मप्र में मायावती की एंट्री,किसका बिगाड़ेंगी खेल!

ग्वालियर | मप्र के विधानसभा चुनावों में बसपा सुप्रीमो मायावती इस बार पांच दिन प्रचार करने वालीं हैं।मायावती का पूरा फोकस बसपा के परंपरागत गढ़ो में हैं।पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार मायावती पांच दिन में दस बड़ी रैलियां करने जा रही है।इस खबर के राजनीतिक रूप से बड़े मायने हैं।बसपा अध्यक्ष उन इलाकों में सभाएं कर रही हैं जहां उसका प्रदर्शन 1993 के बाद से बेहतर रहा है। इससे भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के समीकरण प्रभावित होने के आसार हैं। आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार मायावती 6 अक्टूबर को अशोकनगर एवं मुंगावली,7 अक्टूबर को सागर,दमोह,छतरपुर,8 अक्टूबर को रीवा,सतना,10 अक्टूबर को दतिया ,सेंवढ़ा और 14 अक्टूबर को भिंड एवं मुरैना में सभाएं करने वाली हैं। ग्वालियर चंबल में मायावती की सर्वाधिक 6 सभाएं होंगी। इस लिहाज से अगर सीट वाइज देखा जाए तो भिंड सीट पर मायावती की सभा जहां कांग्रेस उम्मीदवार राकेश चौधरी के लिए नुकसानदेह हो सकती है वही बसपा के उम्मीदवार संजीव कुशवाहा के लिए बड़ा फायदा दे सकती है। इस सभा के बाद अगर बसपा का कोर वोटर पार्टी की ओर मुड़ता है तो यहां मुकाबला बसपा और भाजपा के मध्य हो जाएगा।
मुरैना सीट पर भी मायावती की सभा सीधे सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुँचा सकती है क्योंकि बसपा यहां सबसे मजबूत स्थिति में रहती आई है और बसपा के गुर्जर प्रत्याशी राकेश रुस्तम के लिए यह बड़ा फायदा कर सकती है।यहां भाजपा,बसपा और कांग्रेस तीनों ने गुर्जर प्रत्याशी उतारे हैं। बसपा के कोर वोटर अगर राकेश रुस्तम के साथ आते है तो यहां भी कांग्रेस तीसरे स्थान पर जा सकती है और मुकाबला भाजपा बसपा के बीच आकर टिक सकता है।
दतिया सीट पर लोकेंद्र अहिरवार को पार्टी ने टिकट दिया है अहिरवार बसपा के कोर वोटर से आते है ऐसे में मायावती अगर यहां सभा करेंगी तो बसपा कैडर एक्टीवेट होगा और इसका सीधा नुकसान कांग्रेस के राजेन्द्र भारती को होगा।कमोबेश सेंवढ़ा सीट पर भी कांग्रेस के लिए मायावती की सभा के मायने ऐसे ही हो सकते हैं क्योंकि बसपा के उम्मीदवार लाखन सिह यादव अंतत: कांग्रेस प्रत्याशी घनश्याम सिह के लिए ज्यादा मुसीबत खड़ा करेंगे। लाखन पिछले चुनाव में भी बसपा से लड़ चुके हैं।इस सीट पर बसपा का विद्यायक 2008 में जीत चुका है।
अशोकनगर ऐसी सीट रही है जहां से बसपा के बलबीर कुशवाहा 1998 में चुनाव जीत चुके हैं।यहां बसपा का कोर वोटर बड़ी संख्या में है।मायावती की सभा अंतत: यहां भी कांग्रेस के लिए संकट का सबब बन सकती है।पार्टी ने मुंगावली सीट से भी यादव उम्मीदवार उतारा है जो भाजपा और कांग्रेस के यादव उम्मीदवारों की परेशानी खड़ी कर सकता है।
मायावती सागर,दमोह,छतरपुर, रीवा,सतना में भी सभाएं लेंगी।जाहिर है बसपा न केवल सभी सीट्स पर चुनाव लड़ रही है बल्कि वह 90 के दशक के अपने प्रदर्शन को दोहराने की रणनीति पर भी काम कर रही है।मायावती की सभाओं के लिए जो सीट्स चुनी गईं हैं उससे स्पष्ट है कि वह अपनी पुरानी रणनीति पर काम कर रही है।ग्वालियर चंबल में 6 सभाओं का मतलब करीब 24 सीट्स पर बसपा कैडर और वोटरों को सक्रिय करना है।
