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शीतला माता मंदिर में शेर भी होते हैं नतमस्तक

शीतला माता मंदिर में शेर भी होते हैं नतमस्तक
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ग्वालियर, न.सं.। आज शनिवार से शारदेय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। कोरोना काल में शहर में स्थित माता के मंदिरों में भक्तों की भीड़ न उमड़े इसके विशेष इंतजाम जिला प्रशासन ने किए हैं। शहर और उसके आसपास माता के कई ऐसे मंदिर हैं, जो ऐतिहासिक होने के साथ साथ भक्तों की श्रृद्धा का केन्द्र बने हुए हैं। ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में स्वदेश ने जानने का प्रयास किया है। आज इस संदर्भ में हम आपको ग्वालियर शहर से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित सांतऊ की शीतला माता के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

सांतऊ स्थित शीतला माता पिछले 450 सालों से भक्तों की मुराद पूरी करती चली आ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि माता की महिमा है कि तब से लेकर अब तक सांतऊ व आसपास के गांवों में माता की कृपा से खुशहाली है। कहते हैं कि आज भी यहां माता के दर्शन के लिए शेर आते हैं। वर्तमान में इस शेर के दो शावक भी हैं जिन्हें लॉकडाउन के दौरान मंदिर के महंत कमल सिंह द्वारा देखा गया। शीतला माता को डकैत ही नहीं पुलिस वाले भी बहुत मानते थे। इसका प्रमाण यहां अंचल के कुख्यात डकैतों के साथ-साथ डकैत मारने वाले पुलिस वालों द्वारा चढ़ाए गए घंटे हैं। इस मंदिर की स्थापना को लेकर एक रोचक मान्यता है जो आज भी गांव में चर्चित है। बताते हैं कि 450 वर्ष पहले महंत गजाधर बाबा गोहद के पास धरूआ गांव में गाय चराने के लिए जाते थे। वहां एक माता का छोटा सा मंदिर था, जिस पर महंतश्री जल और दूध से माता का अभिषेक किया करते थे। ऐसा कई वर्ष तक चलता रहा। महंत गजाधर बाबा की भक्ति देखकर मां बाल कन्या के रूप में प्रकट हुईं और बोली की मुझे यहां से ले जाकर कहीं दूसरी जगह स्थापित करो। इसके बाद महंतश्री माता को कंधे पर लेकर ग्राम सांतऊ आ गए। यहां माता दो माह विराजमान रहीं। इसके बाद माता ने जंगल में स्थापित करने की बात कही। महंतश्री ने माता को जंगल में स्थापित किया और यहां से वह बाल कन्या गायब हो गई। तभी से लेकर आज तक भक्तों द्वारा शीतला माता की पूजा की जा रही है। यहां प्रति सोमवार को विशाल मेला भी लगता है।

भक्तों की हर मुराद पूरी करती है मां:-

मां शीतला माता पर यहां के लोगों का अटूट विश्वास है। ऐसा कहा जाता है कि माता के दरबार में जो भी पहुंचता है, उसकी मुराद मां बिना कहे ही पूरी कर देती है। विश्वास व आस्था के साथ जो लोग यहां पहुंचते हैं मां उसकी जरूर सुनती है। माता पर विश्वास रखने वालों इस गांव के तमाम लोग माता की महिमा के बारे में बताते हैं। कष्ट हरने वाली माता ने किसी को निरोगी काया दी तो किसी के पुत्र पुत्रियों की नौकरी व शादी ब्याह में आ रही अड़चनों को दूर किया। भितरवार के डॉ. आर.पी. गुप्ता बताते हैं कि वे यहां पिछले 45 वर्षों से आ रहे हैं। मां पर उनका अटूट विश्वास है। आज तक जो भी मांगा मिला। अपने पुत्र की नौकरी को लेकर वे काफी परेशान थे। तब मन में आया कि क्यों न मां से ही कहा जाए और आश्चर्य जैसे ही मन ही मन में मैने मां को यह समस्या बतायी, उसके कुछ दिन बाद ही उनके बच्चे को नौकरी लग गई। रिझौरा गांव के ही मनोज पांडे का कहना है कि उनके जीवन में जब भी कोई परेशानी आती है मां उसे तुरंत दूर करती है। कोई न कोई रास्ता ऐसा मिल जाता है जिससे परेशानी दूर हो जाती है।

Updated : 12 Oct 2021 11:22 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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