिकल स्ट्राइक और इंडियन आर्मी पिचकारी की धूम
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चाइनीज पिचकारियों व रंगों से खिला बाजार

ग्वालियर/न.सं.। होली में अब केवल तीन दिन का समय है और अब उसकी रंगत बाजारों में दिखने लगी है। पिचकारी व रंग-गुलाल का बाजार गुलजार हो गया है। इस बार बाजार में सर्जिकल स्ट्राइक व इंडियम आर्मी के नाम से आई पिचकारी लोगों को लुभा रही है। हालांकि जीएसटी की वजह से पिचकारी के दामों में करीब 20 फीसदी तक बढ़ोत्तरी हुई है। हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार होली इस बार 20 व 21 मार्च को मनाया जाएगा। त्यौहार की खुशियां अभी से दिखने लगी हैं। रंग-गुलाल व पिचकारी की मार्केट सज गई है। शहर के महाराज बाड़ा, मोर बाजार, थाटीपुर, मुरार सहित अन्य स्थानों पर पिचकारी व रंग-गुलाल की दुकानें लग गई हैं। इन स्थानों पर बड़े व्यापारियों से गांव व कस्बों के छोटे व्यापारी खरीदारी कर रहे हैं। बाजार में पांच रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक की पिचकारी उपलब्ध है। हालांकि 100 से 200 रुपए तक की पिचकारी लोगों की पसंद है। इसमें प्रेसर टैंक, बैग वाली पिचकारी, सर्जिकल स्ट्राइक व इंडियम आर्मी पिचकारी, मशीनगन, वाटर गन की डिमांड ज्यादा है। बच्चे डोरेमन, पोकेमन, छोटा भीम व गणेशा वाली पिचकारी खरीद रहे हैं।

भालू व बाल वाली टोपी की मांग

पिचकारी के साथ अब टोपी व मास्क की भी मांग बढ़ गई है। भालू व बाल वाली टोपी पहली पसंद बन रहे हैं। हालांकि गांधी टोपी, हैट आदि वैरायटी बाजार में उपलब्ध हैं। टोपी भी 10 रुपए से लेकर 300 रुपए तक उपलब्ध है।

पहली बार आया कलर बम

पहली बार बाजार में होली पर्व को लेकर कलर बम आया है, जिसे दागने पर रंग व गुलाल निकलता है। कलर भाग बम का रेट 15 व 35 रुपए प्रति पीस है। वहीं फाग स्पे्र भी मार्केट में उपलब्ध है, जिसकी डिमांड की जा रही है। फाग स्प्रे के दाम 35, 50 व 100 रुपए प्रति पीस है।

थपने लगीं गुलरियां

रंगों का त्यौहार होली आने में तीन दिन का समय शेष बचा है। लोगों ने होलिका दहन की तैयारी अभी से शुरू कर दी। होलिका दहन आगामी 20 मार्च को किया जाएगा, जबकि अगले दिन होली खेली जाएगी। महिलाओं ने होलिका दहन को गूलरी और कंडे थापना शुरू कर दिया है। बाजारों में भी व्यापारी होली की तैयारियों में जुट गए हैं।

सिंथेटिक मावा बिक रहा है बाजार में

लोगों की उपयोगिता को भांपते हुए बाजार में आढ़तियों के यहां क्विंटलों मावा इकट्ठा कर लिया गया है। इस मावे में अधिकतर मावा मिलावटी या सिंथेटिक है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की न जाने इन मावा व्यापारियों से क्या साठगांठ हो जाती है कि उन्हें मावा तक का नमूना लेने की फुर्सत नहीं मिलती, जिससे अब तो यही लगता है कि इस होली पर भी लोगों को नकली व सिंथेटिक मावा से बनी गुझिया ही खानी पड़ेगी।

Updated : 17 March 2019 6:05 PM GMT
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Naveen Savita

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