शस्त्र पूजा में शिथिलता आने से परतंत्र बना था भारत: हिंदवी स्वराज की अवधारणा एवं भारत का अमृत काल विषय पर व्याख्यान आयोजित

शस्त्र पूजा में शिथिलता आने से परतंत्र बना था भारत: हिंदवी स्वराज की अवधारणा एवं भारत का अमृत काल विषय पर व्याख्यान आयोजित
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शिवाजी महाराज ने सही, त्वरित न्याय जो शीघ्र क्रियान्वित हो सके उसे राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना

ग्वालियर। भारत में शास्त्र पूजा तो होती रही, किंतु शस्त्र पूजा में कहीं न कहीं शिथिलता आ जाने के कारण मुगल, मंगोल इत्यादि बर्बर समुदायों द्वारा भारत को परतंत्र बना लिया गया। जिससे देश के सद्गुण में विकृति आ गई। कई बार शत्रु को अनावश्यक दया दिखाकर अभय दे दिया गया, किंतु राष्ट्र पर आए इस संकट को कैसे दूर किया जाए, ताकि फिर से राष्ट्र स्वाधीन हो सके, यह विचार अनेक भारतीयों के मन में जाग्रत रहा। इनमें से शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई भी थीं। उन्होंने छत्रपति शिवाजी को युद्ध कौशल से लेकर राज कौशल तक में प्रवीण बनाया। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत के सह प्रांत प्रचारक विमल गुप्ता ने आईआईटीटीएम सभागार में हिंदवी स्वराज की अवधारणा एवं भारत का अमृत काल विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही। अधिवक्ता परिषद मध्यभारत प्रांत की ग्वालियर इकाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता आईटीएम यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर दौलत सिंह चौहान ने की।

अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय मंत्री दीपेन्द्र सिंह कुशवाह, मध्य भारत प्रांत अध्यक्ष वीरेंद्र पाल, प्रांत उपाध्यक्ष माला खरे, ग्वालियर जिला अध्यक्ष अरुण शर्मा भी मंचासीन रहे। मुख्य वक्ता श्री गुप्ता ने कहा कि वीर शिवाजी ने आठ वर्ष की आयु में ही अपने पिता को आदिल शाह के दरबार में सिर झुकाकर प्रवेश करता देखकर, स्वयं बिना सिर झुकाए प्रवेश किया। शिवाजी महाराज सिंह के जैसे, एक स्वाभाविक व प्राकृतिक राजा थे। राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत, स्व पर आधारित, स्व की प्रेरणा देते हुए समाज को बताया कि भारत के निवासी एक शूरवीर तथा विकसित समाज के वंशज हैं तथा उनके स्वाभिमान को जगाया। शिवाजी महाराज ने सही, त्वरित न्याय जो शीघ्र क्रियान्वित हो सके उसे राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना।

इस अवसर पर अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री शुक्ला, उप महाधिवक्ता रविन्द्र सिंह, राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य जयप्रकाश मिश्रा, मोहित शिवहरे, शैलेंद्र सिंह कुशवाह, अखिल प्रताप सिंह तोमर, मान सिंह जादौन, कौशलेंद्र सिंह तोमर आदि उपस्थित थे। बॉक्स शिवाजी ने स्वदेश, स्वधर्म, स्वभाषा, स्वावलंबन को दिया बढ़ावा श्री गुप्ता ने कहा कि शिवाजी महाराज ने अपने राज्य में वंशवाद को पोषित नहीं किया। स्व के भाव के जागरण के लिए उनके सेनापति भी संघर्ष में साथ रहे। शिवाजी का राज्य स्वदेश, स्वधर्म, स्वभाषा, स्वावलंबन इत्यादि सिद्धांतों पर आधारित था। मराठा साम्राज्य अफगानिस्तान से बंगाल तक फैला हुआ था।

छत्रपति शिवाजी ने अफजल खान जैसे शत्रुओं को समुचित तरीके से उत्तर दिया। शिवाजी महाराज द्वारा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अत्यंत गंभीर प्रयास किए। जिसके कारण ही आज 350 वर्ष पश्चात भी कृतज्ञ राष्ट्र उनको याद कर रहा है। बॉक्स समाज सुधारक थे शिवाजी: चौहान अध्यक्षीय उद्बोधन में दौलत सिंह चौहान ने कहा कि छत्रपति शिवाजी का जीवन प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने सती प्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध किया। उन पर उनके गुरू समर्थ रामदास का भी प्रभाव रहा। उनके द्वारा मुस्लिम सैनिकों की भी टुकड़ी बनाई गई जो उनकी धर्मनिरपेक्षता का एक प्रमाण है। शिवाजी द्वारा अष्टप्रधान का मॉडल दिया गया। जिसमें एक सलाहकार परिषद थी। शिवाजी का समता एवं समानता का सिद्धांत अपने समय से बहुत आगे जाकर था, जिसमें महिला अधिकार भी प्रमुख हैं। उनके द्वारा महिला पंचायत और महिला परिषद बनाई गई।


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