दो भाईयों को खामोशी का ईनाम केदार को ग्रामीण अध्यक्ष, कल्याण को बनाया प्रदेश महामंत्री

ग्वालियर,न.सं.। ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से कांग्रेस से टिकट कटने पर दो भाइयों द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा देकर विरोध किए जाने के बाद इस चुनाव में दोनों ने खामोशी ओढ़ ली। खामोशी ओढऩे के बदले इन दोनों भाइयों को इनाम के रूप में एक भाई केदार कंसाना को ग्वालियर ग्रामीण का अध्यक्ष और दूसरे कल्याण सिंह कंसाना को प्रदेश महामंत्री बनकर दिया गया है। वहीं ग्वालियर ग्रामीण के अध्यक्ष प्रभुदयाल जोहरे इस निर्णय से अचंभित हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि उन्हें बाकायदा निर्वाचन के जरिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ग्रामीण अध्यक्ष बनाया था ऐसे में उन्हें नहीं हटाया जा सकता, वे अध्यक्ष पद पर ही हैं। उल्लेखनीय है कि ग्वालियर ग्रामीण से इस बार कांग्रेस ने साहब सिंह गुर्जर को विधानसभा का टिकट दिया और वह चुनाव भी लड़े हैं।
जैसे ही साहब सिंह के टिकट की घोषणा हुई तब सबसे पहले उनके घोर विरोधी केदार कंसाना और कल्याण कंसाना ने कांग्रेस से स्तीफा दे दिया। साथ ही केदार कंसाना के बसपा में शामिल होकर चुनाव लडऩे की बात भी उठी लेकिन बाद में दोनों भाइयों ने खामोशी ओढ ली। फिर जैसे ही मतदान निपटा उसके अगले ही दिन कांग्रेस के प्रदेश संगठन प्रभारी राजीव सिंह की ओर से शनिवार को दो अलग-अलग पत्र जारी किए गए हैं जिनमें से एक में केदार कंसाना को ग्वालियर ग्रामीण कांग्रेस का अध्यक्ष और दूसरे पत्र में कल्याण कंसाना को प्रदेश महामंत्री का दायित्व सौंपा गया है। यानीकी भले ही दोनों भाइयों ने कांग्रेस के लिए कोई काम नहीं किया लेकिन खामोशी ओढने के इनाम बदौलत दोनों को पदों पर आसीन कर साधने की कोशिश की गई है। वैसे यहां बता दें कि चुनाव के कुछ दिन पहले कांग्रेस में प्रदेश स्तरीय कई पद रेवडिय़ों की तरह बांटे जा चुके हैं। आने वाले दिनों में इसी तरह के पद और भी बांटे जाएंगे।
अभी तो मैं ही अध्यक्ष हूं: जोहरे
इस मामले में जब ग्वालियर ग्रामीण के अध्यक्ष प्रभुदयाल जोहरे से बात की गई तब उन्होंने स्पष्ट किया कि एआईसीसी ने बाकायदा निर्वाचन के जरिए उन्हें जनवरी 2023 में ग्रामीण कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। इसलिए प्रदेश का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव में अनुसूचित जाति के वोट ले लिए और अब मुझे ही पद से हटाने की बात हो रही है, यह सब ठीक नहीं है।
