ग्वालियर : पं राजाभैया पूंछवाले एवं बाला साहब की स्मृति में संगीत समारोह का हुआ आयोजन

ग्वालियर। ग्वालियर घराने के मूर्धन्य संगीत साधक पं राजा भैया पूंछवाले और उनके पुत्र पं बालासाहेब पूंछवाले की याद में आज शहर में श्रद्धांजलि के सुर पिरोये गए। पं राजाभैया पूंछवाले संगीत परिषद द्वारा तानसेन कला वीथिका में संगीत की दोनों विभूतियों की याद में स्वरांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रख्यात सितारवादक श्रीराम उमड़ेकर ने सितारवादन एवं गायिका गौरी पाठारे ने गायन की प्रस्तुति दी। सभा का शुभारम्भ मुख्य अतिथि राजमानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्विद्यालय के कुलसचिव अजय शर्मा एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहें गंगादास की बड़ी शाला के महंत रामसेवक दास महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर की।
संगीत सभा का शुभारंभ ग्वालियर के जाने-माने कलाकार कुदाल गुरु के बेटे श्रीराम उमड़ेकर के सितारवादन से हुआ। उन्होंने राग तोड़ी में अपने वादन की प्रस्तुती दी। उन्होंने विलम्बित और द्रुत में अपनी वादन की प्रस्तुति दी। उन्होंने ख्याल अंग से रागीदारी की बारीकियों का निर्वहन करते हुए सभा में बेहतरीन रंग जमाया। उनके साथ संजय राठौर ने तबले पर संगत की।
सभा का समापन मुंबई से आई गायिका गौरी पाठारे के गायन से हुआ। किराना, जयपुर, अतरौली एवं ग्वालियर घराने को लेकर चलने वाली गौरी ने अपने गायन की शुरुआत राग जौनपुरी से की। उन्होंने झुमरा टाल में निबद्ध बंदिश पेश की जिसके बोल थे- ' काहे करात बरजोरी। जबकि तीन ताल में प्रस्तुत बंदिश के बोल थे- 'साजन गर लाये... उन्होंने अगली बंदिश अल्हैया बिलावल में पेश की जिसके बोल थे- कवन बटरिया। उन्होंने इसी राग में तराना पेश किया। उन्होंने सभा में रंग सजाते हुए होली गाई। प्रस्तुति का समापन उन्होंने भैरवी राग से किया। गौरी पाठारे के साथ तबले पर अनंत मसूरकर व हारमोनियम पर विवेक बंसोड़ ने संगत की।
संगीत समारोह पंडित बालासाहेब की शिष्या सुदिप्ता सेन गुप्ता की पुस्तक का विमोचन किया गया। सभा में डॉ प्रभाकर गोहदकर, डॉ रंजना टोणपे ,कल्पना जोशी, सहित बडी संख्या में संगीत रसिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ स्मिता सहस्त्रबुद्धे एवम आभार प्रदर्शन विकास विपट ने किया।
