आखिर कब बनेगा ग्वालियर में हिंदी भवन...

आखिर कब बनेगा ग्वालियर में हिंदी भवन...
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अटल जी ने कहा था क्या मेरे मरने के बाद ही बनेगा हिंदी भवन

ग्वालियर,न.सं.। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई ने ग्वालियर में हिंदी भवन बनने का सपना देखा था। 26 दिसम्बर 2004 में एक बार ग्वालियर आगमन पर उन्होंने कहा था कि हिंदी साहित्य सभा भवन की सीढिय़ां चढऩे में परेशानी होती है इसलिए ग्वालियर में हिंदी भवन बनना चाहिए। प्रदेश में पिछले 15 साल से भाजपा की सरकार भी है लेकिन उसके बाद भी हिंदी भवन नहीं बन पाया ।अटल जी का सपना हिंदी भवन ना बन पाना दुर्भाग्यपूर्ण कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। शहर के साहित्यकारों ने हिंदी भवन बनाने के लिए काफी प्रयास किए लेकिन सरकारी अड़चनों के कारण अभी तक हिंदी भवन की नींव तक नहीं खुद पाई है।

मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार के विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 32वें सत्र में हिंदी में भाषण देकर राष्ट्रभाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया था। हिंदी के प्रति उनके प्रेम को इस उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है। उनका सपना था कि ग्वालियर में हिंदी भवन का निर्माण हो। इसके लिए उन्होंने जीते-जी काफी प्रयास किए। ग्वालियर के अपने साहित्यकार साथियों से उन्होंने यहां तक कहा कि 'क्या मेरे मरने के बाद बनेगा हिंदी भवन'। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि उनके निधन के चार साल भर बीत जाने के बाद हिंदी भवन के लिए आवंटित भूमि बंजर नजर आती है।

2018 में राशि स्वीकृत हुई फिर सरकार चली गई

2018 में शिवराज सिंह सरकार ने हिंदी भवन के निर्माण के लिए सात करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर दी थी। इसी बीच उनकी सरकार चली गई। मार्च 2020 में शिवराज सिंह फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी।

डीआरडीई की परिधि के कारण अटका था मामला

सिटी सेंटर के पास हिन्दी भवन के लिए जो जमीन आवंटित की गई है वह डीआरडीई की परिधि में आने के कारण अटकी रही। लेकिन कुछ माह पहले यह मामला निपट जाने के कारण हिन्दी भवन के बनाने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है।

जनवरी में हो सकता है भूमिपूजन

बताया जा रहा है हिन्दी भवन बनाने के लिए जनवरी माह में भूमिपूजन हे सकता है। इस भूमिपूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी आमंत्रित किया जा सकता है।

इनका कहना है

हिन्दी भवन बनान के लिए प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। जो जमीन आवंटित हुई थी वह डीआरडीई की परिधि में आ रह थी। लेकिन यह मामला निपट चुका है। टीएंडसीपी में हमले फाइल दी है। एक दो दिन में वहां से हमें मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद हम शासन स्तर पर स्वीकृत राशि की मांग करेंगे।

उपेन्द्र कस्तूरे

सहमंत्री

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