कार्यपरिषद सदस्यों ने आरोपों की जांच कराने को लेकर किया हंगामा
ग्वालियर, न.सं.। जीवाजी विश्वविद्यालय में बीएड महाविद्यालयों को सम्बद्धता दिए जाने को लेकर जहां कार्यपरिषद सदस्यों व विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं कार्यपरिषद सदस्यों ने आरोपों की जांच कराने को लेकर बैठक में जमकर हंगामा किया। हालांकि हंगामे के बाद भी विवि के कुपलति ने पूर्व में हुई बैठक में लिए गए निर्णय को मान्य करते हुए सम्बद्धता देने का निर्णय लिया। दरअसल विवि के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी की अध्यक्षता में शनिवार को कार्यपरिषद सदस्यों की बैठक आयोजित की गई। बैठक शुरू होते ही सदस्य विवेक भदौरिया, शिवेन्द्र सिंह राठौर और प्रदीप शर्मा ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि संबद्धता को लेकर सदस्यों पर जो आरोप लग रहे हैं, उसकी पहले जांच कराई जाए। उसके बाद भी हम सामान्य पाठ्यक्रम वाले महाविद्यालयों को सम्बद्धता देने पर विचार करेंगे। इस पर कुलपति प्रो. तिवारी व रेक्टर प्रो. डीएन गोस्वामी ने कहा कि आरोप लगते रहते हैं। यह सुन सदस्य बैठक कक्ष के बाहर निकल आए और जमीन पर धरना देने लगे। यह देख राज्यपाल कोटे के कार्यपरिषद सदस्य संजय यादव, सेवंती भगत और संगीता कटारे भी धरने में शामिल हो गए। उधर सदस्यों को जमीन पर बैठा देख कुलपति प्रो. तिवारी भी सदस्यों को मनाने के लिए जमीन पर बैठ गए और भरोसा दिलाने के बाद बैठक में ले गए, लेकिन दोबारा बैठक में शामिल होने के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ तो डॉ. विवेक भदौरिया और डॉ. शिवेन्द्र राठौर भी चले गए। इसके बाद अन्य सभी सदस्यों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। हालांकि कुलपति प्रो. तिवारी ने सदस्यों की हाजिरी मान्य करते हुए कहा कि पूर्व में हुई बैठक में जो जो फैसला लिया था कि 31 जुलाई तक शिक्षकों के दस्तावेज जमा किए जाएं, इसी शर्त को लागू करते हुए सामान्य पाठ्यक्रम वाले महाविद्यालयों को सम्बद्धता देने का फैसला लिया है।
यह है पूरा मामला
बीएड, लॉ, मैनेजमेंट व सामान्य पाठ्यक्रम संचालित करने वाले महाविद्यालयों में निरीक्षण के दौरान बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है। इसमें कई महाविद्यालयों में स्टाफ नहीं मिला था तो कहीं लैब, फर्नीचर, लाइब्रेरी नहीं मिली थी। इसको लेकर अप्रैल में हुई कार्यपरिषद की बैठक में राज्यपाल कोटे के सदस्यों ने कहा था कि जब तक महाविद्यालय संचालक अपने यहां पदस्थ शैक्षणिक स्टाफ का आधार कार्ड और उन्हें दिए जा रहे वेतन का पिछले तीन माह का बैंक स्टेटमेंट नहीं देते तब तक उन्हें सम्बद्धता नहीं दी जाएगी, लेकिन चुनिंदा महाविद्यालयों ने भी दस्तावेज विवि में जमा कराए थे। उसके बाद भी 197 बीएड महाविद्यालयों को तीन माह का समय देते हुए सम्बद्धता दे दी। जिसको लेकर विवि के अधिकारियों व सदस्यों पर लेन-देन के आरोप लग रहे हैं।
विद्यार्थी परिषद ने सौंपा ज्ञापन
वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी इसको लेकर कुलपति को ज्ञापन सौंपा। परिषद के प्रदेश सह मंत्री हिमांशु श्रोती ने बताया कि अनियमितता पाए जाने महाविद्यालय को जो संबद्धता दी गई है उस पर जांच समिति गठित की जाए एवं अनियमितता पाए जाने वाले महाविद्यालय की संबद्धता तत्काल समाप्त की जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो विद्यार्थी परिषद उग्र आंदोलन करेगी।


