Home > राज्य > मध्यप्रदेश > ग्वालियर > GRMC में नियमों को रखा ताक पर, पैरामेडिकल स्टाफ की हुई थोकबंद भर्तियां

GRMC में नियमों को रखा ताक पर, पैरामेडिकल स्टाफ की हुई थोकबंद भर्तियां

GRMC में नियमों को रखा ताक पर,  पैरामेडिकल स्टाफ की हुई थोकबंद भर्तियां
X

वेबडेस्क। ग्वालियर के शासकीय गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय में आरक्षण नियमों को दरकिनार कर नर्सिंग एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की थोकबंद भर्तियां कर ली गई।जिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के अंक मैरिट में अनारक्षित वर्ग से अधिक है उन्हें नियमानुसार अनारक्षित श्रेणी में चयनित किया जाना था लेकिन ऐसा नही किया नतीजतन तमाम अनुसूचितजाति,जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थी समेकित चयन सूची में स्थान नही बना पाएं।

क्या है मामला-

ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्सों के करीब ढाई सौ पदों पर भर्ती के लिए एमपी ऑनलाइन के माध्यम से मैरिट सूची निर्मित कराई गई।इस सूची के अनुसार मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता ने एक छानबीन समिति गठित कर अंनतिम सूची तैयार की जिसमें अनारक्षित,अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति,ओबीसी एवं ईडब्ल्यूएस संवर्ग के अलग अलग नाम चयन हेतु प्रस्तावित किये गए।इस समिति में कुल 12 लोगों को शामिल किया गया जिसने कॉमन मैरिट सूची में से संवर्ग अनुरूप नाम निकाल कर नियक्ति आदेश जारी करने के लिए सूची अग्रेषित कर दी।

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि रेखा कुशवाहा नामक अभ्यर्थी ने इस सूची में 61 अंको के साथ मैरिट में प्रथम स्थान अर्जित किया लेकिन उनका चयन किया गया ओबीसी कोटे में।जबकि सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक एफ-7-46/आ.प्र./एक दिनांक 07.11.2000 के बिंदु क्रमांक 02 के अनुसार ऐसे अभ्यर्थियों को अनारक्षित संवर्ग में चयनित किया जाना है।ग्वालियर मेडिकल कॉलेज की इस भर्ती प्रक्रिया में इसी तरह की अक्षम्य धांधलियां कारित की गई है जिसके चलते ओबीसी के 24 अनुसूचित जाति के 4 अभ्यर्थी चयन से बाहर कर दिए गए है।

छानबीन समिति तकनीकी रूप से गलत-

डीन डॉ समीर गुप्ता ने एमपी ऑनलाइन द्वारा जारी मैरिट सूची के आधार पर अनन्तिम चयन हेतु जो कमेटी बनाई गई उसमें कुल 12 लोगों को शामिल किया जिसमें चार सदस्य कॉलेज के नर्सिंग स्कूल एवं शेष ऐसे विषयों के शिक्षक शामिल किए गए जो एनाटोमी,फिजियोलॉजी,पीसीएम जैसे नॉन क्लिनिकल वर्ग से थे।प्रावधान अनुसार इस समिति में आरक्षण के जानकार यथा अजाक्स प्रतिनिधि एवं कॉलेज के प्रशासकीय अधिकारी के रूप में अधीक्षक को शामिल किया जाना था।ऐसा न करते हुए आधे सदस्यों के हस्ताक्षर से मैरिट सूची को चयन हेतु अग्रेषित कर दिया गया।

नियुक्ति आदेश भी बगैर समिति के जारी -

आरक्षण प्रावधानों को दरकिनार कर जिस तरह संवीक्षा कार्य किया गया कमोबेश इसी तर्ज पर कॉलेज की चयन समिति को भरोसे में लिए बिना नियक्ति आदेश भी जारी कर दिए गए।चयन समिति के सदस्य सचिव एवं अधीक्षक मेडिकल कॉलेज डॉ आर के एस धाकड़ से जब हमने इस संबन्ध में बात की तो उन्होंने खुद को इस प्रक्रिया से अलग बताया,उन्होंने कहा कि संवीक्षा या नियुक्ति में उनके किसी स्थान पर हस्ताक्षर नही है।

कॉलेज में कमिश्नर ग्वालियर की प्रतिनिधि डॉ व्रन्दा जोशी ने भी इन नियुक्तियों के किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर से इनकार किया।जाहिर है ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में हुई इन भर्तियों में डीन स्तर पर ही सभी नीतिगत निर्णय लेकर न केवल आदर्श भर्ती नियमों को दरकिनार किया गया बल्कि आरक्षण जैसे संवेदनशील मसले का भी ध्यान नही रखा।

शासन ने जांच के आदेश जारी किए-

इस मामले की लिखित शिकायत जब उच्च स्तर पर हुई तो मामला जांच की जद में आ गया।14 अक्टूबर 2021 को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने मंत्रालय में आयोजित बैठक के दौरान ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में हुई इस भर्ती प्रक्रिया को दूषित मानते हुए जांच के आदेश दिए।आयुक्त ग्वालियर को मप्र शासन ने 24 नबम्बर को विधिवत पत्र जारी कर जांच प्रतिवेदन तलब किया है।

डीन के हास्यास्पद बचाब तर्क-

24 नवम्बर को जारी आदेश में शासन ने जांच प्रतिवेदन में त्रुटि सुधार के साथ इस कृत्य की जबाबदेही सुनिश्चित करने की बात कही जिसके अनुपालन में कॉलेज की स्वशासी समिति के अध्यक्ष एवं कमिश्नर ग्वालियर द्वारा एडिशनल कमिश्नर को तीन दिन में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया।एडिशनल कमिश्नर के समक्ष कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता ने दूषित भर्ती प्रक्रिया की बात लिखित में स्वीकार की लेकिन इस गलती के सुधार हेतु जो तर्क प्रस्तुत किया है वह उनकी प्रशासकीय समझ और क्षमताओं को कटघरे में खड़ा करता है।

डीन ने स्वीकार किया है कि अपर मुख्य सचिव की आपत्ति पर अनारक्षित वर्ग के रिक्त रह गए चार पदों में से तीन पर अनुसूचित जाति एवं एक पर ओबीसी अभ्यर्थी को नियुक्ति प्रदान कर भूल सुधार कर ली गई है।हास्यास्पद तर्क आगे यह दिया गया कि शेष रह गए 20 ओबीसी श्रेणी के पात्र अभ्यर्थियों को भविष्य में रिटायरमेंट से रिक्त होंने वाले पदों पर नियुक्तियां दी जा जायेंगी।डीन समीर गुप्ता ने अपर आयुक्त को लिखे जबाब में यह भी बताया की बर्ष 2029 तक इन छूटे हुए उम्मीदवारों को नियुक्त किया जाएगा।स्वदेश के पास डीन का वह लिखित जबाब मौजूद है जिसमें उन्होंने 2029 तक रिटायर होनें जा रही 20 स्टाफ नर्स की सूची सलंग्न की गई है।

27 के स्थान पर 14 फीसदी ही ओबीसी आरक्षण-

किस हड़बड़ी में इस भर्ती प्रक्रिया को अंजाम दिया गया इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मप्र शासन ने सभी सीधी भर्तियों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के निर्देश दिए है लेकिन ग्वालियर मेडिकल कॉलेज ने इस भर्ती प्रक्रिया में 14 फीसदी आरक्षण ही दिया लिहाज 13 फीसदी ओबीसी उम्मीदवार वैसे ही बाहर हो गए।

आयु सीमा में दोहरे मापदंड-

उच्चतर आयु सीमा का लाभ देते हुए एक तरफ मैरिट में कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दी गई वहीं पैरामेडिकल की अन्य भर्तियों में इस लाभ को अमल में नही लाया गया।

कोविड वैटेज भी नही दिया गया-

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र के आदेश क्रमांक 8671 दिनांक 24 मई 2021 में स्पष्ट लिखा है कि कोविड 19 में सेवाएं देनें वाले सभी अस्थाई कर्मियों को भविष्य की सभी भर्तियों में 10 फीसदी तक अधिभार दिया जाएगा।मेडिकल कॉलेज में इस आदेश को भी लागू नही किया नतीजतन कोविड कर्मियों को चयन सूची से बाहर होना पड़ गया।

विधानसभा में उठेगा मामला-

कोलारस विधायक वीरेंद्र सिंह रघुवंशी ने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता पर भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाते हुए इस मामले को आगामी शीत सत्र में उठाने की बात कही है।श्री रघुवंशी के अनुसार पिछले दिनों उन्होंने मेडिकल कॉलेज से जबरन मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाने का मामला उठाया था लेकिन डीन द्वारा कॉलेज के ऐसे चिकित्सकों के विरुद्ध कोई कारवाई नही की गई है उल्टे उन्हें सरंक्षण प्रदान किया जा रहा है।

बिहिसिलब्लोअर डॉ शर्मा ने की शिकायत-

पूर्व सीएमओ डॉ रामनिवास शर्मा ने इस मामले को आपराधिक भ्रष्टाचार बताते हुए इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री के साथ अनुसूचित जाति आयोग एवं पिछड़ावर्ग आयोग में दर्ज करा दी है।डॉ शर्मा ने आरोप लगाया कि मौजूदा डीन डॉ समीर गुप्ता ने जानबूझकर दूषित मानसिकता के साथ आरक्षण एवं अधिभार नियमों की अनदेखी की है।उन्होंने मुख्यमंत्री से उन्हें पद से हटाने की मांग भी की क्योंकि वे डीन के साथ खुद का 150 बिस्तर का अस्पताल भी संचालित कर रहे है।

क्या कहते है आयुक्त -

'इस मामले में अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर जांच के लिए ग्वालियर कमिश्नर से प्रतिवेदन मांगा गया है।विस्तृत जानकारी वही दे सकते हैं।

निशांत बरवड़े, आयुक्त एवं सहसचिव

चिकित्सा शिक्षा मप्र

कमिश्नर एवं अध्यक्ष मेडिकल कॉलेज ग्वालियर से उनके मोबाइल नम्बर एवं लैंड लाइन नम्बर पर सम्पर्क की कोशिशें की गई लेकिन वीसी में व्यस्तता के नाम पर उनका पक्ष सामने नही आ सका।मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस भर्ती प्रक्रिया की कोई जानकारी नही है न ही उनके किसी समिति में हस्ताक्षर है।

Updated : 1 Jan 2022 9:08 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top