दीपावली पर मिट्टी और गोबर से बने दीपक फैलाएंगे उजियारा

दीपावली पर मिट्टी और गोबर से बने दीपक फैलाएंगे उजियारा
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चीन को एक बार फिर सबक सिखाने की तैयारी

ग्वालियर, न.सं.। कोरोना संकट के कारण रोजगार छिन जाने से अनेक लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें आर्थिक आधार मिले और वे स्वावलंबन की ओर बढ़ें, इस हेतु लघु उद्योग भारती एवं कॉन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा इस दीपावली पर चीन को एक बार फिर सबक सिखाने और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए गाय के शुद्ध गोबर व मिट्टी से बनी वस्तुओं का निर्माण शुरू कर दिया है। हाथ से बनी यह वस्तुंऐ दीपावली से पहने बिकना शुरू हो जाएगी। इसमें एक खास बात यह भी है कि गौ सेवा गतिविधि को बढ़ाने के लिए गोबर का उपयोग सबसे अधिक किया जा रहा है। गोबर से बने दीपक देखने में बेहद ही सुंदर हैं। इस योजना के अंतर्गत जहां लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं स्वदेशी वस्तुओं को भी बढ़ावा मिलेगा।

दीवाली और दीयों का अनोखा नाता है। परंपरागत मिट्टी और गोबर के दीए आकाशदीप को प्रज्जवलित करके दीपावली को स्मरणीय बनाते हैं। इस वर्ष दीवाली के अवसर पर गोमय दीयों का यह उपक्रम शहर की संस्थाओं ने अपने हाथ में लिया है। इस योजना के तहत कई महिलाओं को घर बैठे ही रोजगार मिलना शुरू हो गया है। लोगों की मांग के अनुसार दीपक व अन्य सजावटी सामान का निर्माण बाजार की मांग के आधार पर किया जा रहा है क्योंकि रक्षाबंधन की तरह इस बार भी दीपावली पर चीन की वस्तुओं की बिक्री नहीं की जाएगी।

इन वस्तुओं का हो रहा है निर्माण:-

दीपावली पर हर व्यक्ति अपने घर को सुंदर से सुंदर सजाने का प्रयास करता है। सजाने वाली वस्तुएं अगर हाथों से बनी हो तो इसकी बात ही कुछ ओर होती है। इसी क्रम में संस्थाओं की इन महिलाओं द्वारा मिट्टी और गोबर से बने दीपक, लक्ष्मी-गणेश, शुभ-लाभ, सजावटी मोमबत्तियां, फूलों की झालर, तोरण, पेंटिंग, झूमर, वंदनवार, खिलौने,लक्ष्मी जी के चरण, पूजा की थाली, हवन सामाग्री, धूप बत्ती, हाथी, घोड़े आदि शामिल हैं। मुख्य रूप से ग्वालियर जिले से लेखिता सिंघल, प्रीति विजयवर्गीय, नीलम जैन, नीलम शाह, नीतेश जैन, शिल्पी जैन, अपर्णा शेफाली आदि उद्यमी महिलाएं और काफी जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार प्रदान कर रहे हैं।

चीन को फिर होगा अरबों का नुकसान:-

दीपावली का त्यौहार देश-दुनिया का सबसे बड़ा त्यौहार होता है। चीन हर बार दीपावली पर अपने उत्पाद भारत में बेचकर करोड़ों-अरबों रुपए कमा कर ले जाता था। दाम कम होने के कारण स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री नहीं हो पाती थी। व्यापार की दृष्टि से हमारे शहर की बहने रक्षाबंधन पर हाथ बनी राखी बनाकर चीन को मूंहतोड़़ जवाब दे चुकी हैं। इन बहनों द्वारा इस बार भी दीपावली पर हाथ से बनी वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है। यह सभी वस्तुएं कम दामों पर लोगों को उपलब्ध हो सकेंगी और देश का पैसा देश में ही रहेगा जो हमारे व्यापारियों के व्यापार को बढ़ाने का काम करेगा।

इन दीपकों से नहीं होता है प्रदूषण:-

हाथ से बने यह दीपक सरसों का तेल और रूई की बाती से जलाने हैं। बाती के साथ-साथ यह दीया भी थोड़ा-थोड़ा जल जाता है। पांच-छह दिनों के बाद अर्थात दीपावली समाप्त होने पर कपूर का उपयोग कर घर में ही यह दीए पूरी तरह से जला देने हैं। जहां दीया जल कर नष्ट हो जाएगा और हवा भी शुद्ध हो जाएगी। हवा तो शुद्ध होती ही है इसी के साथ दीए के कोई अवशेष भी नहीं बचते हैं। यह दीया प्रकृति में ही समा जाता है और प्रदूषण भी नहीं होता है।

इनका कहना है:-

'हाथ से बनी वस्तुओं को बनाने का काम शुरू हो चुका है। यह स्वदेशी सामान सस्ता होने के साथ देखने में सुंदर भी होगा। साथ ही स्वदेशी लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराएगा। दीपावली से पहले इस सामान की बिक्री शुरू हो जाएगी।'

आदेश बंसल, प्रदेश उपाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

'हमारी कई महिलाएं स्वदेशी वस्तुओं को बनाने में लगी हैं। इन वस्तुओं में गाय का शुद्ध गोबर व मिट्टी उपयोग किया जा रहा है। दीपावली पर इनकी बिक्री शुरू होगी। '

श्रीमती रीना गांधी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य


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