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पहली बार खुले आसमान के नीचे आए परी के दो शावक, मां के साथ दौड़े-घूमे नाराज भी हुए

पहली बार खुले आसमान के नीचे आए परी के दो शावक, मां के साथ दौड़े-घूमे नाराज भी हुए
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ग्वालियर,न.सं.। गांधी प्राणी उद्यान में बब्बर शेर (लॉयन) मादा परी के तीन नन्हे शावकों को करीब एक महीने बाद पहली बार बुधवार को खुले आसमान के नीचे लाया गया। अभी तक वह हाउसिंग में समय गुजार रहे थे। गुनगुनी धूप में आते ही तीनों शावकों ने खूब अठखेलियां कीं। वह मां के साथ दौड़े। उसके पीछे-पीछे घूमते रहे। जब मां ऊंचाई पर जाकर बैठ गई, तो तीनों ने चढऩे का प्रयास किया। जब नहीं चढ़ पाए, तो नाराज भी हुए। गुस्से में नीचे बैठ गए। शावकों को मां के साथ खेलते देखकर सैलानियों ने भी खूब आनंद लिया। अब शावकों को रोजाना दोपहर 12 से 2 बजे के बीच हाउसिंग से बाहर ओपन एरिया में लाया जाएगा।

यहां बता दे कि गांधी प्राणी उद्यान में बब्बर शेर (लॉयन) मादा परी दूसरी बार मां बनी है। मादापरी ने 30 अक्टूबर की रात को तीन नन्हें शावकों को जन्म दिया गया था। मादा परी एवं नर जय के द्वारा द्वितीय बार शावकों को जन्म दिया गया है। गांधी प्राणी उद्यान में वर्ष 2012 में नंदनवन जू रायपुर से लॉयन नर (जय) को एवं मादा परी को कानन पेण्डारी जू विलासपुर से ग्वालियर चिडिय़ाघर लाया गया था।गांधी प्राणी उद्यान में बब्बर शेर (लॉयन) के परिवार में वर्ष 2020 में भी मादा परी द्वारा तीन शावकों को जन्म दिया गया था जिनमें 2 नर (इंतजार, अर्जुन) व 1 मादा जिसका नाम तमन्ना है। दूसरी बार परी ने तीन शिशुओं को जन्म दिया गया।

शावको का सर्दियों में रखे विशेष ख्याल

चिडिय़ाघर में बडी प्रजातियों के वन्य प्राणियों का प्रजनन अच्छा संकेत हैं तथा चिडियाघर प्रबंधन निरंतर सक्रियता वन्य प्राणियों की देखरेख करें और शेर के शावकों का सर्दियों में विशेष ख्याल रखें। यह निर्देश निगमायुक्त किशोर कन्याल ने बुधवार को चिडिय़ाघर में शेर के शावकों को सैलानियों को देखने के लिए खोले जाने के दौरान व्यक्त किए। इस अवसर पर अपर आयुक्त अतेन्द्र ंिसह गुर्जर, उपायुक्त डॉ प्रदीप श्रीवास्तव, नोडल अधिकारी डॉ उपेन्द्र यादव एवं जू क्यूरेटर गौरव परिहार सहित बडी संख्या में स्कूली बच्चे एवं सैलानी उपस्थित रहे।

नामों से शावकों को मिलेगी पहचान, रखें जाएंगे काउंटर

चिडिय़ाघर में आने वाले सैलानियों से शावकों के नामकरण के लिए एक काउंटर रखा जाएगा। जिसमें सैलानी शावको के नाम की पर्ची लिखकर डाल सकेंगे। यह प्रक्रिया 10 से 15 दिन में पूरी हो जाएगी।

अभी सिर्फ मां का दूध पीएंगे

उद्यान के क्यूरेटर गौरव परिहार ने बताया कि शावकों के जन्म के बाद से पहली बार उन्हें एनक्लोजर में निकाला गया है। शावको के लिए अब सर्दियों में धूप जरूरी है। उन्होंने बताया कि शावक अभी तो मां के दूध पर ही निर्भर हैं, लेकिन एक महीने बाद उन्हें धीरे-धीरे उनको मटन भी दिया जाएगा।

Updated : 30 Dec 2022 8:37 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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