दर्शन में प्रदर्शन करोगे तो खाली हाथ लौटोगे: स्वामी विद्यानंद

दर्शन में प्रदर्शन करोगे तो खाली हाथ लौटोगे: स्वामी विद्यानंद
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उन्होंने कहा कि संसार की टर टर से बचने के लिए भगवान के चरणों का आश्रय जरूरी है।

ग्वालियर। जब हम मंदिर में भगवान के विग्रह का दर्शन करने जाएं तो भूलकर भी दान धर्म का प्रदर्शन न करें अन्यथा भगवान के दर से खाली हाथ लौैटोगे। यह विचार श्री भाव भावेश्वर समिति द्वारा रंगमहल गार्डन में आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन स्वामी विद्यानंद सरस्वती जी ने व्यक्त किए। इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कथा स्थल पर पहुंचकर व्यासपीठ से विद्यानंद सरस्वती जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रोताओं को संबोधित करते हुए स्वामी विद्यानंद सरस्वती ने कहा कि चाहे हम कितने भी सत्कर्म कर लें, जब तक उन्हें भगवान के चरणों मेें अर्पित नहीं करेंगे तब तक आपका कल्याण संभव नहीं हैं। जब हम अपने कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक करते हुए भगवान से जुड़ते हैं तो हम जो चाहते हैं वो हमें प्राप्त हो जाता है। दान धर्म के फल को यदि प्रभु चरणों में समर्पित नहीं किया तो आपका अहंकार बढ़ जाएगा। स्वामी जी ने कहा कि जिसकी अर्धांगिनी स्वयं महालक्षी हो उसके समक्ष दान और धन का प्रदर्शन सिर्फ मूर्खता है।

हरि सुमरिन से दूर होगी मन की चंचलता:- स्वामी जी ने कहा कि घण्टो बैठने की बजाय एक मुहूर्त में बैठकर ओमकार का नाद करें और समाहित ब्रह्मा, विष्णु, महेश जिसमें भी आपकी आशक्ति है, उनके स्वरूप का ध्यान करेें तो आपके मन की चंचलता दूर हो जाएगी। मन के मल को निवृत्त करने का ये आसान तरीका है। उन्होंने कहा कि संसार की टर टर से बचने के लिए भगवान के चरणों का आश्रय जरूरी है।

सूरत के लिए चलेगी फ्लाइट: सिंधिया इस मौैके पर कथा में पहुंचे केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से स्वामी विद्यानंद सरस्वती ने ग्वालियर से सूरत के लिए फ्लाइट संचालित करने का अनुरोध किया, जिसे सिंधिया ने महाराज के चरणों में झुककर स्वीकृति प्रदान की। स्वामी विद्यानंद जी ने सिंधिया को बरूमाल आश्रम आने का भी निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। इस पर मौैके पर समिति के अध्यक्ष राधेश्याम भाकर एवं विजय गोयल ने केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया। कथा परीक्षत उमा अरविंद त्रिपाठी ने अंगवस्त्री पहनाकर उनका सम्मान किया। इस मौके पर बाराबंकी वाले कृष्णानंद महाराज, गोपालानंद सरस्वती, देवानंद सरस्वती, गुजरात से आए भक्त शांतिलाल गरासिया, शांतिबाई, दीपक पटेल, नारायण पंजाबी, विश्वनाथ मित्तल, तरुण मित्तल आदि उपस्थित रहे।

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