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माया नगरी की तर्ज पर शहर में भी चल रहा है नशे का कारोबार, नशे की गिरफ्त में ग्वालियर

माया नगरी की तर्ज पर शहर में भी चल रहा है नशे का कारोबार, नशे की गिरफ्त में ग्वालियर
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ग्वालियर, न.सं.। देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मायानगरी मुंबई में नशे के शौकीन फिल्मी सितारों के नाम उजागर होने के बाद नारकोटिक्स विभाग भी सक्रिय हो गया है। आज सूखे नशे का कारोबार पॉश कॉलोनियों से लेकर निचली बस्तियों तक पैर पसार चुका है। कई बार पुलिस तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करते हुएउन्हें हवालात में बंद करती है। उसके बाद भी जिले में सफेद नशे का यह कारोबार अपनी जड़़े जमा चुका है। जिससे करोड़ों के बारे के न्यारे होते हैं।

एक छुटकी से मदमस्त करने वाले इस नशे की आपूर्ति अधिकांश उत्तर प्रदेश के उरई जालौन तथा इटावा और राजस्थान से की जाती है। सफेद नशे का यह धीमा जहर शहर में बिना पुलिस की इजाजत के नहीं बिक सकता और खाकी के इशारे पर कारोबार परवान चढ़ता है। नशे के इन कारोबारियों के हाथ इतने लंबे हैं कि पुलिस भी इन पर हाथ डालने से पहले सोचती है। सफेद नशे में आज शहर की युवा पीढ़ी के अलावा छात्रों का जीवन बर्बाद हो रहा है। वह नशे की खुराक की पूर्ति के लिए अपराध करने से भी नहीं चूकते हैं। महानगर में बढ़ते अपराधों का एक कारण यह नशा भी है।

कमाई के लिए मिला रहे कीटनाशक

एक ग्राम स्मैक की कीमत लगभग 2500 रुपए है। एक ग्राम स्मैक से 10 पुडिय़ा बनती है, जिसे 300 रुपए पुडिय़ा के हिसाब से बेचते हैं। ज्यादा लाभ के लिए मिलावट के माल की सप्लाई तेजी से पनपी है। बेचने वाले स्मैक में कीटनाशक दवाएं, नींद की गोली जैसी दवाएं मिलाते हैं।

अब हाईटेक हो गई डिलेवरी

1. होम डिलेवरी

आपूर्ति सीधे छात्रावास और घरों तक नशा पहुंचा रहे हैं। नशे के आदी लोग सप्लायरों के फोन नंबर और वाट्सएप नंबर रखने लगे हैं। सप्लायर किसी भी चौराहे, रास्ते, सुनसान इलाके में बात करते हुए ग्राहक से पैसे लेकर माल देकर चलते बनते हैं। सप्लायर्स ने वाट्सएप ग्रुप बना लिए हैं।

2. ग्राहक बनकर

जिसको भी नशे का सामान चाहिए वो गिरोह के सरगनाओं से सम्पर्क करता है। सप्लायर नशे का सामान मोटरसाइकलि से चलते फिरते दे जाता है। चौंकाने वाली बात ये है कि परचून, पान की दुकानों पर भी नशे की पुडिय़ा मिल रही है।

- संवाददाता - यह स्मैक, गांजा कहां मिलेगा?

- युवक - तेरे को चाहिए क्या, बोल। यहां पर पहली बार नजर आया है।

- संवाददाता - हां, गांजा तो मिल जाता है, मुझे स्मैक चाहिए?

- युवक - पूरी भीमबस्ती में तुम किसी से भी पूछ लेना सत्यम्(परिवर्तित नाम) भाई से मिलना है, लेकिन माल तुम मुझसे से ही लेना।

- संवाददाता - कितने की आती है पुडिय़ा?

- युवक - 25 वाली गांजे की पुडिय़ा 30 की हो गई है और स्मैक की 300 तक की पुडिय़ा देता हूं। लेकिन तुमको कोई नहीं देगा।

- संवाददाता -क्यों? मैं पैसे दूंगा, मुझे तो ज्यादा माल चाहिए।

- युवक- ज्यादा चाहिए? कितना.. डिल्ला चाहिए, बोल कितना चाहिए।

-संवाददाता - मुझे ज्यादा चाहिए, तुम उनसे मिलवा क्यों नहीं देते?

- युवक -सुनो, तुम तो ज्यादा पैसे लेकर आ जाओ, बांकी मैं देख लूंगा।

किसी अंजान को पुडिय़ा नहीं मिलेगी.. तुम पैसे दे दो मैं लाकर दे दूंगा।

-संवाददाता - चलो, कल मैं पैसे लेकर आता हूं, क्या कल दिलवा दोगे। तुम्हारा नाम क्या है, मोबाइल नंबर दे दो।

- युवक - तुम अपने काम से काम रखो। पुलिस के आदमी हो क्या? पैसे लेकर आ जाना, मैं मिल गया तो दिलवा दूंगा।

पुलिस को भी जाता है नशे का हिसाब

स्मैक, चरस और गांजे का कारोबार करने वाले ने युवक ने साफ शब्दों में कहा कि पुलिस को एक लाख रुपए देना पड़ते हैं जब इस धंधे को कर रहे हैं। नशे का सामान नही बेचेंगे तो पुलिस अंदर कर देगी, थाने में नाम जो लिखे हैं। यहां बता दें कि पुलिस के बिना इशारे पर स्मैक की एक पुडिय़ा भी नहीं बेच सकते है शहर में यह जगजाहिर है। तस्करों का कहना है कि पुलिस अपने हिसाब से वसूली करती है कोई सप्ताह में पैसे लेता है तो किसी का महीना बंधा हुआ है।

शहर के ठिकाने

हजीरा, कांचमिल, इन्द्रानगर, चार शहर का नाका, संजय नगर पुल के नीचे, जीवाजीगंज, गेंडेवाली सड़क, यादव धर्मकांटा के आसपास बनी बस्तियां, जेसीमिल का खंडहर, भीमनगर, मुरार त्यागी नगर, श्रीनगर कॉलोनी, कुम्हरपुरा, गोपालपुरा, सिकंदर कम्पू, गुढ़ी-गुढ़ा का नाका, सत्यनारायण की टेकरी, लक्ष्मण तलैया आदि ऐसे स्थान है जहां पर स्मैक और गांजा मिल रहा है।

इनका कहना है.-

समय-समय पर नशे का सामान बेचने वालों पर कार्रवाई की जाती है। आने वाले समय में शहर में बतौर अभियान चलाकर तस्करों को पकड़कर जेल भेजा जाएगा।

-अमित सांघी, पुलिस अधीक्षक

Updated : 27 Sep 2020 1:00 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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