कल होगी स्वर्ण रेखा मामले की न्यायालय में सुनवाई, निगमायुक्त ने की समीक्षा
निगम द्वारा स्वर्ण रेखा को पुन: नदी का स्वरूप देने के लिए केन्द्रीय जल निगम के डायरेक्टर को 623.96 करोड़ का प्रस्ताव भेज दिया है।
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ग्वालियर,न.सं.। स्वर्ण रेखा में गंदे पानी को रोकने के लिए उच्च न्यायालय में दायर याचिका में 22 नवंबर को सुनवाई होनी है। जिसके लिए निगमायुक्त हर्ष सिंह ने सोमवार को निगम अधिकारियों के साथ उच्च न्यायालय में पेश होने वाले मामले में समीक्षा की। हालांकि निगम द्वारा स्वर्ण रेखा को पुन: नदी का स्वरूप देने के लिए केन्द्रीय जल निगम के डायरेक्टर को 623.96 करोड़ का प्रस्ताव भेज दिया है। अब वहां के अधिकारियों द्वारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट से राशि के मामले में निर्णय होना है।
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के हनुमान बांध से ट्रिपल आईटीएम जलालपुर गांव तक बहने वाले स्वर्ण रेखा में गंदा पानी रोकने के लिए उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन, नगर निगम, स्मार्ट सिटी एवं केंद्रीय जल निगम को जिम्मेदारी दी है। उच्च न्यायालय ने स्वर्ण रेखा नदी में बहने वाले गंदे पानी को रोकने के आदेश दिए थे और इस कार्य के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जाना था। इस कार्य में जो राशि खर्च होगी उसका इंतजाम नमामी गंगे प्रोजेक्ट से किया जाएगा।
इस आदेश के परिपालन में नगर निगम के पीएचई विभाग ने प्रोजेक्ट तैयार करके नमामी गंगे प्रोजेक्ट के डायरेक्टर को भेजा है। इस प्रोजेक्ट पर कुल 623 करोड़ 96 लाख रुपए खर्च होंगे। इसमें 561.96 करोड़ रुपए स्वर्ण रेखा पर खर्च किए जायगे जबकि 62 करोड़ रुपए 84 नालों का पानी निकालने पर खर्च होंगे। जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया है उसमें एक लाइन नदी के किनारे पर डाली जायगी। यह लाईन 200 से 1800 एमएम व्यास ही होगी। समीक्षा बैठक में अधीक्षण यंत्री जेपी पारा, उपायुक्त एपीएस भदौरिया, अमर सत्य गुप्ता, महेन्द्र प्रसाद अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित थे।