देव उठनी ग्यारस आज, चार माह की निद्रा के बाद जागेंगे श्री हरि

देव उठनी ग्यारस आज, चार माह की निद्रा के बाद जागेंगे श्री हरि
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तुलसी-शालिग्राम विवाह के साथ दांपत्य जीवन में बंधेगे जोड़े

ग्वालियर, न.सं.। देव उठनी ग्यारस गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन गन्नों का मंडप बनाकर श्री हरि को चार माह से अधिक की निद्रा के बाद जगाया जाएगा। इस दिन तुलसी-शालिग्राम का विवाह होने के साथ शहर में कई जोड़े दांपत्य जीवन में बंध जाएंगे। इसी के साथ मांगलिक कार्यों का दौर भी शुरू हो जाएगा। वहीं बाजारों में विवाहों की खरीदारी ने भी जोर पकड़ लिया है। बाजारों में जमकर खरीदारी हो रही है।

ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा के अनुसार देव उठनी ग्यारस का व्रत 23 नवंबर गुरुवार को रखा जाएगा। भगवान श्री हरि का चतुर्मास शयनकाल 23 नवम्बर ग्यारस के दिन समाप्त हो जाएगा। अत: इस दिन से शादी-ब्याह आदि सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी को देवोत्थानी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व है। देव उठनी ग्यारस के दिन विशेष रूप से भगवान श्री हरि की पूजा-अर्चना की जाएगी। देवउठनी ग्यारस का प्रारंभ 22 नवंबर को रात में 11 बजकर 3 मिनट से हुआ है जो 23 नवंबर को रात 9 बजकर 01 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इसी दिन तुलसी-शालिग्राम का विवाह किया जाएगा। इसी के साथ जगह-जगह अन्नकूट भी आयोजित किया जाएगा।


पूजा के मुुहुर्त:-

ज्योतिषाचार्य के अनुसार पूजा मुहूर्त सुबह 6 बजकर 50 मिनट से लेकर सुबह के 8 बजकर 09 मिनट तक है। रात्रि का शुभ मुहूर्त सायं 5 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 46 मिनट तक है। देव उठनी ग्यारस व्रत पारण का समय 24 नवंबर को सुबह 6 बजे से 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।

देवउठनी ग्यारस के बाद क्या-क्या कर सकते है:-

देवउठनी ग्यारस के दिन से रूके हुए मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। चार महीने बरसात और देवों के सोए रहने से किसी भी तरह के मांगलिक काम नहीं होते। देव उठनी ग्यारस से मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश जैसे सभी काम शुरू हो जाते हैं। यह दिन हेमंत ऋतु के आगमन का संदेश देता है। चातुर्मास खत्म होने के कारण दूध, मूली, बैंगन और मैथी जैसी सब्जियों का सेवन भी इसके बाद किया जा सकता है। देव उठनी ग्यारस के दिन 23 नवम्बर से तुलसी विवाह का प्रारंभ होगा और पूर्णिमा तिथि तक चलेगा। मंदिरों में तुलसी विवाह के आयोजन किए जाएंगे। जिन पति-पत्नी को कन्या नहीं होती है, वे भी तुलसी विवाह करके कन्यादान का लाभ उठा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी ग्यारस के दिन भगवान शालिग्राम और मां तुलसी से विवाह होता है। मान्यता है कि इस दिन मां तुलसी की पूजा करने से कुंडली में बुध और शुक्र प्रबल होते हैं। इसके साथ ही जो अविवाहित लडक़े और लड़कियां तुलसी जी की पूजा करते हैं, उनकी शादी बहुत जल्द होती है।

अबूझ मुहुर्त आज, जमकर होंगे विवाह:-

कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देव उठनी ग्यारस के साथ 23 नवंबर गुरुवार को फिर से शहनाईयों का सीजन शुरू होगा। इस दिन स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त होने से करीब 147 दिन के लंबे अंतराल के बाद फिर से शादी-ब्याह आदि मांगलिक कार्य शुरू होंगे। इस बार 23 नवंबर से 15 दिसम्बर में 10 दिन विवाह मुहूर्त हैं। इसके बाद मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी पर 16 दिसम्बर को धनु मलमास शुरू हो जाएगा, जो पौष शुक्ल तृतीया पर 14 जनवरी तक रहेगा। इसके बाद फिर से शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

बाजार में बिकने के लिए आ गए गन्ने:-

बाजार में बिकने के लिए आसपास के गांवों से गन्ने आ गए हैं। यह गन्ने 40 से 100 रुपए में पांच-पांच बेचे जा रहे हैं।

बाजारों में खरीदारी का दौर शुरू:-

दीपावली खरीदारी के बाद देव उठनी ग्यारस के साथ बाजारों में विवाह खरीदारी का दौर शुरू हो गया है। बाजारों में लोगों की जमकर भीड़ हो रही है। इस दौरान बेण्ड-बाजा, घोड़ी, शहनाई, घोड़ी, लाइट, विवाह स्थल की दुकानें खूब चल रही हैं।

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