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जीवाजी विवि के पास नहीं हैं ज्यादातर कश्मीरी छात्रों के मूल पते व रिकॉर्ड

प्रवेश देते समय विवि ने बरती घोर लापरवाही, स्थानीय पतों को दिया अधिक महत्व, दस्तावेज खंगाले तो नहीं मिल रहा रिकार्ड, अधिकारियों के फूले हांथ-पांव,शोधार्थी के आतंकी बनने के खुलासे के बाद विवि खंगाल रहा कश्मीरी छात्रों का रिकार्ड

जीवाजी विवि के पास नहीं हैं ज्यादातर कश्मीरी छात्रों के मूल पते व रिकॉर्ड
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ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। जीवाजी विश्वविद्यालय से एमफिल करने वाले शोधार्थी के आतंकी बनने के खुलासे के बाद विवि प्रशासन ने पीएचडी एवं एमफिल कर रहे कश्मीरी छात्रों का रिकार्ड खंगालना शुरू कर दिया है। विवि से मौजूदा समय में 123 कश्मीरी छात्र पीएचडी कर रहे हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से ज्यादातर छात्रों के मूल पता व रिकार्ड नहीं है। उनके सिर्फ स्थानीय पते हैं, जहां पर वह या तो रह रहे हैं या फिर किसी परिचित का पता दिया है। इन छात्रों का यह रिकार्ड नहीं मिल रहा है कि वह जम्मू-कश्मीर में कहां के रहने वाले हैं और उनकी क्या पृष्ठभूमि है? इस मामले में विवि ने घोर लापरवाही बरती है, इसलिए अब रिकार्ड न मिलने से उनके हाथ-पांव फूल रहे हैं।

जीवाजी विश्वविद्यालय से पीएचडी एवं एमफिल करने वाले कश्मीरी छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वह अंचल में आकर पढ़ाई को अधिक महत्व दे रहे हैं। विवि इन छात्रों का बिना कोई रिकार्ड खंगाले और पुलिस वेरीफिकेशन कराए बिना ही आसानी से प्रवेश दे रहा है। प्रवेश देते समय मूल पते व रिकार्ड की बजाय स्थानीय पतों को अधिक महत्व दिया जाता है। यही वजह है कि अब इन कश्मीरी छात्रों का मूल रिकार्ड नहीं मिल रहा है। विवि से एमफिल करने वाले कश्मीरी छात्र सबजार अहमद सोफी के हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बनने एवं मुठभेड़ में मारे जाने के बाद विवि की चारों तरफ किरकिरी हो रही है और यह बात लगातार उठ रही है कि विवि कहीं न कहीं आतंकियों की शरणस्थली बनता जा रहा है। इस खुलासे के बाद प्रशासन की नींद हराम हो गई है और आंखें भी खुल गई हैं। विवि ने अपनी साख सुधारने के लिए इन कश्मीरी छात्रों का रिकार्ड खंगालना शुरू किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। विवि से पीएचडी व एमफिल करने वाले ज्यादातर छात्रों का विवि के पास पूरा रिकार्ड नहीं हैं। वह कहां के रहने वाले हैं और उनका बैक ग्राउंड है? यह सब नहीं मिल रहा है। विवि के पास उनके स्थानीय पता व रिकार्ड है। इससे पता चलता है कि विवि प्रशासन ने कश्मीरी छात्रों को बिना परीक्षण व जांच-पड़ताल के प्रवेश देने में भारी लापरवाही बरती है, जो अब विवि के लिए गले की फांस बनता जा रहा है।

एमफिल के 75 छात्रों का रिकार्ड देखा, छूट रहे पसीने

प्राथमिक जांच में विवि प्रशासन ने एमफिल के करीब 75 कश्मीरी छात्रों का रिकार्ड खंगाला है। इनमें से ज्यादातर छात्रों का रिकार्ड व पता नहीं मिल रहा है। यह मूलरूप से कहां के रहने वाले हैं और उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है? यह सब पता लगाने में पसीने छूट रहे हैं। विभागों ने भी अपनी रस्म-अदायगी कर प्रशासन को सूची सौंपने की तैयारी कर ली है, लेकिन विभाग यह नहीं बता पा रहे कि वह मूलरूप से कहां के निवासी हैं?

विवि से यह कश्मीरी छात्र कर रहे पीएचडी

रसायन शास्त्र- 08, प्राणिकी विज्ञान- 09, अंग्रेजी- 48, मनोविज्ञान- 01, दर्शनशास्त्र- 02, राजनीति विज्ञान- 31, गणित- 04, वनस्पति विज्ञान- 08, भौतिकी- 05, पर्यावरण विज्ञान- 02, यात्रा एवं प्रबंधन- 01, वाणिज्य- 04

इनका कहना है -

जीवाजी विश्वविद्यालय से पीएचडी और एमफिल करने वाले कश्मीरी छात्रों का रिकॉर्ड एकत्रित किया जा रहा है। जो प्रारंभिक सूची बनाई है 18 उसमें से विषयों में लगभग 195 छात्रों के नाम सामने आये हैं जो मौजूदा समय में पीएचडी और एमफिल कर रहे हैं । जल्दी ही ये रिकॉर्ड एकत्रित कर लिया जायेगा ।

प्रो. आनंद मिश्रा, कुलसचिव, जीवाजी विवि ग्वालियर

आज जिस प्रकार से कश्मीरी छात्रों के तार आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ रहे हैं उससे विवि की छवि धूमिल हो रही है। विश्वविद्यालय के पास कश्मीरी छात्रों का रिकॉर्ड ना होना और बिना कोर्स वर्क के परीक्षा उत्तीर्ण करना निश्चित रूप से कहीं ना कहीं अराजकता और घालमेल को दर्शाता है, इस मामले को गंभीरता से उठाया जाएगा।

डॉ. नीतेश शर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, अभाविप














Updated : 28 Oct 2018 5:31 PM GMT
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