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बड़ी लापरवाही : जयारोग्य अस्पताल में बदला शव, परिजनों ने किया हंगामा

बड़ी लापरवाही : जयारोग्य अस्पताल में बदला शव, परिजनों ने किया हंगामा
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ग्वालियर। अभी तक अस्पतालों में बच्चा बदलने की खबरें सुनने में आती थी, लेकिन ग्वालियर चंबल संभाग के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही से अस्पताल के शव विच्छेदन गृह में रखे शव ही बदल गए। इतना ही नहीं हिंदू परिवार के लोग चिकित्सकों की मौजूदगी में किसी दूसरे के शव को अपने परिजन का शव समझकर ले गए और अंतिम संस्कार कर दिया जबकि वो शव मुस्लिम का था। इस मामले में जानकारी जैसे ही अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को लगी, वैसे ही पूरे परिसर में हडक़ंप मच गया। शव बदलने के मामले में जिलाधीश कोशलेन्द्र विक्रम सिंह ने जांच के आदेश भी जारी कर दिए है। उधर संभागीय आयुक्त ने इस मामले में चिकित्सक हीरालाल मांझी को निलंगित करने के आदेश जारी कर दिए है।

जानकारी के अनुसार मुरैना निवासी इरतजा मोहम्मद 11 अगस्त को मुरैना अस्पताल से रैफर होकर जयारोग्य अस्पताल में भर्ती हुए थे। उन्हें किसी जहरील कीड़े ने काट लिया था। जयारोग्य में 13 अगस्त को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। लेकिन चिकित्सकों ने उनके शव को परिजनों न देते हुए कहा कि कोरोना की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही शव दिया जाएगा। जिसके चलते शव को शव विच्छेदन गृह में रखवा दिया गया। इसी बीच 14 अगस्त को शिंदे की छावनी निवासी कोरोना संदिग्ध सुरेश चंद्र बाथम की मौत होने पर उनका शव भी शव विच्छेदन गृह में रखवा दिया गया। दोनों मृतकों की रिपोर्ट बाद में निगेटिव आई। 14 अगस्त को सुरेश चंद्र बाथम के परिजन को शव विच्छेदन गृह के कर्मचारियों ने इरतजा मोहम्मद का शव दे दिया। साथ ही परिजनों ने उस शव का अंतिम संस्कार भी कर दिया। 15 अगस्त की शाम को इरतजा मोहम्मद के परिजन जब शव लेने शव विच्छेदन गृह पहुंचे, तो हां मौजूद कर्मचारियों ने शव दिखाया तो उन्होंने कहा कि यह उनके पिता का शव नहीं है। यह बात सुन कर्मचारियों के होश उड़ गए। कर्मचारियों ने इरतजा मोहम्मद के परिजनों को वहां रखे शवों की पहचान करने को कहा। लेकिन परिजनों ने कहा इरतजा मोहम्मद का शव नहीं मिला। जिसके बाद इरतजा मोहम्मद के परिजनों ने शव विच्छेदन गृह के बाहर हंगामा करना शुरु कर दिया।

अंधेरे के कारण शव नहीं पहचाना

इसी बीच शव विच्छेदन गृह के कर्मचारियों को पता चला कि उन्होंने जो शव सुरेश चंद्र बाथम के परिजन को सौंपा है वह इरतजा मोहम्मद का था। इसके बाद उन्होंने सुरेश चंद्र बाथम के बेटे प्रदीप बाथम को मौके पर बुलाया, तो प्रदीप ने शव देखकर कहा कि यह तो उसके पिता का शव है।प्रदीप बोला, अंधेरे की वजह से नहीं पहचान सका शव प्रदीप ने जब अपने पिता का शव देखा, तो वहां पर मौजूद लोगों ने कहा कि तुम जब शव लेने आए थे, तो तुमने क्यों नहीं देखा। जिस पर प्रदीप ने कहा कि वह पिता की मौत के बाद से ही सदमे में था। अंधेरे के कारण वह शव नहीं देख पाया।

कंपू थाने का घेराव

इरतजा मोहम्मद के परिजनों ने घेरा कम्पू थाना शव बदलने को लेकर इरतजा मोहम्मद के परिजनों ने कम्पू थाने के बाहर जमकर हंगमा करना शुरु कर दिया। मामले की जानकारी जैसे ही जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन को लगी, तो मौके पर एडीएम किशोर कन्याल,एसडीएम प्रदीप भार्गव भी पहुंच गए। जिस पर अधिकारियों ने इरतजा मोहम्मद के परिजनों से कहा कि कहा कि कहीं न कहीं चूक हुई है, इस मामले की जांच कराई जाएगी। जो शव शव विच्छेदन गृह में रखा है उसका अंतिम संस्कार करा दिया जाए।दोषियों पर की कार्रवाई की मांग इरतजा मोहम्मद के परिजनों ने जिला प्रशासन से दोषियों पर कार्रवाई करने को कहा। जिस पर अधिकारियों ने कहा कि जिस शव का अंतिम संस्कार हो गया है उसकी राख और अस्थियों को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा जाएगा। उधर बाथम परिवार पर भी इरतजा मोहम्मद के परिजनों ने मामला दर्ज कराने की मांग की।

इनका कहना है

जयारोग्य अस्पताल में शव विच्छेदन गृह से दो लोगों के शव बदल कर एक दूसरे के परिजनों को सौंपने को लेकर जो भी लापरवाही हुई है उसकी प्रशासनिक जांच कराई जा रही है तथा इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, जिलाधीश

शव बदलने के मामले में चिकित्सक हीरा लाल मांझी को निलंबित करने के आदेश कर दिए गए हैं। इस मामले में जांच भी की जा रही है

एमबी ओझा संभागायुक्त

Updated : 23 Aug 2020 1:32 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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