औषधियों के स्वामी भगवान धनवंतरी की पूजा धनतेरस को कल होगी

औषधियों के स्वामी भगवान धनवंतरी की पूजा धनतेरस को कल होगी
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भगवान धनवंतरी का प्राकट्य पर्व कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को प्रदोष व्यापिनी तिथि में मनाने का विधान है।

ग्वालियर, न.सं.। औषधियों के स्वामी भगवान धनवंतरी की पूजा 10 नवंबर शुक्रवार को धनतेरस के दिन होगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि यह पर्व प्रदोष व्यापिनी तिथि में मनाने का विधान है। भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य भगवान धनवंतरी का प्राकट्य पर्व कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को प्रदोष व्यापिनी तिथि में मनाने का विधान है।

समुद्र मंथन के समय चौदह प्रमुख रत्नों की उत्पत्ति हुई जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धनवंतरी प्रकट हुए जो अपने हाथों में अमृतकलश लिए हुए थे। भगवान धनवंतरी विष्णु जी का ही अंशावतार हैं। चार भुजाधारी भगवान धनवंतरी के एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ, दूसरे में औषधि कलश, तीसरे में जड़ी बूटी और चौथे में शंख विद्यमान है। भगवान विष्णु ने इन्हें देवताओं का वैद्य और औषधियों का स्वामी नियुक्त किया है। इन्हीं के वरदान स्वरूप सभी वृक्षों वनस्पतियों में रोगनाशक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ।

अमृतमय औषधियों के जनक भगवान धनवंतरी:-

भगवान धनवंतरी जी ने ही जनकल्याण के लिए अमृतमय औषधियों की खोज की थी। धनवंतरी जी प्राणियों पर कृपा कर उन्हें आरोग्य प्रदान करते हैं। इसलिए धनतेरस पर केवल धन प्राप्ति की कामना के लिए पूजा न करें, स्वास्थ्य धन प्राप्ति के लिए धनवंतरि भगवान की पूजा करें। समुद्र मंथन के दौरान जब धनवंतरी जी प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में कलश था, यही कारण है कि धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा है।

पूजा का शुभ मुहूर्त:-

भगवान धनवंतरी की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट प्रारंभ हो जाएगा जो शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। सबसे पहले नहाकर साफ वस्त्र पहनें। भगवान धनवंतरी की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। उसके बाद भगवान धनवंतरी का आह्वान करें। भगवान को फल-फूल, रोली, अक्षत, चंदन, पान, पुष्प आदि चढक़ार खीर का भोग लगाएं। भगवान धनवंतरी से सुख व आरोग्य का आशीर्वाद पाने के लिए कमलगट्टे की माला से ‘धन्वंतराये नम: मंत्र’ का जप करें।

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