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जयारोग्य में संसाधनों की कमी व अव्यवस्थाओं से मरते मरीज

जयारोग्य में संसाधनों की कमी व अव्यवस्थाओं से मरते मरीज
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ग्वालियर, न.सं.। अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में परिजन यह सोचकर मरीज को लाते हैं कि यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच अनुभवी चिकित्सक से उपचार मिलेगा। लेकिन यहां हकीकत इससे उलट है। अस्पताल में संसाधनों की कमी व अव्यवस्थाओं के कारण मरीज को इमरजेंसी, ओपीडी से लेकर वार्ड तक में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिन चिकित्सकों के कंधों पर मरीजों की जिम्मेदरी है, उनके पास मरीजों को देखने तक की फुर्सत ही नहीं है। इमरजेंसी, ओपीडी, ऑपरेशन, आईसीयू, ट्रॉमा सेंटर, बर्न यूनिट सब जगह कमान जूनियर ही संभाले हैं। इतना ही नहीं इमरजेंसी में जब मरीज पहुंचता है तो उसे अव्यवस्थाओं की दुहाई देकर लौटा तक दिया जाता है। जिस कारण ऐसे मरीज जो निजी अस्पताल में उपचार कराने के लिए सक्षम होते हैं वह तो चले जाते हैं। लेकिन गरीब मरीज चिकित्सकों के अभद्र व्यवहार के बाद भी उपचार की गुहार लगाते रहते हैं। जिसका एक मामला गत दिवस रात को भी सामने आया। जब सड़क दुर्घटना में घायल युवक को गम्भीर स्थिति में परिजन जयारोग्य की कैजुअल्टी में उपचार के लिए पहुंचे। लेकिन चिकित्सक ने ऑक्सीजन सिलेण्डर न होने की बात कहते हुए भर्ती करने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं युवक करीब आधे घंटे तक एम्बुलेंस में बेहोश ही पड़ा रहा और बाद में अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत करने के बाद युवक को ट्रॉमा सेन्टर में भर्ती किया गया।

ट्रॉमा में वेन्टीलेटर की जगह थमा दिया जाता है अम्बू बैग

अस्पताल की अव्यवस्थाएं यहीं नहीं थमती। जयारोग्य के ट्रॉमा सेन्टर में अधिकांश गम्भीर मरीज ही पहुंचते हैं। जिनमें से कई को वेन्टीलेटर की भी जरूरत पड़ती है। लेकिन पर्याप्त वेन्टीलेटर के आभाव में मरीजों के परिजनों को अम्बू बैग थमा दिया जाता है। उसके बाद भी परिजन अपने मरीज की खतिर मजबूरत दिन रात अम्बू बैग से ऑक्सीजन देते रहते हैं।

निजी अस्पताल के चक्कर में दी जाती है अव्यवस्थाओं की दुहाई

आपातकालीन स्थिति में अधिकांश मरीज सबसे पहले जयारोग्य की कैजुअल्टी के 8 नम्बर कमरे में पहुंचता है। जहां चिकित्सक मरीज का परीक्षण कर तय करता है कि उसे किस विभाग में भर्ती कराना है। लेकिन यहां रात की ड्यूटी में मौजूद चिकित्सक मरीज को अव्यवस्थाओं की दुहाई देकर निजी अस्पताल में शिफ्ट करा देते हैं। मरीजों के साथ दलाली में निजी एम्बुलेंस चालकों की भी कैजुअल्टी के चिकित्सकों के साथ सांठगांठ रहती है। इसलिए कैजुअल्टी के बाहर अवैध रूप से रात के समय निजी एम्बुलेंसों का जमावड़ा रहता है।

इनका कहना है

युवक को भर्ती करने में क्यों देरी की गई इसकी जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ. आर.के.एस. धाकड़, अधीक्षक, जयारोग्य चिकित्सालय

Updated : 12 Oct 2021 11:22 AM GMT
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