कोरोना से जंग: डरना नहीं हराना है

कोरोना से जंग: डरना नहीं हराना है
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स्वस्थ होकर घर लौटे कोरोना योद्धाओं ने कहा

ग्वालियर,न.सं.। कोरोना के बढ़ते प्रकोप से लगभग हर व्यक्ति भय के माहौल में जी रहा है। हर पल उसे यही डर सताता रहता है कि कहीं अगला नंबर उसका न हो। उसके मन में ये भी सवाल उठते हैं कि अगर वह संक्रमित होकर अस्पताल पहुंचा तो वहां कैसे इलाज होगा, खाने को क्या मिलेगा और उसके साथ व्यवहार कैसा होगा। वहीं हकीकत यह है कि कोरोना से डरने की नहीं बल्कि पूरे आत्म विश्वास के साथ उसका सामना करने की जरूरत है। दवा तो अपना असर दिखाएगी ही साथ ही सकारात्मक सोच और दृढ़ संकल्प से भी कोरोना को बेहद आसानी से हराया जा सकता है। यह हम नहीं बल्कि वो लोग कह रहे हैं जो कोरोना से जंग जीतकर या तो घर लौट चुके हैं। स्वदेश संवाददाता ने कोरोना का सामना करने वाले सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर लोगों से चर्चा की है।

ईश्वर पर था पूरा भरोसा

इलाज के दौरान मेरे पास कोई मोबाइल या लैपटॉप तक नहीं था। मेरे साथ और भी लोग थे। हम लोग आपस में ही एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहते थे। इस दौरान मेरे माता-पिता को सबसे ज्यादा चिंता रहती थी। मैं अपने माता-पिता को देख नहीं पाता था। क्योंकि मेरे पास छोटा मोबाइल था। मेरे घर से रोज सुबह-शाम फोन आता था। भगवान पर पूरा भरोसा था कि उसके रहते कुछ नहीं होगा और जल्द ही मैं ठीक होकर वापस घर पहुंच जाऊंगा। ऐसे में मैं यहीं कहना चाहूंगा कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है बस आप खुद पर हौसला रखें और चिकित्सकों के इलाज के साथ ऊपरवाले पर भरोसा रखें। आप जल्द ही कोरोना को मात देंगे और वापस अपने परिवार के लोगों के साथ पहले जैसे ही समय व्यतीत करेंगे।

पवन शर्मा ,कोरोना योद्धा

आत्मविश्वास को न होने दें कम

मुझे बुखार आ रहा था, मैंने सैंपल दिया तो मुझे कोरोना निकला। खबर मिली तो थोड़ा डर जरूर लग रहा था लेकिन भाई सहित घर के लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाने का काम किया। इसके बाद मुझे कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया था। कोविड सेंटर में इंतजाम ठीक थे। कभी-कभी थोड़ी-थोड़ी परेशानी हुई। संक्रमित होने के बावजूद मैं घबराई नहीं और इलाज के दौरान हमेशा सकारात्मक सोचती रहीं। कोरोना से जंग जीतने में आत्मविश्वास ने ही मेरी मदद की।

शिंवागी मिश्रा, प्रबंधक, डाकघर

परिवार ने बढ़ाया हौसला, डटकर किया मुकाबला

जब पता चला कि मुझे कोरोना हुआ है तो यहीं चिंता थी कि परिवार को कुछ न हो। मेरे पास फोन आया कि आपको एम्बुलेंस लेने आ रही है। आप अपना बैग पैक कर लो। कोविड सेंटर पहुंचने के बाद मेरे पूरे परिवार ने मेरी हिम्मत बढ़ाई। परिवार के सदस्य मोबाइल के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जुड़े रहे। वीडियो कॉल व कॉन्फ्रेंसिंग से एक-दूसरे का हालचाल लेते रहते थे। इससे मेरी हिम्मत बनी रही। चिकित्सक देखने तो नहीं आते थे लेकिन रोज फोन पर तबियत के बारे में पूछते थे। खाने और रहने की कोई दिक्कत नहीं थी। इसलिए हम लोग निश्चिंत थे कि जल्द ही कोरोना को मात देंगे। यही वजह रही कि मैंने कोरोना को हरा दिया। लोगों को अपने हाथों को सेनेटाइज करना चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सकें।

-हिमांचली मिश्रा

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