एक हजार करोड़ का घोटाला: आशोक एवं ग्वालियर गृह निर्माण समितियों ने गलत जमीन दिखाकर ले लिए 663 भूखंड

ग्वालियर। ग्वालियर विकास प्राधिकरण का भ_ा बैठाने वाली दो चर्चित गृह निर्माण समितियों अशोक एवं ग्वालियर निर्माण सहकारी समितियों ने गलत समर्पित जमीन दिखाकर आनंदनगर और शताब्दीपुरम में 663 विकसित भूखंड आवंटित करा लिए। जीडीए बोर्ड ने दोनों समितियों द्वारा किए गए कारनामों की जांच के लिए एक कमेटी गठित करते हुए सभी समितियों के भूखंडों के क्रय विक्रय पर रोक लगा दी है। समिति दो माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। आनंद नगर और शताब्दीपुरम में आवंटित भूमि लगभग 10 लाख 09 हजार 967 वर्गफीट है जिसकी बाजारू कीमत एक हजार करोड़ के आसपास आंकी गई है, जबकि समर्पित भूमि उक्त समितियों के स्वामित्व की थी ही नहीं। ऐसे में खरीददार मुश्किल में पड़ सकते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 28 जनवरी 2023 को ग्वालियर विकास प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में सीईओ प्रदीप शर्मा द्वारा दामोदरबाग एवं शंकरपुर की भूमियों में ग्वालियर गृह निर्माण समिति एवं अशोक गृह निर्माण सहकारी समिति के द्वारा गैर भूमि स्वामियों से अधिकारिता विहीन अनुबंध कर आनंद नगर एवं शताब्दीपुरम योजना में विकसित 663 भूखंडों का आवंटन प्राप्त किए जाने का विषय रखा गया। जिसमें बताया गया कि ग्राम दामोदर बाग के सर्वे क्रमांक एक लगायत 11 कुल किता 10 कुल रकबा 25. 886 हेक्टेयर एवं शंकरपुर के सर्वे क्रमांक 1025, 27, 28, 30, 35, 36, 37, 38, 42, 43, 54, 55, 56, 57, 58,64 कुल किता 16 कुल रकबा 25. 368 हेक्टेयर भूमि के मामले में तत्कालीन जिलाधीश द्वारा 10 सितंबर 1986 एवं 10 मार्च 1988 को प्राधिकरण के पक्ष में भूअर्जन किया गया था। दोनों अवार्ड तत्कालीन आयुक्त ग्वालियर संभाग द्वारा अनुमोदित होकर नस्तीबद्ध किए गए। साथ ही किसी भी न्यायालय में चुनौती भी नहीं दी गई। वादग्रस्त लोगों के अवार्ड की राशि एवं भूमि स्वामियों को संबंध में अष्टम न्यायालय द्वारा 29 अप्रैल 2006 को दिए निर्णयमें केवल पीपी शर्मा को अवार्ड की राशि प्राप्त करने की पात्रता मानी गई। इस सिलसिले में मप्र उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक 575/95 में 18 अप्रैल 1995 एवं डब्ल्यूपी क्रमांक 380/ 1998 में 2 जनवरी को पारित आदेशों में भी मात्र पीपी शर्मा को अवार्ड की प्राप्ति का हकदार माना गया। चूंकि जिलाधीश, एवं न्यायालय के आदेश की वैधता को चुनौती नहीं दी गई इसलिए वह अंतिम है। वर्तमान खसरे में वादग्रस्त भूमि ग्वालियर विकास प्राधिकरण के नाम भूमि स्वामी स्वत्व पर अंकित है, इस प्रकार प्राधिकरण इसका एकमात्र स्वामी है।
समितियों का अनुबंध माना फर्जी
सीईओ के प्रति वेदन में कहा कि ग्वालियर ग्रह निर्माण और अशोक ग्रह निर्माण समितियों को अवैध रूप से आवंटन संबंधी प्रक्रिया 26 मार्च 2098 को शुरू हुई जिसमें ग्वालियर गृह निर्माण संस्था द्वारा 19 मार्च 2098 को करतार सिंह से अनुबंध नोटरी पर किया जाना बताया, जो जिला पंजीयन कार्यालय में पंजीबद्ध नहीं है। इसलिए यह अनुबंध प्रारंभ से ही शून्य है। साथ ही इसी अनुबंध के आधार पर ग्वालियर विकास प्राधिकरण की ओर से तत्कालीन अधिकारियों द्वारा विकसित भूखंडों का आवंटन भी अविधिपूर्ण है। उन्होंने लिखा है कि उक्त समितियों की जांच के लिए गठित समिति द्वारा तत्कालीन अधिकारियों एवं समितियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी जिसे नस्ती से हटा दिया गया। इसी प्रकार जिला पंजीयक को क्रय विक्रय रोकने के लिए 23 जनवरी 2016 को पत्र लिखा गया था जिसे नजरअंदाज कर वर्ष 2016 के उपरांत उक्त समितियों को लगातार विकसित भूखंड प्रदान किए जाते रहे जो कि सांठगांठ कर अवैध तरीके से किया गया क्रत्य है। और तो और आनंद नगर योजना की वजाय शताब्दीपुरम में भी भूखंड दिए जाना पूरी तरह नियम विरुद्ध है। अत: उपरोक्त संस्थाओं द्वारा ग्वालियर विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी कर्मचारियों से मिलकर बिना स्वामित्व के छल पूर्वक विकास प्राधिकरण के विकसित भूखंडों को प्राप्त कर प्राधिकरण को क्षति पहुंचाई गई है।
यह करेंगे जांच
प्राधिकरण बोर्ड ने उक्त प्रतिवेदन के बाद सभी गृह निर्माण समितियों को विकसित भूखंड आवंटन किए जाने की प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही अनियमितताओं की सघन जांच एवं त्रुटिपूर्ण कार्रवाई के लिए जिम्मेदारी के निर्धारण हेतु संयुक्त संचालक नगर ग्राम निवेश वीके शर्मा,एसडीएम ग्वालियर प्रदीप तोमर, प्रभारी अधिकारी भूअर्जन जिलाधीश कार्यालय, जिला पंजीयक ग्वालियर, संपदा अधिकारी जीडीए रहेंगे। जांच समिति दो माह के भीतर प्रतिवेदन देगी। दोनों समितियों को भूमियों के कथित समर्पण से प्राप्त विकसित भूखंडों के क्रय विक्रय एवं नामांतरण प्रक्रिया पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है। इस सिलसिले में जिला पंजीयक को पत्र प्रेषित किया जाएगा। भूखंडों की वर्तमान स्थिति के संबंध में स्थल पर जाकर विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा।
ऐसे चला फर्जीवाड़ा
ग्वालियर एवं अशोक गृह निर्माण समितियों को भूखंड आवंटन का सिलसिला सबसे पहले 3 अप्रैल 1998 को 113 विकसित भूखंड देकर किया गया। इसके बाद 28 अप्रैल 98 को 92 भूखंड, 24 सितंबर 2000 को 49 भूखंड, 26 11 नवंबर 2002 को 67 भूखंड, 30 मई 2005 को 50 भूखंड, 19 अक्टूबर 2006 को 176 भूखंड, 3 दिसंबर 2020 को 33 और 9 दिसंबर 2021 को 83 विकसित भूखंड दिए गए।यह सभी भूखंड 93829 वर्गमीटर होकर 10 लाख 09 हजार 967 वर्गफीट हैं। इन 663 भूखंडों की आज की बाजारू कीमत 1 हजार करोड़ रुपए बताई गई है। समितियों ने इन्हें आमजन को बेच डाला उनपर घर भी बसाए जा चुके हैं।
इनका कहना
जीडीए बोर्ड द्वारा अशोक और ग्वालियर निर्माण समितियों ने गलत अनुबंध के आधार पर समर्पित जमीन दिखाकर विकसित भूखंड ले लिए। शताब्दीपुरम में भी 1 लाख 30 हजार वर्ग फीट भूखंड मांग रहे थे। ऐसी ही स्थिति रहती तो जीडीए के हाल साडा जैसे हो जाएंगे। विस्तृत जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
प्रदीप शर्मा
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जीडीए
गृह निर्माण समितियों की अनियमितता के कारण ही जीडीए बदहाल हुआ है। इन दोनों समितियों का रिकॉर्ड जप्त कर जांच की जाएगी तब पता लगेगा कि कितना बड़ा गड़बड़झाला हुआ है।
वीके शर्मा
संयुक्त संचालक नगर एवं ग्राम निवेश
