घी की जगह पानी से बनाए गए पकवान, 150 वर्ष पुराना है श्री करौली माता का मंदिर
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ग्वालियर, न.सं.। श्री राजराजेश्वरी करौली माता के चमत्कार भक्तों को सदा ही होते रहते हैं। इस दरबार में पहुंचकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। करौली माता का एक मंदिर मुख्यत: राजस्थान में तो दूसरा मंदिर ग्वालियर के महलगांव क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर में काली, लक्ष्मी, सरस्वती, चामुण्डा और लागुर वीर के साथ कुंवर बाबा भी विराजमान हैं। आज हम आपको महलगांव स्थित करौली माता (श्री राजराजेश्वरी कैला महारानी महालक्ष्मी) के मंदिर के चमत्कारों के बारे में बता रहे हैं।
महलगांव स्थित श्री करौली माता का मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है। इस मंदिर में कुंआ और बावड़ी भी है। मंदिर का निर्माण मंदिर के पहले महंत ब्रह्मलीन हीरालाल शाडिल्य को सपने में आकर माता ने दर्शन दिया और उनसे कहा कि वह मंदिर का निर्माण कराएं। इसके बाद मंदिर निर्माण का कार्य कराया गया। करौली माता मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा बुद्ध पूर्णिमा की पड़वा के दिन हुई। पहले करौली माता को पिण्डी के रूप में विराजमान किया गया था। इसके बाद पिण्डी के स्थान पर जयपुर से लाई गई माता की प्रतिमाएं स्थापित की गईं।
मंदिर में होने वाले चमत्कार
वैसे तो करौली मंदिर में आए दिन चमत्कार होते रहते हैं। यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए ग्वालियर संभाग सहित अन्य कई प्रदेशों में प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि मंदिर की 40वीं वर्षगांठ मनाई जा रही थी। इस अवसर पर भण्डारे का आयोजन किया गया। भण्डारे में पकवान बनाने के लिए घी कम पड़ गया। तब महंत हीरालाल महाराज ने भण्डारा बना रहे लोगों से कहा कि मंदिर परिसर में स्थित वह कैलासागर सरोवर से पानी लाकर उसे घी के स्थान पर डाल दें। सरोवर से 40 टीन भरकर पानी लाया गया और उससे घी के पकवान बनाए गए। दूसरे दिन 40 टीन घी कैलासागर में डाल दिया गया।
भक्त ने चढ़ाई थी काटकर जीभ:
कुछ वर्ष पूर्व एक भक्त ने मनोकामना मांगी थी कि मनोकामना पूर्ण होने पर अपनी जीभ काटकर माता को अर्पित करेगा। भक्त ने मनोकामना पूरी होने पर अपनी जीभ काट दी। इसके बाद वहां पुलिस आ गई और वह भक्त को ले जाने लगी तो उसने जाने से मना कर दिया। इसके बाद पुलिस जीभ को अपने साथ ले गई। कुछ ही देर में वह जीभ थाने से गायब हो गई और भक्त की जीभ जुड़कर सही हो गई। ऐसे एक नहीं माता के कइयों चमत्कार हैं।
भक्तों के लिए कैलासागर का निर्माण किया
करौली माता मंदिर में आने वाले भक्तों को पानी की कमी नहीं हो इसके लिए मंदिर परिसर में ही कैलासागर सरोवर का निर्माण किया। इस सरोवर में 15 वर्ष पूर्व तक पानी रहता था लेकिन पानी का जलस्तर कम होने के कारण यह सरोवर सूख गया है।
कुंवर बाबा की आती थी सवारी
बताया जाता है कि ब्रह्मलीन महंत हीरालाल महाराज को कुंवर बाबा की सवारी आती थी। सवारी के दौरान वह मंदिर में आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होने का वरदान देते थे। बताया यह भी जाता है कि जब कुंवर बाबा को रात्रि में सवारी आती थी उस समय मंदिर के पीछे से जो भी ट्रेन निकलती थी, वह भी उस समय कुछ सेकण्ड के लिए रुक जाती थी। यह सवारी प्रति सोमवार को आती थी।
इनका कहना है:-
'यह मंदिर 150 वर्ष पुराना है। पहले मां पिण्डी के रूप में विराजमान थी, उसके बाद उनकी प्रतिमा स्थापित की गई। यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। माता के चमत्कार भी अनगिनत हैं।'
-कपिल शर्मा
पुजारी, कैला माता महारानी एवं कुंवर महाराज
'मां ने बहुत कुछ दिया है और हर मनोकामना पूरी की है। मां की सेवा करने से अद्भुद शांति प्राप्त होती है।Ó
-कालीचरण दास, भक्त, अनुपम नगर
'मैंने मां से जो मांगा है वह सब मिला है। चाहे मेरी मांग पढ़ाई से सबंधित हो या फिर नौकरी से, मां की कृपा हमेशा मुझ पर बनी रहती है।Ó
मोहिनी शर्मा, भक्त, मुरार
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