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सकरी गलियों में अगर आग लगी, तो कई गोदाम होंगे जलकर खाक

सकरी गलियों में अगर आग लगी, तो कई गोदाम होंगे जलकर खाक
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पर्याप्त जगह नहीं होने से दमकल अमले को पहुंचने में होती परेशानी

ग्वालियर,न.सं.। एक चिंगारी ही शहर की घनी बस्तियों को खाक में तब्दील कर देने के लिए पर्याप्त है। निगम क्षेत्र की घनी बस्तियों में सडक़ें इतनी सकरी है, कि अगर वहां आग लग जाए, तो कई परिवार चपेट में आ सकते हैं। बाजार में भी कमोबेश हालात वैसे ही हैं। दमकल विभाग के जवानों को आग बुझाने से पहले मौके तक पहुंचने के लिए काफी परेशानियों से जूझना पड़ता है। जब भी शहर, में कहीं आगजनी की बड़ी दुर्घटना हो जाती है, जिम्मेदार अधिकारी शहर के हालातों को लेकर चर्चा तो करते हैं, लेकिन हालात दशकों से वैसे ही हैं।

यह तो संयोग है कि शहर में इस वर्ष जितनी भी आगजनी की घटनाएं हुई है उसमें जनहानि नहीं हुई। यदि यहां यह घटनाएं हो गईं तो बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि हो सकती है। शहर में तमाम ऐसी गलियां ऐसी हैं जहां आग लगने पर दमकल वाहन पहुंच ही ही नहीं सकते। कुछ ऐसी भी गलियां हैं जहां आग लगने पर बड़ी मशक्कत के बाद उस पर काबू पाया जा सका। इन गलियों में यदि आग की कोई घटना घट जाती है तो पानी की कमी के कारण स्थिति भयावह हो सकती है। शहर के रेशम मिल, आरामिल, गदाईपुरा,घासमंडी, दही मंडी, दानाओली, नई सडक़ मोर बाजार, सराफा बाजार सहित लगभग डेढ़ दर्जन क्षेत्र ऐसे हैं। जिनकी बसावट 50 साल पहले की है। यहां के प्रमुख मार्गों पर सकरी गलियां निकलती हैं। इन गलियों के भीतर सैकड़ों घर हैं जहां हजारों लोगों का निवास है। यदि आग की घटना हुई तो लोग एक साथ निकल कर सडक़ पर आ नहीं पाएंगे वहां अग्निशमन दस्ता पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। यहां तो दो पहिया वाहन भी नहीं जा पाते। इन क्षेत्रों में अनेक कालोनी तथा गलियां ऐसी हैं जहां पर नगर निगम अभी तक जलापूर्ति की पाइप लाइन तक नहीं बिछा पाई है।

नहीं हैं आने की जगह

निगम क्षेत्र के बाजारों व बस्तियों में पर्याप्त खुली सडक़ ही नहीं है। इसकी वजह से आगजनी जहां होती है, उसके समीप पहुंचने में ही परेशानी होती है। दहीमंडी में अगर शाम के समय आग लग जाए, तो दमकल वाहन को पहुंचने रास्ता ही नहीं मिलेगा।

शहर के बड़े बाजार

शहर के बड़े बाजारों में नजर बाग मार्केट और सुभाष मार्केट के पीछे हिस्से मेें पहुंचना बहुत ही मुश्किल है। बाजारों में दुकानों के सामने ही वाहनों को खड़ा कर दिया जाता है। इसके साथ-साथ पीछे के हिस्से में कई जगह गलियां खत्म हो गई हैं। दो दुकानों के छज्जे एक दूसरे से मिल रहे हैं। इस तरह के स्थानों पर भारी वाहनों का पहुंच पाना आसान नहीं है।

18 लाख की आबादी पर 144 कर्मचारी

नगर निगम के दमकल विभाग के ऊपर शहर की 18 लाख की आबादी की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इसके लिए दमकल विभाग में करीब 144 कर्मचारियों का स्टाफ भी है, लेकिन इनमें ट्रेंड कर्मचारी सिर्फ 15 हैं। वहीं महाराज बाड़े में सब स्टेशन ऐसे व्यस्त बाजार में बनाया गया है, जहां से निकलने में दमकल वाहन को कई बार 5 की जगह 25 मिनट लग जाते हैं, क्योंकि इस मार्ग पर अकसर जाम लगा रहता है।

प्रशिक्षण का किया प्रावधान

दमकलकर्मियों की ट्रेनिंग के लिए लाखों का बजट रखा गया है। इस बजट का उपयोग बाहर से विशेषज्ञ बुलाकर कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने में किया जाता है। लेकिन अब तक किसी ट्रेनर को नहीं बुलाया गया है।

पब्लिक पर होता है प्रयोग:

दमकल अमला साल में केवल एक बार 14 अप्रैल को मॉक ड्रिल करता है। इस दौरान पब्लिक पर ही प्रयोग किए जाते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि विभाग के पास सिर्फ गिने चुने प्रशिक्षत कर्मचारी हैं।

कर्मचारियों की स्थिति

स्थाई कर्मी-25

आउट सोर्स-42

विनियमित-75

फायर अधिकारी-01

नोडल अधिकारी-00

उपायुक्त-00

लीडिंग फायर मैन-01

वाहन

-6 वाटर टेंडर

-4 फोम टेंडर

-1 जीप

-6 हुक लैडर

-11 एक्सटेंशन लैडर

कहां हैं फायर स्टेशन:

-1 दमकल वाहन मुरार में अल्पना टॉकीज के पास

-1 दमकल वाहन जीवाजी चौक, महाराज बाड़ा में

-9 दमकल वाहन रूपसिंह स्टेडियम के समीप

-1 दीनदयाल नगर

-1 आनंद नगर

पानी भरने की व्यवस्था:

थाटीपुर, रूपसिंह स्टेडियम के पास, कटोराताल, आमखो, मानसिक आरोग्यशाला के समीप, गिरवाई में।

Updated : 15 April 2022 8:10 AM GMT
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