रोचक जानकारी : एक डॉगी और उसके मास्टर की समाधि, प्रेम और लगाव की अनूठी मिसाल
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ग्वालियर/वेब डेस्क। कहानी,किस्सों एवं फिल्मों में आपने कुत्तों की वफादारी से जुड़ी अनेकों कहानियां सुनी और देखी होगी। आज हम आपको जिस डॉगी हुजू और उसके मास्टर की कहानी बताने जा रहे है। वह किसी काल्पनिक कहानी, किस्से या फिल्म का भाग नहीं बल्कि ग्वालियर शहर के इतिहास से जुड़ी वास्तविक कहानी है। इस कहानी के तार सिंधिया राजपरिवार से भी जुड़े है।
दरअसल, यह कहानी है सिंधिया राजवंश से जुड़े कुत्ते हुजू और उसके केयर टेकर की है। जिसकी समाधि शहर की शारदा विहार कॉलोनी में बनी है। यह समाधि एक डॉग की उसके केयर टेकर के प्रति वफादारी और प्रेम की दास्तान बयान करती है। कहा जाता है जब हुजू के केयर टेकर की मौत हुई तब उसने भी केयर की टेकर की याद में अपनी जान दे दी।
शिलालेख के अनुसार -
इस समाधि पर एक शिलालेख लगा हुआ है। उसमें अंग्रेजी भाषा में कुत्ते हुजू और उसके केयरटेकर मास्टर के बारे में लिखा है।इस शिला लेख के अनुसार ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया प्रथम जब यूरोप गए, तब अपनी महारानी चिंकू राजे को एक डॉगी हुजू दे गए थे। महारानी ने रियासत के कार्यों में व्यस्त रहने के कारण हुजू के लिए एक केयर टेकर नियुक्त किया। महारानी राजकाज में व्यस्त रहती इसलिए हुजू अपना ज्यादातर समय अपने केयर टेकर मास्टर के साथ बीताता। इसी तरह समय और साल बीतने लगे। मालिक के प्रति एक डॉगी के लगाव की अद्भुत घटना घटी 28 नवंबर 1930 को जब हुजू के मास्टर की अचानक से मौत हो गई।
हुजू ने अपने केयर टेकर मास्टर को कहीं नहीं पाया तो वह उसके कमरे के बाहर बैठकर पूरे दिन रोता रहा और उसी दिन शाम को उसकी मौत हो गई। जब महारानी चिंकू राजे को हुजू की मौत की जानकारी मिली तो उन्होंने हुजू और उसके मास्टर की समाधि एक साथ बनवा दी।
Prashant Parihar
पत्रकार प्रशांत सिंह राष्ट्रीय - राज्य की खबरों की छोटी-बड़ी हलचलों पर लगातार निगाह रखने का प्रभार संभालने के साथ ही ट्रेंडिंग विषयों को भी बखूभी कवर करते हैं। राजनीतिक हलचलों पर पैनी निगाह रखने वाले प्रशांत विभिन्न विषयों पर रिपोर्टें भी तैयार करते हैं। वैसे तो बॉलीवुड से जुड़े विषयों पर उनकी विशेष रुचि है लेकिन राजनीतिक और अपराध से जुड़ी खबरों को कवर करना उन्हें पसंद है।