हाथी की चाल बिगाड़ेगी कई सीटों का समीकरण

हाथी की चाल बिगाड़ेगी कई सीटों का समीकरण
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ग्वालियर-चंबल में एक दर्जन सीटों पर मुकाबले में बसपा

ग्वालियर। प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा के लिए मतदान के बाद तीन दिसंबर को मतगणना का सभी को इंतजार है। इस बीच जहां उम्मीदवार और उनके समर्थक रोज गुणा-भाग कर अपनी जीत-हार का आंकलन कर रहे हैं। लड़ाई भी भाजपा, कांग्रेस के बीच है। इन दो दलों के अलावा भले ही कोई तीसरा सशक्त दल मैदान में न हो लेकिन ग्वालियर-चंबल संभाग में बसपा के हाथी की चाल से कई सीटों पर समीकरण बदल रहे हैं । कुछ सीटों पर सपा की साइकिल ने चलने की कोशिश की है तो कुछ पर आप की झाडू़ भी सफाई को बेताव रही। ग्वालियर -चंबल संभाग की 34 सीटों पर पिछले चुनाव की तरह इस बार भी खासा घमासान रहा। भाजपा-कांग्रेस के सभी प्रत्याशी मैदान में उतरे और दमदारी से चुनाव लड़े हैं। वहीं बसपा ने सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार दोनों प्रमुख दलों को चुनौती देने की कोशिश की है। यह बात अलग है कि कुछ सीटों पर उसे भाजपा-कांग्रेस के बागियों का सहारा लेना पडा़ है और उन्हें उम्मीदवार बनाया है। दो-चार सीटों पर सपा व आप के उम्मीदवार भी लड़ाई में खड़े नजर आ रहे हैं।

पिछले चुनाव में यह रही स्थिति

वर्ष 1993 में बसपा ने 320 सीटों में से 187 पर उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। जिनमें से 2 उम्मीदवार विजयी रहे थे। 1998 में 320/288 जिनमें से 11चुनाव जीते थे। 2003 में 320/170 उम्मीदवारों में से 11विजयी रहे थे। वर्ष 2008 में 230/ 228 में से 7 प्रत्याशी जीते थे। 2013 में 230/227 में से 4 उम्मीदवार चुनाव में विजयी हुए थे। वर्ष 2018 में 230/227 में से सिर्फ 2 चुनाव जीत पाए।वहीं 2023 में 230/175 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

वर्ष 2018 में मिलीं दो सीट

बसपा ने वर्ष 2018 में 230 में से 227 सीट पर उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। जिनमें से दो उम्मीदवार चुनाव जीते। भिंड से संजीव सिंह कुशवाह जो भाजपा के बागी थे। दूसरी सीट पथरिया से रामबाई ने जीती थी। वर्ष 2018 के चुनाव में ग्वालियर- चंबल संभाग में बसपा एक सीट पर नबंर एक पर रही थी। वहीं चार सीटों पर दूसरे और 23 सीटों पर उसके प्रत्याशी तीसरे नंबर पर थे। भिंड में नबंर एक पर रही। जबकि सबलगढ़, जौरा, ग्वालियर ग्रामीण और पोहरी में दूसरे नबंर पर थी। वहीं श्योपुर, विजयपुर, सुमावली,मुरैना, दिमनी, अंबाह, अटेर, लहार, गोहद, ग्वालियर ग्रामीण, भितरवार,सेवढ़ा, करैरा, पोहरी, कोलारस, चंदेरी और मुंगावली में बसपा के उम्मीदवारों का प्रदर्शन अच्छा रहा था और उसके उम्मीदवार तीसरे नबंर पर रहे थे।

इस बार यहां दे रहे टक्कर

सोलहवीं विधानसभा के लिए इस बार 17 नवंबर को मतदान हुआ और तीन दिसंबर को मतगणना होनी है। अंचल की 34 सीटों में से एक-दो सीट को छोडक़र लगभग सभी सीटों पर दो से तीन प्रतिशत तक अधिक मतदान हुआ है। अंचल की मुरैनासीट पर भाजपा के बागी राकेश रुस्तम सिंह, सुमावली में कांग्रेस के बागी कुलदीप सिकरवार, जौरा में सोनेराम कुशवाह, दिमनी में बलवीर दंडोतिया, सबलगढ़ में सोनेराम धाकड़, अंबाह में रामबरण, भिण्ड में संजीव सिंह कुशवाह , लहार में भाजपा के बागी रसाल सिंह, सेवढा में लाखन सिंह, पोहरी में प्रद्युम्न वर्मा, मुंगावली में मोहन सिंह यादव ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है। अब इनमें से जीत का सेहरा किस -किस के सिर बंधता है, यह तीन दिसंबर को परिणाम बताएंगे। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा पिछले चुनाव से इस बार बेहतर स्थिति में रहने वाली है। बॉक्स

सपा व आप भी यहां टक्कर में

बसपा की अपेक्षा समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी अंचल में अधिक उम्मीदवार मैदान में नहीं उतार पाईं। लेकिन कुछ सीटों पर वह भी टक्कर देती नजर आईं हैं। जौरा में समाजवादी पार्टी के मनीराम धाकड़ मुकाबला करते नजर आए। वह कभी बसपा के उम्मीदवार रहे और बसपा ने इस बार उन्हें टिकट देकर बाद में बदल लिया सो वह सपा से मैदान में उतर गए। अटेर में भाजपा से बगावत कर पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया ने साइकिल की सवारी कर चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया। चाचौड़ा में भाजपा की पूर्व विधायक ममता मीणा बगावत कर आप की झाडू़ लेकर मैदान में हैं और मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। भिण्ड में राहुल कुशवाह आप की झाडू़ लेकर सफाई के लिए प्रयासरत रहे।

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