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रिश्ता वह होता है जो दिल से निभाया जाता है: मुनिश्री

रिश्ता वह होता है जो दिल से निभाया जाता है: मुनिश्री
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ग्वालियर, न.सं.। रिश्ता वह नहीं होता जो दुनिया को दिखाया जाता है। रिश्ता वह होता है जो दिल से निभाया जाता है। अपना कहने से कोई अपना नहीं होता अपना तो वह होता है जिसे दिल से अपनाया जाता है। रिश्तों को बनाने में नहीं अपितु निभाने में विश्वास होना चाहिए। रिश्ते बनाना उतना ही आसान है जैसे मिट्टी से मिट्टी पर मिट्टी लिखना। मगर रिश्तो को निभाना उतना ही कठिन है जैसे पानी से पानी पर पानी लिखना। यह विचार मुनिश्री प्रतीक सागर जी महाराज ने अमोल धर्मशाला स्थित आचार्य पुष्पदंत सागर सभागृह में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कही। मुनिश्री ने कहा कि परिवार में सुई बनकर जोडऩे का कार्य करें कैंची बनकर काटने का काम नहीं करें।

रिश्तो में दीवार भले ही खड़ी हो जाए पर दरार नहीं पढऩा चाहिए। यह सच है कि जब कोई अपना दूर चला जाए तकलीफ होती है पर असली तकलीफ तब होती है जब कोई अपना पास होकर के भी दूरियां बना लेता है। रिश्ता जब टूटने लगे और आपके झुकने से अगर वह बच सकता है टूटने से अच्छा है झुक जाएं। यही समझदार व्यक्ति का लक्षण है, अकड़ से रिश्ते टूटते हैं झुकने से रिश्ते मजबूत होते हैं। मुनिश्री ने कहा कि पिता-पुत्र में ,सासु-बहू में ,पति-पत्नी में, भाई भाई में, कितना भी झगड़ा हो जाए तब भी कभी अदालत पुलिस थाने ना जाए। घर में बैठ कर के ही उन समस्याओं का समाधान कर लें। कार्यक्रम के बाद मुनिश्री की मंगलमय आरती की गई।

Updated : 11 July 2020 1:24 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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