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अहंकार और लोभ को त्यागने के बाद ही जीवन में शांति संभव है: मुनिश्री

अहंकार और लोभ को त्यागने के बाद ही जीवन में शांति संभव है: मुनिश्री
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ग्वालियर, न.सं.। अहंकार और लोभ को त्यागने के बाद ही जीवन में शांति संभव है। जब तक मनुष्य विषय वासनाओं और भौतिक सुखों के चक्कर में लगा रहेगा तब तक उसे वास्तविक सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती। यह उद्गार राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने सोमवार को तानसेन नगर स्थित न्यू कालोनी ने धर्म चर्चा में व्यक्त किए। मुनिश्री ने कहा कि मनुष्य की असली परेशानी यह है कि उसके अंदर संतुष्टि का भाव नहीं रह गया है और भागमभाग में वह तनाव और अवसाद से ग्रस्त होता जा रहा है। इसमें उसकी अपनी कमियां भी जिम्मेवार हैं। सामाजिकता का भाव उसमें रहा नहीं है जिससे उसको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वह अपने खुद के बुने जाल में उलझता जा रहा है। मुनिश्री ने कहा कि आप सभी ने सत्य बोलने के लिए तलाक ले लिया है। इसलिए कभी सत्य नहीं बोलते। सत्य बोलने वाले की कीर्ति दूर दूर तक होती है। उन्होंने कहा कि मोबाइल ने आज झूठ बोलना सिखा दिया है।

Updated : 23 April 2020 9:02 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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